जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: नोट बदली से बैंकों में नकदी बढ़ना आम आदमी के लिए लाभप्रद

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: June 3, 2023 04:02 PM2023-06-03T16:02:25+5:302023-06-03T16:07:09+5:30

हम उम्मीद करें कि 23 मई से बैंकों में जिस तरह संतोषप्रद तरीके से 2000 रुपए के नोटों की वापसी हो रही है और स्टेट बैंक की इकोरैप रिपोर्ट के मुताबिक करीब 80 फीसदी लोग अपने 2000 रुपए के नोटों को बैंकों में जमा कराने का विकल्प चुन रहे हैं, उससे बैंकों में नकदी बढ़ना आम आदमी के लिए लाभप्रद होगा।

Jayantilal Bhandari's blog Increase in cash in banks due to currency exchange is beneficial for the common man | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: नोट बदली से बैंकों में नकदी बढ़ना आम आदमी के लिए लाभप्रद

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlights 23 मई से लोग बैंकों में अपने 2000 रुपयों के नोटों को जमा करा रहे हैंऐसे में बैंकिंग प्रणाली में नकदी बढ़कर एक लाख करोड़ रुपए से अधिक होने की उम्मीद हैवर्ष 2026 तक भारत में हर तीन में दो लेनदेन डिजिटल होंगे

नई दिल्ली: हाल ही में 30 मई को एसबीआई की रिपोर्ट ‘इकोरैप’ में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा 2000 रुपए के नोटों के चलन से वापस लिए जाने के फैसले के बाद जिस तरह 23 मई से लोग बैंकों में अपने 2000 रुपयों के नोटों को जमा करा रहे हैं, उससे बैंकों में नकदी बढ़ना लाभप्रद है।

ज्ञातव्य है कि आरबीआई के निर्देशानुसार 23 मई से लेकर 30 सितंबर तक 2 हजार रुपए के नोटों को बैंक खातों में जमा कराया जा सकेगा या ये नोट बैंकों में जाकर छोटे मूल्य के नोटों के रूप में बदले जा सकेंगे। ऐसे में इको रैप की नई रिपोर्ट के तहत रुझान बताता है कि बैंकों में प्राप्त कुल 2,000 रुपए के नोटों में से लगभग 80 प्रतिशत जमा किए गए हैं और शेष 20 प्रतिशत को छोटे मूल्य के नोटों से बदला गया है।

यदि नोटों के जमा होने का ऐसा मौजूदा अनुमान ही बना रहता है और 30 सितंबर तक 2,000 रुपए के अधिकांश नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस आ जाएंगे तो ऐसे में बैंकिंग प्रणाली में नकदी बढ़कर एक लाख करोड़ रुपए से अधिक होने की उम्मीद है। चूंकि अब तक कर्ज की तुलना में बैंक डिपॉजिट कम होने से बैंकों के पास लिक्विडिटी की कमी थी। इसलिए बैंक डिपॉजिट आकर्षित करने के लिए फिक्स डिपॉजिट (एफडी) पर आकर्षक ब्याज दे रहे थे। आरबीआई का रेपो रेट अभी 6.50 प्रतिशत है। मई 2022 से फरवरी 2023 तक इसमें 2.50 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हो चुकी है। इसी के मुताबिक बैंकों ने भी होम लोन और पर्सनल लोन पर ब्याज दरें बढ़ाई हैं। लेकिन अब 2000 रुपए के नोट जमा होने पर बैंकों के पास लिक्विडिटी की कमी का संकट कम हो जाएगा और ऐसे में वे एफडी की दरें बढ़ाना बंद कर सकते हैं।

इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि एक ओर 2016 में नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट में लगातार वृद्धि हुई, नोटबंदी के साथ बेहतर इंटरनेट की व्यवस्था और स्मार्टफोन के व्यापक विस्तार के साथ-साथ कोविड महामारी और डिजिटलीकरण से जीवन को आसान करने वाली सरकारी योजनाओं ने भी डिजिटल पेमेंट को बढ़ाया है। रिपोर्टों के मुताबिक अब वर्ष 2026 तक भारत में हर तीन में दो लेनदेन डिजिटल होंगे, वहीं दूसरी ओर नकदी पर लोगों की निर्भरता भी पहले से कहीं ज्यादा हो गई है। देश में नोटबंदी से पहले करीब 17.74 लाख करोड़ रुपए की मुद्रा चलन में थी, जो अब बढ़कर करीब 32.42 लाख करोड़ रुपए हो गई है। हम उम्मीद करें कि 23 मई से बैंकों में जिस तरह संतोषप्रद तरीके से 2000 रुपए के नोटों की वापसी हो रही है और स्टेट बैंक की इकोरैप रिपोर्ट के मुताबिक करीब 80 फीसदी लोग अपने 2000 रुपए के नोटों को बैंकों में जमा कराने का विकल्प चुन रहे हैं, उससे बैंकों में नकदी बढ़ना आम आदमी के लिए लाभप्रद होगा।

Web Title: Jayantilal Bhandari's blog Increase in cash in banks due to currency exchange is beneficial for the common man

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