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अवधेश कुमार का ब्लॉगः आखिर क्यों आया ऐसा चुनाव परिणाम

By अवधेश कुमार | Updated: October 25, 2019 09:14 IST

भाजपा का प्रदर्शन उसकी उम्मीद के मुताबिक ज्यादा बेहतर हो सकता था यदि उसने उम्मीदवारों के चयन में सतर्कता बरती होती तथा राज्य एवं स्थानीय स्तर पर पार्टी के अंदर के असंतोष के शमन का कदम उठाया होता. विधानसभा चुनावों में जीत हार में स्थानीय मुद्दों और उम्मीदवारों की भी भूमिका होती है. 

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प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने पिछले विधानसभा चुनावों के बाद महाराष्ट्र एवं हरियाणा में क्रमश: देवेंद्र फडणवीस और मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्नी बनाकर पूरे देश को चौंकाया था. दोनों ने अपना कार्यकाल पूरा किया. दोनों मुख्यमंत्रियों पर तो भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं ही लगा, सरकार भी भ्रष्टाचार के किसी बड़े पुष्ट आरोप से मुक्त रही. दोनों प्रदेशों की अर्थ दशा भी राष्ट्रीय औसत से बेहतर है. राष्ट्रीयत्व, हिंदुत्व के मुद्दों का असर दोनों प्रदेश पर समान होना चाहिए था. अनुच्छेद 370 तथा जम्मू-कश्मीर को संभालने का मुद्दा देशव्यापी है लेकिन हरियाणा के लिए इसका विशेष मायने इस रूप में था कि वहां शहीद होने वालों में हरियाणवी जवान दूसरे नंबर पर थे.

भाजपा का प्रदर्शन उसकी उम्मीद के मुताबिक ज्यादा बेहतर हो सकता था यदि उसने उम्मीदवारों के चयन में सतर्कता बरती होती तथा राज्य एवं स्थानीय स्तर पर पार्टी के अंदर के असंतोष के शमन का कदम उठाया होता. विधानसभा चुनावों में जीत हार में स्थानीय मुद्दों और उम्मीदवारों की भी भूमिका होती है. 

मनोहर सरकार के ज्यादातर मंत्रियों को लोगों का एक तबका बेहतर प्रदर्शन करने वाला नहीं मान रहा था. स्वयं खट्टर के व्यवहार की पार्टी कार्यकर्ता और नेता आलोचना करते थे. उनके और कई मंत्रियों के व्यवहार में अहंकार की शिकायत केंद्रीय नेतृत्व से भी की गई,  पर कोई अंतर नहीं पड़ा. कई क्षेत्नों में लोग स्थानीय विधायक तथा उम्मीदवारों के प्रति असंतोष प्रकट करते थे. 

भाजपा के सदस्य और स्थानीय पदाधिकारी साफ कह रहे थे कि उम्मीदवारों के चयन में गलतियां हुई हैं. अगर चुनाव में किसी पार्टी के कार्यकर्ता और स्थानीय पदाधिकारी नाराज या निरुत्साहित हो जाएं तो फिर उसका बेहतर प्रदर्शन करना मुश्किल होता है. 

कार्यकर्ता और नेता ही जमीन पर काम कर पक्ष में माहौल निर्माण करते हैं. वे ही मतदान के दिन अपने मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाते हैं. दोनों राज्यों में भाजपा के अंदर असंतोष था. महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ गठबंधन के कारण कुछ विधानसभा क्षेत्नों में विद्रोह हुआ. भाजपा का एक तबका विधानसभा चुनाव में शिवसेना से गठबंधन नहीं चाहता था.

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