BLOG:2019 के लिए नीतीश कुमार दोराहे पर
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: July 12, 2018 03:58 AM2018-07-12T03:58:26+5:302018-07-12T03:58:26+5:30
उर्दू मीडिया का मानना है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ये कहना कि ‘हमें किनारे करने वाले खुद ही किनारे हो जाएंगे’ वास्तव में राजद और भाजपा दोनों पर हमला है।
लेखक- राजश्री यादव
उर्दू मीडिया का मानना है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ये कहना कि ‘हमें किनारे करने वाले खुद ही किनारे हो जाएंगे’ वास्तव में राजद और भाजपा दोनों पर हमला है। लेकिन सीटों के बंटवारे के मामले में इंतजार करने की उनकी रणनीति बताती है कि एनडीए के दबाव में होने के बावजूद वे अंतिम समय में कोई चौंकाने वाला फैसला भी ले सकते हैं।‘रोजनामा राष्ट्रीय सहारा’ नई दिल्ली ने लिखा है, आम चुनाव जैसे-जैसे करीब आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे एनडीए में शामिल पार्टियां एक तरह से बगावती तेवरों का प्रदर्शन कर रही हैं। एक तरफ जहां शिवसेना ने अकेले दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है, तो दूसरी तरफ तेलुगू देशम पार्टी ने एनडीए से किनारा कर लिया है।
जहां तक जद(यू) की बात है तो उसने भी अगरचे 2019 का चुनाव साथ लड़ने की बात कही है, लेकिन इसके साथ-साथ भगवा पार्टी को झटका देने के लिए तैयार है। वो राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मणिपुर के चुनाव में अपने दम पर मैदान में उतरेगी। हालांकि इसकी बहुत ज्यादा सियासी अहमियत नहीं है। वैसे, नीतीश कुमार अपने वजूद को बचाने के लिए कोई भी पैंतरा बदल सकते हैं और कोई भी चाल चल सकते हैं। उन्होंने भाजपा के साये में अपना कद बढ़ाया और मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। जब उन्होंने देखा कि बिहार के मुस्लिमों को खुश रखे बगैर उनकी हुकूमत मजबूत नहीं रह सकती तो धर्मनिरपेक्षता का राग अलापने लगे। उन्होंने पहले धर्मनिरपेक्षता के पैरोकार लालू प्रसाद यादव से हाथ मिलाया, हुकूमतसाजी की, फिर जब उन्होंने देखा कि कहीं लालू का सेक्युलरिज्म उन पर भारी न पड़ जाए तो उन्होंने अपने पुराने दोस्त भाजपा से फिर हाथ मिला लिया। आज नीतीश कुमार एक बार फिर दोराहे पर हैं। इसलिए उम्मीद ज्यादा है कि एक बार फिर से भाजपा से मतभेद बढ़ जाएगा और नीतीश धर्मनिरपेक्ष सोच रखने वाली पार्टियों से पींगें बढ़ाने की कोशिश करेंगे। वैसे, लालू की आरजेडी, कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियां इस बार नीतीश को घास नहीं डालेंगी। ऐसे में नीतीश को मजबूरी में भाजपा की बात माननी ही पड़ेगी।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, उनकी बेटी मरियम नवाज और दामाद कैप्टन सफदर को अदालत द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराए जाने और सजा सुनाए जाने पर ‘डेली हिंदुस्तान एक्सप्रेस’ नई दिल्ली ने लिखा है कि नवाज शरीफ के खिलाफ भ्रष्टाचार के कुल चार मामलों में से पहले मामले में ये सजा सुनाई गई है। ऐसी सूरत में तीन दशकों से सियासत में सरगर्म और तीन बार के वजीरेआजम नवाज शरीफ के लिए ये झटका सबसे बड़ा है और इसे उनकी सियासी जिंदगी का खात्मा ही मानना चाहिए। नवाज शरीफ और मरियम के अलावा उनकी पार्टी के और भी सदस्यों को चुनाव लड़ने के अयोग्य करार देने के बाद पाकिस्तान के आगामी आम चुनाव में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) की स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। शरीफ खानदान को चुनाव की रेस से बाहर करने में कामयाब होने वाले इमरान खान को सत्ता पर बिठाने का सेना का मंसूबा कामयाब होता नजर आ रहा है।
मुंबई और उसके आसपास के इलाकों में जबर्दस्त बारिश से पैदा हुए हालात पर ‘इन्कलाब डेली’ मुंबई ने लिखा है, मुंबई में पिछले कुछ दिनों से जारी झमाझम बारिश ने ऐसे सूरते हाल पैदा कर दिए हैं कि अब मुंबईवासियों में खौफ और चिंता पैदा हो गई है। हकीकत ये है कि जब बारिश का मौसम अपने शबाब पर होता है तभी समझ में आता है कि हम, हमारी सरकार, हमारा प्रशासन कितने पानी में है। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए क्यों पहले से पर्याप्त और पुख्ता इंतजामात नहीं किए जाते। सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश पर जिसमें कहा गया है कि जो लोग आगरा के निवासी नहीं हैं, उन्हें जुम्मे को ताजमहल परिसर के भीतर स्थित मस्जिद में नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं होगी, ‘रोजनामा राष्ट्रीय सहारा’ लखनऊ ने लिखा है, इस ऐतिहासिक इमारत की सुरक्षा को लेकर यकीनन कोई समझौता नहीं किया जा सकता। लेकिन साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि ताजमहल की सुरक्षा के नाम पर ऐसा कोई काम नहीं किया जाए जिससे विवाद पैदा हो।और अंत में।।
अंदाज-ए-बयां अगरचे बहुत शोख नहीं है/ शायद कि उतर जाए तेरे दिल में मेरी बात। ल्लल्ल
(साभार-डेली एतमाद, हैदराबाद)