काकोरी कांड ने देश को जगाया था

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 10, 2019 01:04 AM2019-08-10T01:04:14+5:302019-08-10T01:04:14+5:30

नौ अगस्त 1925 को हुए काकोरी कांड के ही दिन के 17 वर्ष बाद 1942 में महात्मा गांधी ने ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ आंदोलन की घोषणा की थी

Kakori scandal aroused the nation | काकोरी कांड ने देश को जगाया था

काकोरी कांड ने देश को जगाया था

(लेखक-निरंकार सिंह)

नौ अगस्त 1925 को हुए काकोरी कांड के ही दिन के 17 वर्ष बाद 1942 में महात्मा गांधी ने ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ आंदोलन की घोषणा की थी. इसी दिन क्रांतिकारी भी काकोरी कांड दिवस मना रहे थे, जो भारत छोड़ो आंदोलन में भी शामिल हो गए थे. भारत के स्वाधीनता आंदोलन में काकोरी कांड की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

लेकिन इसके बारे में बहुत ज्यादा जिक्र सुनने को नहीं मिलता है. इसकी वजह है कि इतिहासकारों ने काकोरी कांड को बहुत ज्यादा अहमियत नहीं दी. लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि काकोरी कांड ही वह घटना थी जिसके बाद देश में क्रांतिकारी पहले से ज्यादा लोकप्रिय होने लगे. 

स्वाधीनता आंदोलन का 1923 का दौर समाप्त होने के बाद भारत के मध्यमवर्गीय क्रांतिकारी नौजवानों में राष्ट्रीय आंदोलन के तत्कालीन नेतृत्व के प्रति असंतोष बढ़ता गया. इसी के परिणामस्वरूप यदि कांग्रेस के अंदर सुभाषचंद्र बोस के नेतृत्व में गरम दल का उदय हुआ, तो कांग्रेस के बाहर क्रांतिकारी संगठनों का. पंजाब, उत्तर प्रदेश तथा बंगाल में क्रांतिकारी गतिविधियां 1924 से ही प्रारंभ हो गई थीं. 1925 में नौ अगस्त के दिन लखनऊ के निकट काकोरी ट्रेन डकैती की घटना हुई, जिसके तीन अभियुक्तों राम प्रसाद बिस्मिल, रोशन लाल तथा अशफाक उल्ला को फांसी की सजा हुई. इस ट्रेन डकैती से जुड़े अन्य क्रांतिकारियों ने चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में ‘हिंदुस्तान समाजवादी गणतांत्रिक सेना’ की स्थापना की. 

साइमन आयोग के बहिष्कार आंदोलन के दौर में लाला लाजपत राय की मृत्यु से क्रांतिकारी अत्यंत क्रोधित थे. सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी अजित सिंह के भतीजे भगत सिंह ने लाला लाजपत राय पर लाठी चलवाने वाले सांडर्स की गोली मार कर हत्या कर दी. इन क्रांतिकारियों का विचार था कि देश को क्रांति के  मार्ग से ही आजादी मिल सकती है.

भगत सिंह की शहादत ने उन्हें इस दौर का नायक बना दिया था. लाहौर षड्यंत्र के खुलने के बाद सरकार अत्यंत सचेत हो गई तथा उसने जगह-जगह से क्रांतिकारियों को गिरफ्तार करना प्रारंभ कर दिया. फरवरी 1933 में बंगाल के महान क्रांतिकारी मास्टर दा (सूर्यसेन) को गिरफ्तार कर फांसी दे दी गई. इसमें संदेह नहीें कि इन क्रांतिकारियों के साहसिक कारनामों ने जनचेतना को आंदोलित कर दिया था.

Web Title: Kakori scandal aroused the nation

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