मानवीयता से भरपूर सुरों की सखी, राही भिडे का ब्लॉग

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 18, 2021 03:13 PM2021-06-18T15:13:02+5:302021-06-18T15:30:20+5:30

ज्योत्सना जी अलग मिट्टी की बनी थीं. मायके तथा ससुराल की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिष्ठा की विशाल छाया में उन्होंने अपनी स्वतंत्र पहचान बनाई

Jayanti special Jyotsana Jain lokmat sakhi manch humanity political social cultural heritage Rahi Bhide's blog | मानवीयता से भरपूर सुरों की सखी, राही भिडे का ब्लॉग

‘लोकमत’ के माध्यम से ‘लोकमत सखी मंच’ की स्थापना की. (फाइल फोटो)

Highlightsज्योत्सना जैन को अपने मायके में ही सामाजिक तथा राजनीतिक कार्यों की विरासत प्राप्त हुई थी.सन 1991 में जैन सहेली मंडल की स्थापना कर दिखाई. मंच पर आनंदजी वीरजी शाह, हरिहरन, सोनू निगम सहित संगीत की दुनिया के दिग्गज मौजूद थे.

जलगांव की मिट्टी में जन्मी, खानदेश के संस्कारों में रंगकर बड़ी हुईं ज्योत्सना जैन कांग्रेस के दिग्गज नेता, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय श्री जवाहरलाल दर्डा उर्फ बाबूजी की बहू एवं पूर्व सांसद, लोकमत पत्र समूह के एडिटोरियल बोर्ड के चेयरमैन विजयबाबू दर्डा की धर्मपत्नी बनकर दर्डा परिवार में आईं.

उन्होंने दोनों परिवारों की राजनीतिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विरासत एवं उनकी प्रतिष्ठा को सहजता से अंगीकार किया. ज्योत्सना नाम में ही एक कोमलता, स्नेहभाव रचा-बसा हुआ था. ज्योत्सना जी के इन विलक्षण गुणों का अनुभव दर्डा परिवार के साथ-साथ लोकमत परिवार के प्रत्येक सदस्य को हुआ. जैन परिवार से विदा होते वक्त ही वह राजनीतिक विरासत साथ लेकर दर्डा परिवार में आई थीं.

ससुराल में भी बाबूजी की राजनीतिक प्रतिष्ठा और विदर्भ की मिट्टी की अनोखी मिठास के एहसास के साथ कोई और सामान्य महिला घर की चारदीवारी के भीतर सिमट जाती या ज्यादा से ज्यादा घर में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में घर के सामाजिक व राजनीतिक गौरव को सहेजने में व्यस्त रहती. इस माहौल के बीच कोई भी स्त्री अपने जीवन का आनंदोत्सव मनाने में मग्न रहती.

मगर ज्योत्सना जी अलग मिट्टी की बनी थीं. मायके तथा ससुराल की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिष्ठा की विशाल छाया में उन्होंने अपनी स्वतंत्र पहचान बनाई. कई बार विशाल वृक्ष के नीचे छोटे पेड़ पनपते ही नहीं, उनका अस्तित्व सिमटता जाता है. मगर इस बड़े वृक्ष की विराटता एवं घनी छाया ने अपने स्नेहयुक्त आलिंगन में आसपास के लोगों को फलने-फूलने का मौका दिया.

इसी घनी छाया में खड़ी होकर ज्योत्सना भाभी अपने भीतर छुपी संगीत की प्रतिमा को सहेज कर रख रही थीं. संगीत के अनुशासन का पालन करते हुए उन्होंने रियाज की समाधि अवस्था को कभी भंग नहीं होने दिया. अपने मन के एक कोने में मायके से आंचल में गांठ बांधकर लाए गए गानों के प्रति उनमें प्यार का सागर लहराता था.

अपनी मौत से कुछ कदम दूर होते हुए भी संगीत की यह अनन्य साधिका रियाज करने के बाद ही अपने जीवन की अंतिम यात्र के लिए मुंबई रवाना हुई. भजन-गीतों की सुरीली लड़ियों को बेहद खूबसूरती से पिरोती थीं ज्योत्सना भाभी. इन गीतों को इस कला की साधिका ने दिल की गहराइयों के साथ कागज पर उतारा. ज्योत्सना भाभी का कलाकार होना, उनके मनस्वी होने का प्रथम लक्षण था.

