ब्लॉग: चिंता का कारण बनता जा रहा है हवा में घुलता जहर
By योगेश कुमार गोयल | Published: October 30, 2023 10:24 AM2023-10-30T10:24:51+5:302023-10-30T10:29:07+5:30
लोगों की सांसों पर वायु प्रदूषण का खतरा इतना खतरनाक होता जा रहा है कि दमघोंटू हवा में लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। वैसे तो वर्तमान में मुंबई में भी वायु गुणवत्ता ‘मध्यम’ श्रेणी में दर्ज की गई है और वहां बीएमसी द्वारा बिगड़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं।
दिवाली से कई दिन पहले ही दिल्ली-एनसीआर की हवा में जहर घुल चुका है और लोगों की सांसों पर वायु प्रदूषण का खतरा इतना खतरनाक होता जा रहा है कि दमघोंटू हवा में लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। वैसे तो वर्तमान में मुंबई में भी वायु गुणवत्ता ‘मध्यम’ श्रेणी में दर्ज की गई है और वहां बीएमसी द्वारा बिगड़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। लेकिन देश के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में तो वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है।
दिल्ली हो या नोएडा अथवा आसपास के अन्य इलाके, एक्यूआई 300 के ऊपर जा चुका है तथा माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह 400 के पार पहुंच जाएगा, तब लोगों को सांस लेने में काफी तकलीफ महसूस होने लगेगी। वैसे अभी से सांस संबंधी परेशानियों के साथ बड़ी संख्या में लोग अस्पताल पहुंचने लगे हैं। ‘सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च’ (सफर) के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच गई है।
सफर की स्थापना भारत में महानगरों के प्रदूषण स्तर और वायु गुणवत्ता को मापने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की पहल के तहत 2010 में की गई थी। भारत मौसम विज्ञान विभाग के अधिकारियों के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों में दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता बहुत खराब रहेगी, जिसका कारण तापमान में कमी और पराली जलाने से होने वाला उत्सर्जन है। अब देश का शायद ही कोई ऐसा शहर हो, जहां लोग धूल, धुएं, कचरे और शोर के चलते बीमार न हो रहे हों।
देश के अधिकांश शहरों की हवा में जहर घुल चुका है। पर्यावरण तथा मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत डेविड आर। बॉयड का कहना है कि विश्वभर में इस समय छह अरब से भी ज्यादा लोग इतनी प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं, जिसने उनके जीवन, स्वास्थ्य और बेहतरी को खतरे में डाल दिया है और सर्वाधिक चिंता की बात यह है कि इसमें करीब एक-तिहाई संख्या बच्चों की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वायु प्रदूषण के चलते दुनियाभर में प्रतिवर्ष करीब 70 लाख लोगों की असामयिक मृत्यु हो जाती है, जिनमें लगभग छह लाख बच्चे भी शामिल होते हैं।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक वातावरण में बढ़ रहा वायु प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य के लिए काफी समस्यादायक स्थिति पैदा कर सकता है। चूंकि वायु प्रदूषण का प्रभाव मानव शरीर पर इतना घातक होता है कि सिर के बालों से लेकर पैरों के नाखून तक इसकी जद में होते हैं, इसीलिए वायु प्रदूषण पर अब गंभीरता से ध्यान दिए जाने की जरूरत है ताकि दुनिया में करोड़ों-अरबों लोगों को अधिक समय तक स्वस्थ जीवन जीने का हक मिल सके।