राजेंद्र दर्डा का ब्लॉग: ऊर्जावान युवा नेता थे राजीव सातव

By राजेंद्र दर्डा | Published: May 17, 2021 08:32 PM2021-05-17T20:32:13+5:302021-05-17T20:34:07+5:30

राजीव सातव ने छोटी सी उम्र में अपनी क्षमता सिद्ध कर नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक सभी का दिल जीत लिया था. वे अध्ययनशील प्रवृत्ति के थे और उनमें प्रत्येक विषय को गहराई से जानने की लालसा रहती थी.

Rajendra Darda blog: Rajiv Satav an energetic youth leader | राजेंद्र दर्डा का ब्लॉग: ऊर्जावान युवा नेता थे राजीव सातव

राजीव सातव (फोटो- सोशल मीडिया)

कांग्रेस के उत्कृष्ट नेता सांसद राजीव सातव की असामयिक मृत्यु स्तब्ध कर देने वाली है. राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर दमदार नेतृत्व की क्षमता रखने वाला तारा अस्त हो गया. उनका स्वास्थ्य कभी सुधरने और कभी बिगड़ने की खबरें मिल रही थीं लेकिन वे अंतत: मौत से जंग हार गए. उनकी अनेक यादें मेरी आंखों के सामने किसी प्रेरणादायी फिल्म की तरह आ रही हैं.

छोटी सी उम्र में अपनी क्षमता सिद्ध कर राजीव सातव ने नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक सबका दिल जीत लिया था. वे अध्ययनशील प्रवृत्ति के थे और उनमें प्रत्येक विषय को गहराई से जानने की लालसा रहती थी. विधायक और सांसद के अलावा पार्टी में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का उन्होंने सफलतापूर्वक निर्वहन किया.

राजीव को पहली बार संसद में 2014 में भेजने वाला लोकसभा का चुनाव काफी चर्चित रहा था. उस वक्त महाराष्ट्र में लोकशाही आघाड़ी की सरकार सत्ता में थी. मैं शालेय शिक्षा मंत्री था. प्रचार के लिए मैंने औरंगाबाद से लातूर, नांदेड़ और हिंगोली का दौरा किया. हिंगोली में युवा कार्यकर्ताओं का उत्साह देखते ही बनता था. 

विधानसभा और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में राजनीतिक समीकरण अलग-अलग होते हैं. इसके कारण लड़ाई कठिन थी, मगर राजीव के चेहरे पर जीत का भाव स्पष्ट झलक रहा था. कार्यकर्ता और पार्टी उनकी ताकत थी. उस चुनाव में महाराष्ट्र में नांदेड़ से अशोकराव चव्हाण और हिंगोली से राजीव सातव कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा में पहुंचे थे. 

हिंगोली के पास औंढा में गुरुत्वीय तरंगों की अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशाला लिगो (भारत की एकमात्र), केंद्रीय सशस्त्र सीमा बल हिंगोली (सीएसएसबी) का आरक्षित बटालियन केंद्र और एसआरपी कैम्प- राजीव सातव की ये तीन बड़ी देन अपने निर्वाचन क्षेत्र को हैं. इन तीन चीजों से हिंगोली का चेहरा-मोहरा बदल गया. चुनाव में जातीय समीकरणों का आकलन करने वाले कथित विद्वानों की कमी नहीं है. 

राजीव सातव माली समाज से सामने आए थे, मगर उन्होंने खुद को कभी जाति की सीमाओं में नहीं बांधा और न ही दूसरों को इन सीमाओं में बंधने दिया. उन्होंने सभी समाजों के बीच एकता साधी. उनके निर्वाचन क्षेत्र में भ्रमण करते वक्त मुङो भी इस बात का एहसास हुआ. राजीव को इस बात का बड़ा आनंद हुआ कि मैं उनके निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार करने गया. चुनाव जीतने के बाद मुझसे मिलकर राजीव ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं. 

देश के बदलते हालात और भविष्य की दिशा पर वे लगातार विचार व्यक्त करते थे. उनका परिचय राहुल गांधी के विश्वासपात्र के रूप में दिया जाता रहा है. मगर वे खुद कहते थे कि वे पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता हैं. कांग्रेस के बुरे दौर में गुजरात के प्रभारी के तौर पर उन्हें पार्टी की जिम्मेदारी सौंपी गई. वहां चुनावी संघर्ष बेहद कठिन था. वे गुजरात में डटकर काम करने लगे. 