युवावस्था में ज्योत्सना जैन को अपने मायके में ही सामाजिक तथा राजनीतिक कार्यों की विरासत प्राप्त हुई थी परंतु वहां भी अपने स्वतंत्र अस्तित्व को दर्शाने की उत्कंठा के कारण उन्होंने सन 1991 में जैन सहेली मंडल की स्थापना कर दिखाई. इससे सामाजिक कार्यों के प्रति उनकी लगन झलकती है. सामाजिक कार्य की यह विरासत वह मायके से अपने साथ लाईं.

दर्डा परिवार की माटी में रंगते हुए विजय बाबू जैसे मित्रवत पति उनके साथ थे ही, मगर उनके साथ ही उन्होंने देवेंद्र तथा पूर्वा की मां के रूप में मातृत्व का आनंद लिया और इस आनंद से पूरे परिवार को सराबोर किया. बच्चे बड़े हो गए, उड़ान के लिए उनके पंख शक्तिशाली हो गए, तब बेटी बचाओ अभियान हो या विविध सामाजिक उपक्रम, भाभी ने घर के भीतर और बाहर की जिम्मेदारियों का निर्वहन बेहतरीन तालमेल के साथ किया. इसी के साथ उन्होंने ‘लोकमत’ के माध्यम से ‘लोकमत सखी मंच’ की स्थापना की.

भाभीजी के कार्य का दायरा बड़े पैमाने पर फैलता चला गया और उनके व्यक्तित्व का वैशिष्टय़ रेखांकित होने लगा. लोकमत सखी मंच के माध्यम से जो-जो सखी उनके संपर्क में आईं, उनसे भाभीजी का अटूट स्नेह बंधन जुड़ गया. मैंने जब से ‘लोकमत’ में काम करना शुरू किया, तब से भाभीजी के साथ मैं भी स्नेह बंधन में जुड़ गई.

मुंबई में हाल ही में षण्मुखानंद हॉल में गाने की भावविभोर कर देने वाली सुरलहरियां कानों में पड़ रही थीं. मंच पर ज्योत्सना भाभी का मनमोहक चित्र उंगलियां थामे मुझे उनसे जुड़ी कई यादों की ओर ले जा रहा था. मंच पर आनंदजी वीरजी शाह, हरिहरन, सोनू निगम सहित संगीत की दुनिया के दिग्गज मौजूद थे.

विजयबाबू पत्नी के मन में बसे गाने को उनके बाद भी अपने दिल में सहेज रहे थे, उसका एक बेहद मनोहारी पल मैं देख रही थी. इन अंतरंग निजी पलों को सहेजते हुए नित नई कल्पनाओं और दूरदृष्टि के साथ प्राथमिकता के आधार पर मजबूती के साथ काम को विजयबाबू प्राथमिकता देते हैं. बाबूजी के बाद विजयबाबू ही लोकमत का मजबूत आधार स्तंभ हैं.

भाभीजी के संगीत प्रेम के प्रति आदरभाव व्यक्त करने के लिए, उनकी संगीत स्मृति के जतन के लिए विजयबाबू ने लोकमत सुर ज्योत्सना राष्ट्रीय पुरस्कार की योजना तैयार करके उसे साकार भी किया. बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरने के बाद पूरे देश में दंगे भड़क गए थे. मुंबई में माहौल बहुत ज्यादा तनावपूर्ण था, ऐसे में मुङो मुंबई जाना था, नागपुर स्टेशन पर जाना था, लेकिन जाऊं कैसे? सबकुछ ठप हो गया था.

मैंने उसी मन:स्थिति में ज्योत्सना भाभी को फोन किया. उन्हें बताया कि मुङो स्टेशन जाने के लिए गाड़ी चाहिए. उन्होंने न केवल गाड़ी भेजी बल्कि इस बात की भी पुष्टि कर ली कि ट्रेन बंद तो नहीं हुई, रास्ते में कोई परेशानी तो नहीं आएगी न? साथ आए गाड़ी के ड्राइवर के हाथों मेरे लिए खाने का डिब्बा और पानी की बोतल भी भिजवाई. मुझे लगा भाभीजी ने डिब्बा बेवजह ही भेज दिया.

