पीयूष पांडे का ब्लॉग: पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के लाभ ही लाभ

By पीयूष पाण्डेय | Published: February 20, 2021 12:58 PM2021-02-20T12:58:24+5:302021-02-20T13:00:25+5:30

चुनाव न हों तो पेट्रोल-डीजल की हाहाकारी कीमतों को पेट्रोलियम कंपनियों का निजी मसला कहकर उसी तरह पल्ला झाड़ती है, जिस तरह पार्टियां अपनी बयानबाज के किसी फालतू बयान पर फंसने के बाद निजी बयान कहकर पल्ला झाड़ती हैं.

Piyush Pandey's blog: Benefits of rising petrol prices | पीयूष पांडे का ब्लॉग: पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के लाभ ही लाभ

सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो)

देश का गरीब भले बरसों-बरस से अपनी रोटी का शेयर नहीं पा पाया, लेकिन शेयर बाजार कुलांचे भर रहा है. सेंसेक्स 50 हजार पार कर गया. उधर, शेयर बाजार की देखा-देखी पेट्रोल 100 रु. पार कर गया. हमारा राष्ट्रीय चरित्र भले फटे में टांग फंसाने का है, लेकिन पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों के मामले में सरकार टांग नहीं फंसाती.

तब तक, जब तक चुनाव न हों. चुनाव न हों तो पेट्रोल-डीजल की हाहाकारी कीमतों को पेट्रोलियम कंपनियों का निजी मसला कहकर उसी तरह पल्ला झाड़ती है, जिस तरह पार्टियां अपनी बयानबाज के किसी फालतू बयान पर फंसने के बाद निजी बयान कहकर पल्ला झाड़ती हैं.

पेट्रोल की कीमतें बढ़ने पर विरोधी छाती पीटते हैं, और जो पहले विरोध में छाती पीटते थे, वो सत्ता में आते ही शर्म निरपेक्ष हो लेते हैं. आम आदमी सिवाय रोने के कुछ नहीं कर सकता.

मुझे लगता है कि पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के नुकसान हैं तो फायदे भी हैं. आम जनता इन फायदों को जाने तो वो समझ पाएगी कि सरकार क्यों दाम कम नहीं कराना चाह रही.

1-सरकार चाहती है कि लोग साइकिल का ज्यादा-से-ज्यादा इस्तेमाल करें. बंदा कार खरीद भी ले तो एक टेंशन ईएमआई चुकाने की होती है. फिर, गड्ढों वाली सड़क पर कार चलाने का आनंद नहीं. बड़ी कार में तनाव पार्किंग का होता है. साइकिल सस्ती और सुरक्षित है. ‘इको फ्रेंडली’ अलग.

2-पेट्रोल की बढ़ी कीमतें भारत को समाजवाद की तरफ लौटा सकती हैं. गाड़ी भले खूब बड़ी रख ले व्यक्ति घर में लेकिन औकात नहीं पेट्रोल डलवाने की तो चलो बेटे तुम भी आम आदमी के साथ बस-वस, ऑटो-टैंपू में. बंदा समझ लेगा लू लपट में जीने वाले का दर्द.

3-बाजार में पेट्रोल मग या पेट्रोल टिन के रूप में गिफ्ट पैक की नई संभावनाओं के द्वार भी अब खुल सकते हैं. आशिक अपनी महबूबाओं को पेट्रोल मग गिफ्ट करेंगे तो कन्या का पूरा परिवार खुशी में झूम उठेगा.

4-दहेज में लक्जरी आइटम के रूप में भी पेट्रोल की संभावनाएं बनेंगी. फायदा यह होगा कि दहेज में आया पेट्रोल शादी के एक-दो साल मुहब्बत वाले पीरियड में खत्म हो लेगा. इसके बाद विवाद होता है तो ‘दहेज वापस दो’ टाइप झंझट नहीं.

5-सरकार घोड़ा एसोसिएशन को भी सपोर्ट कर सकती है. देश में घोड़ों का कोई मां-बाप नहीं है. घोड़े-गधे समझदार जानवर हैं. दो-चार बार बंदा उन्हें मार्केट घुमा लाया तो वो खुद पार्क हो जाएंगे.

6-मोटर गाड़ियों ने तांगे खत्म कर दिए. बसंती टाइप की जुझारू लड़कियां भी तांगे के साथ खत्म हो लीं. अब धन्नो और बसंती फिर दिखाई दे सकती हैं. यानी बढ़ी कीमतों का एक सिरा महिला सशक्तिकरण से जुड़ता है.

Web Title: Piyush Pandey's blog: Benefits of rising petrol prices

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