पीयूष पांडे का ब्लॉग: घोटाला प्रधान देश में टीआरपी घोटाला

By पीयूष पाण्डेय | Published: October 10, 2020 07:16 AM2020-10-10T07:16:52+5:302020-10-10T07:16:52+5:30

जिस तरह किसानों की आत्महत्या, बलात्कार, राजनेताओं के आरोप और महंगाई जैसी खबरों को लेकर हिंदुस्तानी अभ्यस्त हो चुके हैं, वैसे ही घोटालों से जुड़ी खबरों को लेकर हो चुके हैं. हद ये कि हम लोग मानने लगे हैं कि ‘बिन घोटाला सब सून’.

Piyush Pandey's blog: TRP scam in scam-dominated country | पीयूष पांडे का ब्लॉग: घोटाला प्रधान देश में टीआरपी घोटाला

सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो)

एक जमाने में भारत कृषि प्रधान देश था, लेकिन अब घोटाला प्रधान देश बन चुका है. आजाद भारत में पहला घोटाला ‘जीप घोटाला’ माना जाता था. और जब ‘घोटाला’ जीप पर सवार होकर देश में आया हो तो उसे दूर तलक चलना ही है.

घोटाले की एक ऐसी समृद्ध परंपरा देश में विकसित हुई कि घोटालेबाजों ने हर उस चीज में घोटाला करके दिखा दिया, जिसे देख अंतरराष्ट्रीय घोटालेबाज शर्म से मर जाएं. सुई से लेकर हेलीकॉप्टर, आंख से लेकर किडनी, कफन से लेकर राशन तक हर चीज में यहां घोटाला होता है.

जिस तरह किसानों की आत्महत्या, बलात्कार, राजनेताओं के आरोप और महंगाई जैसी खबरों को लेकर हिंदुस्तानी अभ्यस्त हो चुके हैं, वैसे ही घोटालों से जुड़ी खबरों को लेकर हो चुके हैं. हद ये कि हम लोग मानने लगे हैं कि ‘बिन घोटाला सब सून’.

कोई बाबू घोटाले के आरोप में सस्पेंड हुए बिना रिटायर हो जाए तो लोग उसे न केवल निहायत गरीब व्यक्ति करार देते हैं, बल्कि मानते हैं कि उसे दुनियादारी की समझ नहीं थी. मंत्नी बनकर नेता घोटाला न करे तो उसके रिश्तेदार नाराज हो जाते हैं.

घोटाले से कई लोगों के जीवन में बहार आती है. बहार आने से लोगों के चेहरे पर खुशी आती है. लोग खुश होते हैं तो राष्ट्र का ‘हैप्पीनेस इंडेक्स’ ऊंचा होता है. जिस तरह फुटबॉल के खेल में 11 खिलाड़ी साथ मिलकर विरोधी को रौंदते हैं, वैसे ही बड़ा घोटाला करने के लिए कई घोटालेबाजों को जाति-धर्म-विचारधारा वगैरह के पचड़े से निकलकर एक तय उद्देश्य को पाने में जी-जान से जुटना पड़ता है.

इस लिहाज से घोटाला लोगों को आपस में जोड़ने वाला ‘खेल’ भी है. किंतु मैं कई दिन से इसलिए परेशान था क्योंकि घोटालों की समृद्ध परंपरा में नए आयाम नहीं जुड़ रहे थे. ऐसा प्रतीत होने लगा था कि घोटालेबाजों के दिमाग में भी जंग लग गई है. जिस तरह 80 के दशक में 90 फीसदी हिंदी फिल्मों की कहानी एक सरीखी होती थी, वही हाल घोटाले के क्षेत्न में हुआ था.

वही तरीका, वही चीजें. किडनी घोटाला पंजाब में हो रहा है तो नगालैंड में भी. राशन घोटाला महाराष्ट्र में हो रहा है तो मणिपुर में भी. अरसे बाद एक नया घोटाला मैदान में आया है-टीआरपी घोटाला. जिन लोगों को नहीं मालूम कि टीआरपी क्या बला है, उनके लिए बता दूं कि जब किसी न्यूज चैनल की टीआरपी आती है तो कहीं मातम मने, चैनल के दफ्तर में खुशियां मनती हैं.

टीआरपी नहीं आती तो सारे जहां में घी के दीए जलें, चैनल के दफ्तर में मातम पसरा रहता है. टीआरपी दर्शकों के टेलीविजन देखने का पैमाना है. जिस तरह ट्रम्प की जुबान पर कोई लगाम नहीं लगा सकता, वैसे ही माना जाता था कि टीआरपी को कोई चैनल अपने हिसाब से नियंत्रित नहीं कर सकता. लेकिन घोटालेबाजों ने ऐसा करके दिखा दिया. उन्हें नमन!!

Web Title: Piyush Pandey's blog: TRP scam in scam-dominated country

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे