महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के संकेत?, 65 निवर्तमान विधायकों और बड़े नेताओं का हारना सामान्य नहीं
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: November 25, 2024 05:45 AM2024-11-25T05:45:53+5:302024-11-25T05:47:10+5:30
Maharashtra Election Results 2024 Updates: 288 सीटों वाली विधानसभा में कोई ऐसा परिक्षेत्र नहीं है, जहां महागठबंधन को सफलता नहीं मिल पाई हो. करीब 65 निवर्तमान विधायकों और अनेक बड़े नेताओं का हारना सामान्य नहीं है.
Maharashtra Election Results 2024 Updates: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राज्य के सत्ताधारी गठबंधन महागठबंधन ने अपनी अप्रत्याशित जीत दर्ज कर जहां अपने समर्थकों को खुश कर दिया है, वहीं दूसरी ओर उसके आलोचकों को यह विजय गले नहीं उतर रही है. इसकी सीधी वजह यही है कि जिस तरह और जिस स्तर पर जाकर सत्ताधारियों के खिलाफ प्रचार किया गया था, उससे एकतरफा नतीजों की उम्मीद तो एक्जिट पोल्स तक को नहीं थी. किंतु हरियाणा विधानसभा चुनाव की तरह ही जनता का फैसला अनुमानों से कहीं परे सामने आया.
इनमें राज्य की 288 सीटों वाली विधानसभा में कोई ऐसा परिक्षेत्र नहीं है, जहां महागठबंधन को सफलता नहीं मिल पाई हो. करीब 65 निवर्तमान विधायकों और अनेक बड़े नेताओं का हारना सामान्य नहीं है. यही नहीं, राज्य के राजनीतिक घरानों के सदस्यों को भी पराजय का मुंह देखने के लिए मजबूर होना अचानक नहीं हुआ.
लोकसभा चुनाव में एक निर्दलीय के साथ 31 सीटें जीतने वाली महाविकास आघाड़ी केवल 46 सीटों पर ही अटक गई. वहीं, 17 लोकसभा सीट जीतने वाला महागठबंधन 230 सीटों तक पहुंच गया. यह साफ करता है कि लोकसभा चुनाव से बना माहौल आघाड़ी बरकरार नहीं रख पाई. उसे अपने कार्य को जितना विस्तार देना था, उसने नहीं दिया और जमीनी आधार कमजोर होने से अनेक स्थानों पर बहुत कम मतों से पराजय का सामना करना पड़ा. वहीं महागठबंधन ने अपनी हार से सीख लेकर अपनी जड़ों को मजबूत करने के लिए प्रयास किए, जिनके नतीजे सामने हैं.
अब सफलता के साथ आगे बढ़ने की नई राह बन चली है, जिस पर मतदाताओं की अपेक्षाओंं का अनंत सिलसिला मिलने की संभावना है. राज्य सरकार ने सीधे आर्थिक लाभ पहुंचाने की योजनाएं चुनावी फार्मूले के रूप में तैयार तो की थीं, लेकिन तिजोरी की हालत को देखते हुए उन्हें बनाए रखना कठिन कार्य है.
इसी प्रकार किसानों की पैदावार हो या बेरोजगारी का मुद्दा और उनसे आगे आरक्षण की मांग से निपटना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. हालांकि बड़े बहुमत से बनने वाली सरकार की निर्णय क्षमता बढ़ जाती है, किंतु आम सहमति से किसी भी नतीजे पर पहुंचना ही सरकार का प्रयास होना चाहिए. फिलहाल खुशियों के साथ राज्य की अपनी चिंताएं हैं, जिन पर समाधान अपेक्षित है.
चुनावी हार-जीत के बाद सरकार का वास्तविकता के धरातल पर असली मंत्र सबका साथ और सबका विकास ही होना चाहिए, क्योंकि इतने बड़े बहुमत के आगे बहुत से विरोधी बौने भी नजर आ सकते हैं. महाराष्ट्र में विकास की अनंत संभावनाएं हैं, जिन्हें स्वच्छ और ईमानदार सरकार के माध्यम से प्रत्यक्ष बनाया जा सकता है.
अनेक समस्याएं जैसे पानी, कृषि उपज के लिए आवश्यक कारगर नीतियां बनाकर राज्य की बड़ी आबादी को राहत पहुंचाई जा सकती है. फिलहाल राज्य के मतदाता ने ढाई साल की सरकार के कामकाज को देखकर अगले पांच साल के लिए अपना मत दिया है, जिसे विचार और विकास की अपेक्षाओं पर खरा उतरना चाहिए. तभी इस बंपर जीत के सही मायने निकाले जा सकते हैं.