डॉ. संजय शर्मा का ब्लॉग: समानता के अवसर बढ़ाने की जरूरत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 11, 2023 04:58 PM2023-03-11T16:58:47+5:302023-03-11T16:58:47+5:30

हिंदू देशभक्त पत्रिका के संपादक क्रिस्टोदास पाल, न्यायमूर्ति बदरुद्दीन तैयब जी एवं अंजुमन-ए-पंजाब की तरफ से जवाब दाखिल करते हुए कहा गया कि भारत में अभी बालिकाओं की शिक्षा को सह-शिक्षा के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। 

Need to increase equal opportunity | डॉ. संजय शर्मा का ब्लॉग: समानता के अवसर बढ़ाने की जरूरत

डॉ. संजय शर्मा का ब्लॉग: समानता के अवसर बढ़ाने की जरूरत

लगभग सवा सौ साल पहले सावित्रीबाई फुले की विरासत ने एक ऐसी दुनिया का सपना देखा था जो सामाजिक-राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षिक आयामों में समानता और समता की संस्कृति के साथ विकसित हो। एक ऐसी दुनिया जो लैंगिकता के संदर्भ में पूर्वाग्रह, रूढ़िवादिता और भेदभाव से मुक्त हो। एक ऐसी दुनिया जो विविधतापूर्ण, न्यायसंगत और समावेशी हो। 

औपनिवेशिक भारत में हंटर आयोग (1882) के समक्ष दो प्रमुख सवाल ; जो स्त्री शिक्षा के मौजूदा स्वरूप एवं उसके भविष्य की दिशा और दशा को आकर देने वाले थे;  की पड़ताल करने पर आश्चर्यजनक रूप से भारत में  महिलाओं की शिक्षा का समकालीन विमर्श उभरता है। 

हंटर आयोग (1882) के समक्ष पहला सवाल (क्रमांक-42) इस बात की चिंता कर रहा था कि तात्कालीन शिक्षा विभाग बालिका शिक्षा के विद्यालयों की स्थापना के लिए किस प्रकार प्रयत्नशील है? इनकी स्थापना के संबंध में क्या-क्या निर्देश विभाग के स्तर पर दिए जा रहे हैं? इनके विषय में सदस्यों की क्या राय है? इसी के साथ दूसरा सवाल (क्रमांक-43) इस बात की चिंता कर रहा था कि शिक्षा संस्थानों में बालिकाओं को बालकों के साथ पढ़ाने की संभावनाओं को किस रूप में तलाश किया जाए?

इन सवालों के संदर्भ में आर्य समाज (लाहौर),  हिंदू देशभक्त पत्रिका के संपादक क्रिस्टोदास पाल, न्यायमूर्ति बदरुद्दीन तैयब जी एवं अंजुमन-ए-पंजाब की तरफ से जवाब दाखिल करते हुए कहा गया कि भारत में अभी बालिकाओं की शिक्षा को सह-शिक्षा के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। 

साथ ही शिक्षा विभाग (सरकार ) के द्वारा बालिका शिक्षा के विद्यालयों की स्थापना की प्रगति निराशाजनक है, वस्तुतः यह दोनों सवाल आज भी उतने ही ज्वलंत और प्रासंगिक हैं, जिनके लिए आज से लगभग सवा सौ साल पूर्व सावित्रीबाई फुले ने इस तरह के संघर्षों की शुरुआत महाराष्ट्र में कर दी थी।

Web Title: Need to increase equal opportunity

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे