अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी के देश में बढ़ती हिंसा के लिए कौन जिम्मेदार है?
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: October 2, 2018 04:56 PM2018-10-02T16:56:07+5:302018-10-02T16:56:07+5:30
महात्मा गांधी का जन्म दो अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को दिल्ली में हुई थी।
अश्वनी कुमार
आज दो अक्तूबर को, हर वर्ष की तरह कृतज्ञ राष्ट्र अपने राष्ट्रपिता को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। इस अवसर पर, देश की वर्तमान स्थिति देखते हुए अपने अंतर्मन में झांककर हमको यह सोचना होगा कि क्या बापू के उस रामराज्य की कल्पना, जिसकी नींव सामाजिक न्याय, सौहार्द और समानता की बुनियाद पर रखी गई थी, को हम साकार कर सके हैं।
क्या स्वतंत्र भारत में हम देशवासियों के मूल मानवीय अधिकारों की सुरक्षा कर सके हैं और क्या वंचित एवं पिछड़े वर्गो को आर्थिक एवं सामाजिक न्याय दिलवा सके हैं?
यह प्रश्न समय समय पर उठते रहे हैं परंतु अनेक सतह पर बढ़त के बावजूद हम बापू की कल्पना के न्यायसंगत समाज और शासन की परिकल्पना को परिभाषित नहीं कर सके। देश की वर्तमान स्थिति बापू के सपनों से बहुत परे है।
चारों ओर छाया भय का वातावरण, नागरिक सुरक्षा का अभाव, सांप्रदायिक ताकतों का उदय, उन्माद का माहौल, मानव अधिकारों का हनन, बुद्धिजीवियों की प्रताड़ना, जातिवाद को लेकर हिंसा, आर्थिक असमानता, दलितों का शोषण, महिलाओं से बलात्कार, बच्चों का शोषण, बुजुर्गो का निरादर, किसानों की आत्महत्याएं, सरकारों की दमनकारी प्रवृत्ति, संवैधानिक सिद्धांतों की अवमानना एक सभ्य समाज और देश का दर्शन तो नहीं हो सकते।
गांधी के देश में हिंसा
गांधीजी का जन्मदिवस, अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है परंतु उनके अपने ही देश में हिंसा की घटनाएं और प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।
प्रधानमंत्री, जो अपने आपको महात्मा गांधी का अनुयायी मानते हैं, को स्वीकार करना होगा कि रामराज्य की स्थापना राजधर्म के पालन बिना असंभव है।
भारत के प्रत्येक नागरिक की शान और सम्मान सुनिश्चित करना ही सर्वोत्तम राजधर्म है जिसके लिए विशाल हृदय और ऊंची सोच आवश्यक है।