उस वक्त उनसे कई बार बातचीत हुआ करती थी. पार्टी द्वारा दी गई जिम्मेदारी का निर्वहन उनका दृढ़ संकल्प था. गुजरात में उन्होंने अपनी क्षमता की छाप छोड़ी. पहली बार सांसद बनने के बाद उन्होंने लोकसभा में शानदार प्रदर्शन किया और उत्कृष्ट सांसद बने. राज्यसभा सदस्य के रूप में भी वे छाप छोड़ने लगे थे. 

सही मायनों में उनमें और बहुत कुछ करने की क्षमता थी. वे राज्य और राष्ट्रीय राजनीति में लंबे समय तक चमकते रहते. भविष्य में अगर कभी कांग्रेस महाराष्ट्र में अपने दम पर सत्ता में आती तो शायद पार्टी ने राजीव सातव को राज्य का नेतृत्व करने का मौका दिया होता. यही भावना आज कई लोगों के मन में निश्चित रूप से पैदा हो रही है. इससे राजीव की क्षमता और शक्ति का अंदाज लगाया जा सकता है.

लोकमत के महाराष्ट्रीयन ऑफ दि ईयर पुरस्कार से राजीव सातव को सम्मानित किया गया था. उस वक्त उन्होंने कहा था, ‘मैं तो समारोह देखने आया था, यहां इतने सारे दिग्गज विराजमान हैं, मैं तो उनके सामने कुछ नहीं हूं. मगर मेरा अंदाज गलत निकला. इतनी लंबी सूची से लोकमत ने मेरा चयन किया और मैं ये पुरस्कार स्वीकार कर रहा हूं. मुझे इस बार का विश्वास ही नहीं हो रहा है.’

विनम्र व्यक्तित्व

मौजूदा राज्यमंत्री विश्वजीत कदम ने प्रदेश युवक कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभालने के बाद पूरे महाराष्ट्र में संवाद पदयात्र निकाली थी. उसके लिए मैं, राजीव सातव और विश्वजीत उस्मानाबाद जिले में भूम तालुका के एक गांव में इकट्ठा हुए. उस वक्त राजीव का उत्साह से लबरेज चेहरा आज भी मेरे चेहरे के सामने घूम जाता है. 

सड़क के किनारे एक खेत में हम सबने साथ में भोजन किया. उस वक्त मैं शिक्षा मंत्री था. चर्चा के दौरान यह मुद्दा उठा कि गांव के एक शिक्षक वाले स्कूल में शिक्षक नहीं होने से विद्यार्थियों का नुकसान होता है. मुझे याद आता है कि राजीव के आग्रह पर मैंने उसी वक्त वहीं से तीन शिक्षक उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की थी. 

मंत्री के रूप में मैंने कई बार यह अनुभव किया कि सातव बतौर विधायक अपने क्षेत्र की जनता की समस्याओं को लेकर जागरूक रहा करते थे. वे बड़ी विनम्रता से अपना मुद्दा रखते और उसे हल करने के लिए सतत प्रयास करते रहते थे. युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और विधायक की दोहरी जिम्मेदारी संभालते हुए उन्होंने देश और गांव को मजबूती से जोड़ा था. 

युवक कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में विभिन्न राज्यों का दौरा कर उन्होंने देश भर के युवाओं को पार्टी से जोड़ा था. बैठकें आयोजित करना तथा ऑनलाइन समीक्षा उनकी कार्यप्रणाली का अंग थी. उन्हें इस बात का गर्व था कि वे एक ऐसी महान परंपरा वाली पार्टी का अंग हैं, जिसके कार्यकर्ताओं का जाल पूरे देश में फैला हुआ है.

मेरा मन यह मानने के लिए अभी भी तैयार नहीं है कि एक ऐसा दिलदार युवा नेता हमारे बीच से चला गया, जो हमेशा यह मानता था कि हमें समाज का ऋण चुकाना ही पड़ता है. मुझे लगता है कि हमेशा की तरह उत्साह से राजीव का फोन मुझे आएगा और वे कहेंगे, ‘औरंगाबाद आया तो आप से जरूर मुलाकात करूंगा.’ उनके ये शब्द मेरे कानों में सतत गूंज रहे हैं.

Web Title: Rajendra Darda blog: Rajiv Satav an energetic youth leader

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