Rahul Gandhi: ‘सेल्फ गोल’ की त्रासदी का शिकार होते नेता
By विश्वनाथ सचदेव | Published: January 22, 2025 02:26 PM2025-01-22T14:26:14+5:302025-01-22T14:27:17+5:30
Rahul Gandhi: इंडियन स्टेट से लड़ाई को उन्होंने राष्ट्र के साथ गद्दारी निरूपित कर दिया और घोषणा कर दी कि राहुल भारत विरोधी ताकतों के इशारों पर नाच रहे हैं.

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Rahul Gandhi: अंग्रेजी का शब्द है ‘सेल्फ गोल’ यानी अपने हाथों अपनी हार. आजकल यह शब्द कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी के साथ जुड़ा हुआ है. कुछ ही दिन पहले अपनी ही पार्टी के एक कार्यक्रम में बोलते हुए लोकसभा में नेता विपक्ष ने कहा था कि हमारी लड़ाई भाजपा से, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से है. यहां तक तो बात ठीक थी, पर राहुल गांधी यहीं नहीं रुके-पता नहीं क्या सोचकर उन्होंने आगे कहा कि हमारी लड़ाई ‘इंडियन स्टेट’ से है. सत्तारूढ़-दल-भाजपा की जैसे कोई मनचाही मुराद पूरी हो गई. उसने राहुल गांधी की इस ‘तीसरी लड़ाई’ को मुद्दा बना लिया.
भाजपा के नेता-प्रवक्ता तो जैसे राहुल गांधी और कांग्रेस के पीछे ही पड़ गए. इंडियन स्टेट से लड़ाई को उन्होंने राष्ट्र के साथ गद्दारी निरूपित कर दिया और घोषणा कर दी कि राहुल भारत विरोधी ताकतों के इशारों पर नाच रहे हैं. क्या सचमुच ऐसी बात है? क्या सचमुच स्टेट का मतलब राष्ट्र होता है?
राहुल गांधी जब इंडियन स्टेट से लड़ाई की बात कह रहे थे तो क्या सचमुच उनके दिमाग में भारत राष्ट्र से लड़ाई की बात थी? राहुल गांधी की इस बात को आइए पूरे संदर्भ में समझने की कोशिश करें. भाजपा, आरएसएस से लड़ाई लड़ने की बात करते हुए जब उन्होंने इंडियन स्टेट को भी जोड़ा तो स्पष्ट था कि वे शासन के विभिन्न संस्थानों पर भाजपा और संघ के कब्जे के संदर्भ में बात कह रहे थे.
यह मामला बयानबाजी तक ही सीमित नहीं है. इसे लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई हैं जिनमें कहा गया है कि राहुल गांधी ने भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालने का काम किया है. राहुल गांधी तो इस मामले में लगभग चुप हैं, पर कांग्रेस पार्टी भाजपा और आरएसएस के इरादों पर जोर-शोर से हमले कर रही है.
कांग्रेस समेत राहुल गांधी का बचाव करने वालों का कहना है कि स्टेट का मतलब राष्ट्र नहीं होता. जब राहुल स्टेट के खिलाफ लड़ाई की बात कहते है तो उनका मतलब उन संस्थाओं के खिलाफ लड़ना है जो भारतीय जनता पार्टी के इशारों पर काम करती हैं. बहरहाल, हमारे राजनेताओं को यह बात समझनी होगी कि अपनी कथनी और करनी में उन्हें सावधानी बरतने की आवश्यकता है.
राहुल गांधी जब स्टेट से लड़ाई की बात करते हैं तो इस बात की पूरी संभावना है कि आम नागरिक लड़ाई को देश के विरुद्ध ही समझे. भले ही यह समझ गलत हो, पर इसका हर्जाना तो भरना ही पड़ता है. राहुल गांधी पहले भी इस तरह के हर्जाने भर चुके हैं इसलिए उन्हें और अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है.
ऐसा नहीं है कि ‘सेल्फ गोल’ सिर्फ नेता प्रतिपक्ष ही करता है. हमारे बड़बोले नेता अक्सर यह अपराध कर बैठते हैं, और इससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण यह तथ्य है कि वे यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि उनसे कभी ऐसा अपराध हो सकता है.