गंभीर चुनौती पैदा कर रहा है मादक पदार्थों का बढ़ता जाल, तस्करी में उछाल, 6 साल में 75 अरब रुपए...

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: November 12, 2024 05:46 AM2024-11-12T05:46:37+5:302024-11-12T05:48:18+5:30

Manipur violence: अमेरिका ने गोल्डन ट्राएंगल पर शिकंजा कसना शुरू किया तो नशे के सौदागरों का एक बड़ा समूह मणिपुर में घुस गया और अफीम की तस्करी करने वाले लोगों के साथ मिलकर एक शक्तिशाली गिरोह बना लिया.

Manipur violence growing drug network is posing serious challenge Meitei and Kuki communities problem drug and arms smuggling | गंभीर चुनौती पैदा कर रहा है मादक पदार्थों का बढ़ता जाल, तस्करी में उछाल, 6 साल में 75 अरब रुपए...

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Highlightsपूर्वोत्तर भारत के इस संवेदनशील प्रदेश के युवा नशे की चपेट में आ रहे हैं.भारत में मादक पदार्थों की तस्करी के लिए मणिपुर को बेहद आसान क्षेत्र समझते हैं.मणिपुर तथा म्यांमार के बीच सीमा पर 16 किलोमीटर का एक ऐसा पट्टा है जहां से मुक्त आवागमन होता है.

Manipur violence: मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जारी खूनी संघर्ष के साथ सरकार को नशीले पदार्थों तथा हथियारों की तस्करी के बढ़ते जाल से भी निपटना पड़ रहा है. मणिपुर में मौजूदा जातीय हिंसा के लिए मादक पदार्थों के कारोबार पर वर्चस्व की होड़ को भी जिम्मेदार माना जा रहा है. हिंसा में लिप्त लोगों को पकड़ने के लिए मणिपुर में बड़े पैमाने पर छापेमारी जारी है. इस अभियान के दौरान मादक पदार्थों के पूरे राज्य में फैले नेटवर्क का पता चला और यह तथ्य भी सामने आया कि पूर्वोत्तर भारत के इस संवेदनशील प्रदेश के युवा नशे की चपेट में आ रहे हैं.

मणिपुर में मादक पदार्थों की तस्करी में उछाल का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2017 से 2020 के बीच राज्य में 20 अरब रुपए के मादक पदार्थ जब्त किए गए थे. 2020 से 2023 के बीच यह आंकड़ा बढ़कर 55 अरब रुपए तक पहुंच गया. मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा का नया दौर शुरू होने के बाद भी मादक पदार्थों के कारोबार में कोई कमी नहीं आई है.

यह तथ्य भी सामने आया है कि हिंसा में लिप्त समुदाय युवाओं को ड्रग्स का लालच दिखाकर अपने खेमे में शामिल कर हथियारों का प्रशिक्षण देते हैं एवं उन्हें हिंसा के लिए प्रेरित करते हैं. मणिपुर गोल्डन ट्राएंगल जैसे कुख्यात गलियारे के पास स्थित है. इस गलियारे से पूरे एशिया में और भारत और पूर्वोत्तर राज्यों में मादक पदार्थों की तस्करी होती है.

मादक पदार्थों के कारोबार पर नकेल कसने के लिए अमेरिका ने गोल्डन ट्राएंगल पर शिकंजा कसना शुरू किया तो नशे के सौदागरों का एक बड़ा समूह मणिपुर में घुस गया और अफीम की तस्करी करने वाले लोगों के साथ मिलकर एक शक्तिशाली गिरोह बना लिया. म्यांमार में सक्रिय नशे के तस्कर भारत में मादक पदार्थों की तस्करी के लिए मणिपुर को बेहद आसान क्षेत्र समझते हैं.

