दिनकर कुमार का ब्लॉग: पूर्वोतर के चुनावों में बड़े दलों की दिलचस्पी बढ़ी 

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 3, 2019 06:44 AM2019-04-03T06:44:07+5:302019-04-03T06:44:07+5:30

देश की मुख्यधारा से अलग-थलग रहने वाले और आर्थिक विकास से पूरी तरह वंचित पूर्वोत्तर के लोग चुनाव की प्रक्रिया में शामिल होना जरूरी समझते हैं. 

North-East become hot destination for political parties in Lok Sabha election | दिनकर कुमार का ब्लॉग: पूर्वोतर के चुनावों में बड़े दलों की दिलचस्पी बढ़ी 

दिनकर कुमार का ब्लॉग: पूर्वोतर के चुनावों में बड़े दलों की दिलचस्पी बढ़ी 

पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों के लिए विधानसभा या लोकसभा चुनाव का मतलब महज प्रतिनिधियों को चुनना नहीं होता, बल्कि इसके जरिये वे अपनी आशाओं-आकांक्षाओं को भी व्यक्त करते हैं. हो सकता है कि उनके मन में इस तरह की चुनाव प्रणाली के प्रति क्षोभ का भाव हो, लेकिन इस बात पर उनका पक्का यकीन है कि चुनाव में भागीदारी के जरिये ही उनके लिए रोजगार और जीविका का मार्ग प्रशस्त हो सकता है.

आजादी के बाद से ही जिस अंचल के लोगों को जातीय हिंसा, उग्रवाद और भ्रष्टाचार के साये में जीने के लिए मजबूर होना पड़ा है, उनके लिए सरकारी नौकरी या नई सरकार का गठन होना उम्मीद की किरण की तरह है. यही वजह है कि देश की मुख्यधारा से अलग-थलग रहने वाले और आर्थिक विकास से पूरी तरह वंचित पूर्वोत्तर के लोग चुनाव की प्रक्रिया में शामिल होना जरूरी समझते हैं. 

17 वें लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान जैसे-जैसे तेज होता जा रहा है देश की दो प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने उत्तर-पूर्व के राज्यों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है. अगर पीछे मुड़ कर देखा जाए तो साफ पता चलता है कि कभी भी लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों की सीटों के लिए राजनीतिक दलों ने इतनी गहरी दिलचस्पी नहीं दिखाई थी जिस तरह इस बार दिखा रही हैं.

पहले ऐसा होता था कि बड़ी पार्टियों के वरिष्ठ नेता एक या दो चुनावी रैली को संबोधित करते थे और इसी के साथ प्रचार अभियान समाप्त हो जाता था. इसके पीछे यही कारण था कि राजनीतिक पार्टियां देश के बड़े राज्यों पर अपना ध्यान केंद्रित करती थीं, जहां लोकसभा सीटें ज्यादा हैं. जिन राज्यों में 1 या 2 सीटें हैं उनकी तरफ ध्यान देना जरूरी नहीं समझती थीं.  

पहले के चुनावों में अगर थोड़ा बहुत ध्यान पूर्वोत्तर का कोई राज्य आकर्षित करता था तो वह असम था, क्योंकि इस राज्य में लोकसभा की 14 सीटें हैं. मेघालय, त्रिपुरा, मणिपुर व अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा की दो-दो सीटें हैं और इनकी तरफ प्रमुख राजनीतिक पार्टियां कोई खास तवज्जो नहीं देती थीं.

ऐसे कई लोकसभा चुनाव के उदाहरण हैं जब अखिल भारतीय राजनीतिक पार्टी के किसी नेता, अध्यक्ष, प्रधानमंत्नी ने नगालैंड, मिजोरम या सिक्किम का दौरा करने की जरूरत नहीं समझी क्योंकि इन राज्यों में लोकसभा की एक-एक  सीट है.

लेकिन समय गुजरने के साथ राजनीतिक पार्टियों ने महसूस करना शुरू कर दिया है कि उनके लिए एक-एक सीट की भी काफी अहमियत है. माना जा रहा है कि अगले हफ्तों में पूर्वोत्तर के लोग राष्ट्रीय स्तर के कई नेताओं को चुनावी रैली करते हुए देखेंगे. ये नेता दिलफरेब वायदे कर पूर्वोत्तर के मतदाताओं को लुभाने की पूरी कोशिश करेंगे. 

Web Title: North-East become hot destination for political parties in Lok Sabha election