पीयूष पांडे का ब्लॉग: आपदा में अवसर बनाम वैक्सीन एक्सपर्ट
By पीयूष पाण्डेय | Published: January 16, 2021 01:54 PM2021-01-16T13:54:09+5:302021-01-16T13:55:24+5:30
"ये छोटी सी आपदा कितनी विकराल होती है, इसका अंदाज सिर्फ उसे हो सकता है, जिसने इसका सामना किया हो"
भारत एक कृषि प्रधान देश रह गया है या नहीं, इस पर जानकार बहस कर सकते हैं, किंतु भारत एक आपदा प्रधान देश है, इसे लेकर कोई दुविधा नहीं है. बाढ़, सूखा, बारिश, भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से इतर हिंदुस्तानियों का वक्त छोटी-छोटी आपदाओं से निपटने में खप जाता है. मसलन-बिजली के बिल में अचानक हुई बढ़ोत्तरी की आपदा. ये छोटी सी आपदा कितनी विकराल होती है, इसका अंदाज सिर्फ उसे हो सकता है, जिसने इसका सामना किया हो. इसी तरह की सैकड़ों आपदाएं हैं, जिनसे आम आदमी रोज दो-चार होता है.
आजकल कोरोना आपदा का हल्ला है. मैं पहले दिन से इस आपदा में अवसर तलाश रहा हूं. इसी कोशिश में नौकरी से छुट्टी लेकर सेनेटाइजर और मास्क का धंधा शुरू किया. दो हफ्ते तक पूरे मुहल्ले में मैंने सेनेटाइजर और मास्क की धुआंधार बिक्री कर खूब माल बनाया. जिस तरह रुझानों में आगे चलते देख कई बार राजनीतिक दल अपने मुख्यालय पर लड्ड बंटवा देते हैं, और नतीजों में हारने के बाद हलवाई का बिल देने वाला कोई नहीं बचता, उसी तरह मैं अड़ोसियों-पड़ोसियों के बीच लड्ड बंटवाने लगा था. चौथा हफ्ता आते आते मैं नौकरी छोड़ पूर्ण रूप से कारोबारी बनने का निश्चय कर रहा था कि उसी वक्त अचानक कई प्रतिस्पर्धी मैदान में आ गए. सब आपदा में अवसर तलाशने लगे. अब हाल यह है कि हम सब बचा-खुचा स्टॉक निकालकर फंसी रकम को वापस पाने का अवसर तलाश रहे हैं.
जिस तरह पंद्रह लाख खाते में आने की बात एक जुमला थी, क्या आपदा में अवसर भी एक जुमला है? मैं जवाब जानने के लिए इलाके के नामी एक्सपर्ट के पास पहुंचा. वे बोले- बिल्कुल नहीं. मैंने कहा-लेकिन, मैं आपदा में अवसर तलाशने की कोशिश में हजारों रु. का घाटा खा चुका हूं. उन्होंने कहा-तुम आपदा में अवसर तलाशने गए थे. अक्लमंद वो है, जो आपदा को अवसर बना ले.
जिस तरह आम आदमी वित्त मंत्नी का बजट भाषण समझ न आने के बावजूद समझ आने की नौटंकी करता है, मैंने भी उनके ‘दर्शन’ को समझने की नौटंकी की. वे बोले-आपदा आते ही तड़ से उसके एक्सपर्ट बन जाओ. मैंने कहा-मतलब. वे बोले-वैक्सीन एक्सपर्ट बन जाओ. अब देश में वैक्सीन एक्सपर्ट की जरूरत होने वाली है. टी.वी. पर न भी पहुंच पाए तो मुहल्ला स्तर के एक्सपर्ट बनकर ही तुम्हारा काम हो जाएगा. मुझे आइडिया में दम नजर आ रहा है.