मणिपुर तथा म्यांमार के बीच सीमा पर 16 किलोमीटर का एक ऐसा पट्टा है जहां से मुक्त आवागमन होता है. इस फ्री-जोन में आने-जाने के लिए किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं पड़ती और न ही कोई जांच-पड़ताल होती है. यहां से मादक पदार्थों की तस्करी बहुत आसानी से हो जाती है. पूर्वोत्तर में सक्रिय मादक पदार्थों के इन तस्करों का गठजोड़ उत्तर तथा पश्चिम भारत के मादक पदार्थों के तस्करों के साथ हो गया है. अब वे लोग साथ मिलकर पूरे भारत में ड्रग्स की सप्लाई करते हैं. भारत में पिछले एक दशक में नाइट लाइफ तथा पब संस्कृति तेजी से बढ़ी है.

यह संस्कृति नशे के कारोबारियों के लिए वरदान साबित हो रही है. रात-रातभर चलने वाली पब पार्टियों, फार्म हाउसों में होने वाली पार्टियों में युवा पीढ़ी मादक पदार्थों का जमकर सेवन करती है. 2021 में गुजरात के मुंद्रापोर्ट में 21 हजार करोड़ रुपए की हेरोइन जब्त होने के बाद नशे के बढ़ते जाल की पहली स्पष्ट झलक मिली और उसके बाद से देशभर में मादक पदार्थों की तस्करी के विरुद्ध व्यापक अभियान चलाया जाने लगा. उसके फलस्वरूप भोपाल, दिल्ली, चंडीगढ़, अहमदाबाद, जयपुर, हैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई जैसे बड़े शहरों में नशे के सौदागरों के नेटवर्क का पता चला.

इन शहरों में नाइट लाइफ, पब तथा रेव पार्टी संस्कृति के चलते मादक पदार्थों की तस्करी तेजी से बढ़ी. प्रसिद्ध अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या की जांच से यह तथ्य भी सामने आया कि बॉलीवुड तक नशे का कारोबार फैला हुआ है. ड्रग्स के विरुद्ध जांच का दायरा बढ़ते-बढ़ते दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग तक पहुंच गया और जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.

भारतीय फिल्म जगत में भी नशे का कारोबार गहरी जड़ें जमा चुका है लेकिन कोई बड़ी मछली अब तक हाथ नहीं लग सकी है. छोटे शहरों से लेकर महानगरों तक शिक्षा संस्थाओं के आसपास मादक पदार्थों के तस्करों के एजेंट मंडराते रहते हैं. वे छात्रों से मित्रता कर उन्हें ड्रग्स का आदी बना देते हैं. शिक्षा संस्थाओं के आसपास फैले इस जाल को भी तोड़ने में अब तक सफलता हाथ नहीं लगी है.

भारत में आतंकवादियों की घुसपैठ करवाकर अराजकता फैलाने की साजिश रच रहा पाकिस्तान अब हमारे खिलाफ मादक पदार्थों को भी बड़ा हथियार बना रहा है. भारत में ड्रग्स की तस्करी का सबसे बड़ा जरिया पाकिस्तान बन गया है. उत्तर में पंजाब तथा हरियाणा और पश्चिम में गुजरात एवं राजस्थान की सीमा से भारत में बड़े पैमाने पर ड्रग्स की खेप आ रही है.

पाकिस्तान तथा म्यांमार के तस्करों ने इस कारोबार में भारत के खिलाफ हाथ मिला लिया है. इससे पूर्वोत्तर से भी मादक पदार्थों की तस्करी बढ़ गई है. मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ भारत में सख्त कानून हैं लेकिन वे ज्यादा प्रभावी सिद्ध नहीं हो पा रहे हैं.

तस्करों के गिरोह के सरगना सीमा पार के देशों में बैठे हुए हैं. इसीलिए उन पर हाथ डालना संभव नहीं हो पा रहा है. भारत में उनके एजेंट के रूप में सक्रिय बड़ी मछलियों का अब तक हाथ न आना भी आश्चर्यजनक है. नशे के इस जाल को फैलने से रोका नहीं गया तो उसके गंभीर दुष्परिणाम देश को भुगतने पड़ सकते हैं.

Web Title: Manipur violence growing drug network is posing serious challenge Meitei and Kuki communities problem drug and arms smuggling

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