Manipur Crisis: इंटरनेट बंद करने से समस्या नहीं सुलझने वाली है, पिछले 2 साल से शांति कभी रही भी नहीं

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: June 10, 2025 05:17 IST2025-06-10T05:17:48+5:302025-06-10T05:17:48+5:30

Manipur Crisis: ताजा हिंसा इस बात को लेकर फैली है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने कानन सिंह नाम के मैतेयी नेता को क्यों गिरफ्तार किया?

Manipur Crisis live Shutting down internet won't solve problem no peace last 2 years | Manipur Crisis: इंटरनेट बंद करने से समस्या नहीं सुलझने वाली है, पिछले 2 साल से शांति कभी रही भी नहीं

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Highlights मैतेयी प्रदर्शन कर रहे हैं, हिंसा पर उतारू हो गए हैं तो यह चिंता की बात है.लोगों से आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि ये राज्य में शांति लाना चाहेंगे.मतलब है कि दोनों ही समुदायों का नेतृत्व ऐसे हाथों में है जो आपराधिक प्रवृत्ति के हैं.

Manipur Crisis: मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है. कई जिलों में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है. कर्फ्यू भी लगाया गया है. इसके साथ ही कई जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. वैसे पिछले दो साल से वहां शांति कभी रही भी नहीं, पूरे राज्य में सामाजिक तनाव की स्थिति बरकरार रही है. इसका समाधान कौन तलाशेगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है. मैतेयी और कुकी समुदाय के बीच जानलेवा दुश्मनी ने मणिपुर को तबाह करके रख दिया है. ताजा हिंसा इस बात को लेकर फैली है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने कानन सिंह नाम के मैतेयी नेता को क्यों गिरफ्तार किया?

कानन सिंह मैतेई संगठन, अरामबाई तेंगगोल का नेता है. वास्तव में वह कई हिंसक कार्रवाइयों में शामिल रहा है जिनमें अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मोइरंगथेम अमित के घर पर हमला और पिछले साल राज्य सरकार के एक अधिकारी के अपहरण का आरोप भी शामिल है. ऐसे आपराधिक चरित्र के किसी व्यक्ति के लिए यदि मैतेयी प्रदर्शन कर रहे हैं, हिंसा पर उतारू हो गए हैं तो यह चिंता की बात है.

बात केवल मैतेयी की ही नहीं है. आपको याद होगा कि इसी महीने कुकी नेशनल आर्मी के नेता कामगिंगथांग गंगटे को गिरफ्तार किया गया था, जिस पर एसडीपीओ चिंगथम आनंद की हत्या का आरोप है. इसका मतलब है कि दोनों ही समुदायों का नेतृत्व ऐसे हाथों में है जो आपराधिक प्रवृत्ति के हैं. ऐसे लोगों से आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि ये राज्य में शांति लाना चाहेंगे.

दूसरी बात जो बार-बार कही जाती है कि मैतेयी और कुकी समुदाय के विभिन्न हथियारबंद संगठनों के पास कहां से अत्याधुनिक हथियार आ रहे हैं? पिछले साल सुरक्षाबलों के साथ दोनों ही समुदायों के गुटों की भिड़ंत हुई. कोई सामान्य युवा या अपराधियों का स्थानीय समूह सुरक्षा बलों से भिड़ने की हिम्मत नहीं कर सकता और न ही मुकाबला कर सकता है.

जिस पेशेवर अंदाज में दोनों समुदायों के गुट भिड़े, उससे यह बात जाहिर हो गई कि कोई ताकत उन्हें पैसा, हथियार और प्रशिक्षण जरूर दे रही है. हालांकि भारत सरकार ने अभी तक किसी भी देश का खुले तौर पर नाम नहीं लिया है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि चीन का खुफिया तंत्र इस इलाके में फैला हुआ है.

चीन, पाकिस्तान की आईएसआई और बांग्लादेश भारत के पूर्वोत्तर हिस्से में हिंसा का कोई भी अवसर हाथ से नहीं जाने देते. दुर्भाग्य की बात है कि मणिपुर हिंसा को राज्य सरकार ने जिस तरह संभालने की कोशिश की, उससे शुरुआती दौर में कुकी जनजाति के लोगों को लगा कि सरकार मैतेयी समूह के लोगों का साथ दे रही है.

वैसे ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है जो यह मानते हैं कि दोनों समुदाय के साथ जिस तरह से शांति स्थापित करने के लिए सामंजस्य बिठाना चाहिए था, नहीं बिठाया गया. जब हिंसा चरम पर थी तब एक बड़ा वर्ग मान रहा था कि मुख्यमंत्री की कुर्सी यदि बीरेन सिंह छोड़ देते तो समस्या इतनी बढ़ती ही नहीं लेकिन पता नहीं क्यों दिल्ली दरबार बीरेन सिंह के पक्ष में खड़ा रहा.

हिंसा के डेढ़ साल बाद उन्होंने इस्तीफा दिया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. राष्ट्रपति शासन लगने के बाद हालात में थोड़े बदलाव तो आए और कानून के गुनहगारों पर कार्रवाई भी शुरू हुई लेकिन आज भी हजारों की संख्या में मैतेई और कुकी समुदाय के लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं. बहुत सारे लोग तो पड़ोसी राज्यों में शरण लिए हुए हैं.

पिछले दो साल की हिंसा में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. पूरा देश पूछ रहा है कि हमारे इस खूबसूरत राज्य में शांति कब लौटेगी? ...लेकिन इस सवाल का जवाब कोई देने को तैयार नहीं है. कई बार तो ऐसा लगता है कि जानबूझ कर मणिपुर को जलता छोड़ दिया गया है कि जितना जलना हो, जल जाओ! लेकिन यह रवैया समस्या के समाधान का तरीका नहीं है.

हमारा पूर्वोत्तर का हिस्सा वैसे भी बहुत संवेदनशील है. इसकी समस्याओं को संवेदनशीलता के साथ ही हल करना होगा. जहां सख्ती की जरूरत है, जरूर कीजिए. इंटरनेट बंद करना हो, वो भी कीजिए लेकिन समस्या का समाधान तो हो! मणिपुर आखिर और कितना इंतजार करेगा...?

Web Title: Manipur Crisis live Shutting down internet won't solve problem no peace last 2 years

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