ब्लॉगः एक ही हफ्ते में सामान्य से अधिक बारिश, जलवायु परिवर्तन से बिगड़ रहा 'मानसून चक्र'!, जानें इसके खतरे

By पंकज चतुर्वेदी | Updated: July 5, 2023 14:12 IST2023-07-05T14:10:17+5:302023-07-05T14:12:43+5:30

भारत सरकार के केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा दो साल पहले तैयार पहली जलवायु परिवर्तन मूल्यांकन रिपोर्ट में स्पष्ट चेताया गया था कि तापमान में वृद्धि का असर भारत के मानसून पर भी कहर ढा रहा है।

More rain than normal in a single week monsoon cycle worsening due to climate change | ब्लॉगः एक ही हफ्ते में सामान्य से अधिक बारिश, जलवायु परिवर्तन से बिगड़ रहा 'मानसून चक्र'!, जानें इसके खतरे

Visuals of Gira waterfall in/ ANI

इस बार केरल में मानसून एक हफ्ते देर से आया, मध्य भारत आते-आते देर हुई लेकिन एक हफ्ते में ही कई राज्यों में इतना पानी बरस गया कि वह औसत बारिश से कई गुना अधिक था। हरियाणा में जून के आखिरी हफ्ते में पूरे सप्ताह प्रदेश में 49.1 एमएम वर्षा रिकार्ड की गई, जो औसत वर्षा स्तर 17.5 एमएम से लगभग 180 प्रतिशत अधिक है। दिल्ली में जून के 30 में से 17 दिन बरसात हुई है। 2011 के बाद अभी तक पहली बार इतने दिन बादल बरसे हैं। इसी तरह इस बार जून में बरसात भी सामान्य से 37 प्रतिशत ज्यादा हुई है। माह की औसत वर्षा है 74.1 मिमी जबकि हुई है 101.7 मिमी।  कोलकाता में 29 जून को आठ घंटे से अधिक समय तक - 40 मिमी बारिश हुई, जो 24 घंटे के चक्र के भीतर महीने की सामान्य बारिश के 15 प्रतिशत से अधिक है। वैसे हमारे मौसम वैज्ञानिक पहले ही चेता चुके थे कि इस बार अल-नीनो असर से बरसात अनियमित होगी।

भारत सरकार के केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा दो साल पहले तैयार पहली जलवायु परिवर्तन मूल्यांकन रिपोर्ट में स्पष्ट चेताया गया था कि तापमान में वृद्धि का असर भारत के मानसून पर भी कहर ढा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के ऊपर ग्रीष्मकालीन मानसून वर्षा (जून से सितंबर) में 1951 से 2015 तक लगभग छह प्रतिशत की गिरावट आई है, जो भारत-गंगा के मैदानों और पश्चिमी घाटों पर चिंताजनक हालात तक घट रही है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्मियों में मानसून के मौसम के दौरान सन्‌ 1951-1980 की अवधि की तुलना में वर्ष 1981–2011 के दौरान 27 प्रतिशत अधिक दिन सूखे दर्ज किए गए। इसमें चेताया गया है कि बीते छह दशक के दौरान बढ़ती गर्मी और मानसून में कम बरसात के चलते देश में सूखा-ग्रस्त इलाकों में इजाफा हो रहा है। खासकर मध्य भारत, दक्षिण-पश्चिमी तट, दक्षिणी प्रायद्वीप और उत्तर-पूर्वी भारत के क्षेत्रों में औसतन प्रति दशक दो से अधिक अल्प वर्षा और सूखे दर्ज किए गए। चिंताजनक है कि सूखे से प्रभावित क्षेत्र में प्रति दशक 1.3 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। सबसे अधिक जागरूकता की जरूरत खेती के क्षेत्र में है और वहां अभी भी किसान उसी पारंपरिक कैलेंडर के अनुसार बुआई कर रहा है।

 मानसून अब केवल भूगोल या मौसम विज्ञान नहीं है- इससे इंजीनियरिंग, ड्रेनेज, सैनिटेशन, कृषि सहित बहुत कुछ जुड़ा है। बदलते हुए मौसम के तेवर के मद्देनजर मानसून-प्रबंधन का गहन अध्ययन हमारे समाज और स्कूलों से लेकर इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में हो, जिसके तहत केवल मानसून से पानी ही नहीं, उससे जुड़ी फसलों, सड़कों, शहरों में बरसाती पानी के निकासी के माकूल प्रबंध व संरक्षण जैसे अध्याय हों। खासकर अचानक चरम बरसात के कारण उपजे संकटों के प्रबंधन पर।
 

Web Title: More rain than normal in a single week monsoon cycle worsening due to climate change

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