जम्मू और कश्मीरः बर्फीली पहाड़ी, प्राकृतिक सुंदरता, लाइन ऑफ कंट्रोल से महज 5 किमी की दूरी पर ