शशांक द्विवेदी का ब्लॉग: आर्थिक विकास के लिए तकनीकी शिक्षा का गुणवत्तापूर्ण होना जरूरी
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 14, 2020 02:13 PM2020-05-14T14:13:42+5:302020-05-14T14:13:42+5:30
असल में देश की समग्र उन्नति और आर्थिक विकास के लिए तकनीकी शिक्षा का गुणवत्ता पूर्ण होना बहुत जरूरी है। इसको प्रभावी बनाने के लिए कॉलेजों में हाफ-हाफ सिस्टम होना चाहिए मतलब कि आधे समय में किताबी ज्ञान दिया जाए और आधे समय में उसी ज्ञान का व्यावहारिक पक्ष बताकर उसका प्रयोग सामान्य जिंदगी में कराया जाए।
नई दिल्ली: राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान को नई गति देने के लिए 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का ऐलान करते हुए कहा कि कोरोना संकट ने देश को आत्मनिर्भर बनने का एक बड़ा अवसर दिया है। देश में जब कोरोना संकट शुरू हुआ तब भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी। यही नहीं एन-95 मास्क का नाममात्र उत्पादन होता था।
आज भारत में हर दिन दो लाख पीपीई किट और दो लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं। आपदा ने भारत को आगे बढ़ने का एक मौका दिया है। वास्तव में साल 1991 में आर्थिक सुधारों के बाद पहली बार देश के किसी पीएम ने लोकल स्तर पर मैन्यूफैक्चरिंग की इतनी जोरदार तरीके से वकालत की और इसे आम जनजीवन के मूलमंत्र के तौर पर स्थापित करने का नारा दिया। पीएम मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की भव्य इमारत पांच खंभों पर खड़ी होगी।
क्या हैं पांच पिलर?
पहला पिलर- अर्थव्यवस्था, दूसरा इंफ्रास्ट्रक्चर, तीसरा हमारा सिस्टम होगा जो 21वीं सदी के सपनों को साकार करने वाली तकनीकों पर आधारित होगा। चौथा पिलर हमारी डिमोग्राफी होगी जो हमारी ताकत है। पांचवां पिलर डिमांड होगी जो हमारी अर्थव्यवस्था में सप्लाई चेन को मजबूती देगी। हम आपूर्ति की उस व्यवस्था को मजबूत करेंगे जिसमें देश की मिट्टी की महक और मजदूरों के पसीने की खुशबू होगी।
तकनीकी शिक्षा का गुणवत्ता पूर्ण होना बहुत जरूरी
असल में देश की समग्र उन्नति और आर्थिक विकास के लिए तकनीकी शिक्षा का गुणवत्ता पूर्ण होना बहुत जरूरी है। इसको प्रभावी बनाने के लिए कॉलेजों में हाफ-हाफ सिस्टम होना चाहिए मतलब कि आधे समय में किताबी ज्ञान दिया जाए और आधे समय में उसी ज्ञान का व्यावहारिक पक्ष बताकर उसका प्रयोग सामान्य जिंदगी में कराया जाए।
चीन ने इस प्रयोग को पूरी तरह से अपनाया और आज स्थिति यह है कि उत्पादन की दृष्टि में चीन भारत से बहुत आगे है। अभी भी भारतीय बाजार चीनी सामानों से भरे पड़े हैं, लेकिन कोरोना संकट के बाद अब भारत को चीन से आयात अगर पूरी तरह से बंद न हो सकें तो कम जरूर कर देना चाहिए। ऐसी स्थिति में भारत को बड़े पैमाने पर उत्पादन बढ़ाना होगा, साथ ही गुणवत्ता भी सुनिश्चित करनी होगी।
तकनीकी और इंजीनियरिंग शिक्षा के ढांचे को ठीक करना होगा
अब देश में तकनीकी और इंजीनियरिंग शिक्षा के ढांचे को ठीक करना होगा क्योंकि अब शिक्षा में इनोवेशन की जरूरत है, सिर्फ रटे-रटाए ज्ञान की बदौलत हम विकसित राष्ट्र बनने का सपना साकार नहीं कर सकते। भारत ने परमाणु शक्ति बनकर नि:संदेह दुनिया में आज अपनी धाक जमा ली है, लेकिन देश अब भी कई देशों से कई मोर्चे पर पिछड़ा हुआ है। तकनीक और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को अभी बहुत काम करने हैं।
अंतरिक्ष के क्षेत्र में हालिया कई कामयाबियां देश के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनमें स्वदेशी तकनीक और उपकरणों का प्रयोग किया गया है। ये कामयाबियां देश में स्वदेशी तकनीक के साथ-साथ आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ते कदम की भी पुष्टि करती हैं। इससे पता चलता है कि अगर सकारात्मक सोच और ठोस रणनीति के साथ हम लगातार अपनी प्रौद्योगिकीय जरूरतों को पूरा करने की दिशा में आगे कदम बढ़ाते रहे तो वे दिन दूर नहीं जब हम खुद अपने नीति-नियंता बन जाएंगे और दूसरे देशों पर किसी तकनीक, हथियार और उपकरण के लिए निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
घरेलू उद्योगों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उपस्थिति दर्ज कराई
हमारे घरेलू उद्योगों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई है इसलिए देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय उद्योग के कौशल संसाधनों एवं प्रतिभाओं का बेहतर उपयोग करना जरूरी है। क्योंकि आयातित टैक्नोलाजी पर हम ब्लैकमेल का शिकार भी हो सकते हैं। सुरक्षा मामलों में देश को आत्मनिर्भर बनाने में सरकार और एकेडेमिक जगत की भी बराबर की साझेदारी होनी चाहिए। इसके लिए मध्यम और लघु उद्योगों की प्रौद्योगिकी के आधुनिकीकरण व स्वदेशीकरण में अहम भूमिका हो सकती है।
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय हमारा वैज्ञानिक व प्रौद्योगिकी ढांचा न तो विकसित देशों जैसा मजबूत था और न ही संगठित। इसके बावजूद प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमने काफी कम समय में बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। स्वतंत्रता के बाद भारत का प्रयास यही रहा है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन भी लाया जाए, जिससे देश के जीवन स्तर में संरचनात्मक सुधार हो सके।