मैंने रास्ते में कुछ खा ही लिया होता. भाभीजी की आत्मीयता देखकर मन भर आया. मैं विदर्भ एक्सप्रेस में सवार हुई. अपने सेकंड एसी के डिब्बे में मैं अकेली ही थी और दूर मुङो एक मध्यमवर्गीय जोड़ी दिखी. मैं उनके पास जाकर बैठ गई. आसपास कोई भी नहीं था. रास्ते में गाड़ी रोकी होती तो सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं था. एक सुनसान सर्द रात थी वो.

न खान-पान का सामान बेचने वाले विक्रेता और न चाय-पानी वाले. रात धीरे-धीरे आगे सरक रही थी. देश तेजी से जलता जा रहा था. उस भयावह रात को मेरे पास ज्योत्सना भाभी द्वारा दिया गया खाने का डिब्बा और पानी की बोतल थी. यह मेरे लिए कितना बड़ा सहारा था. वह खाना और पानी मुंबई पहुंचने के लिए पर्याप्त था. रातभर नींद नहीं आई.

लेकिन भाभी ने डिब्बा और पानी नहीं दिया होता तो मेरे क्या हाल होते यह न पूछा जाए तो ही बेहतर होगा..कभी-कभी जिंदगी में ऐसे प्यार देने वाले लोग मिलते हैं, जिन्हें परिस्थिति का अंदाजा होता है. ज्योत्सना भाभी द्वारा दिखाई गई समयसूचकता और प्यार को मैं कभी नहीं भुला पाऊंगी. एक वर्ष भाभी ने सभी महिला विधायकों को एक मंच पर लाया.

उनके जीवन के  अनुभव सामान्य महिलाएं समङों और उन्हें प्रेरणा मिले, इस विचार के साथ ही इस कार्यक्रम की योजना तैयार की गई थी. मैं लोकमत परिवार की सदस्य होने के कारण मुझ पर उन सभी विधायकों को लाने और मंच पर उनका परिचय देने की जिम्मेदारी थी. लेकिन नागपुर जाने से पहले अचानक मेरी तबीयत बिगड़ गई और मुझे मुंबई में एडमिट होना पड़ा.

कार्यक्रम नजदीक आने के कारण भाभीजी ने मुझे नागपुर आने के लिए टिकट भेजा. मुङो जाना ही था, मैं बीमार होते हुए भी अस्पताल से डिस्चार्ज लेकर सीधे एयरपोर्ट पहुंची. नागपुर में मेरी तबीयत देखकर, हाथों में सलाइन की पट्टी देखकर भाभीजी को बहुत बुरा लगा. उन्होंने पूरे अधिकार के साथ मुझे डांटा.

कार्यक्रम अच्छी तरह से संपन्न हुआ, तब जाकर मुझे अच्छा लगा. इसके पीछे  भाभीजी की ममता थी. अपनी बेटी पूर्वा की शादी में मेहंदीवाली को सामने बिठाकर दोनों हाथों पर मेहंदी लगाने को मजबूर करने वाली ज्योत्सना भाभी, मुंबई में विजयबाबू ने एक स्नेह सम्मेलन का आयोजन कि या था जो रात को खत्म होने के कारण मुझे किसी और के साथ न जाने देते हुए खुद घर छोड़कर आने वाली भाभी, ऐसी कितनी ढेर सारी यादें भाभीजी की मौजूदगी से संपन्न हैं.

एक बेहद मनस्वी गायिका, लेखिका, सामाजिक जिम्मेदारी की समझ के साथ विभिन्न कार्यों में रमे मायके-ससुराल को साथ लेकर भी, पवित्र मानवीयता को जपने वाली ज्योत्सना भाभी का जीवन अनेक पहलुओं के साथ इंद्रधनुष की तरह दिखता है, इसमें कोई संदेह नहीं.

Web Title: Jayanti special Jyotsana Jain lokmat sakhi manch humanity political social cultural heritage Rahi Bhide's blog

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे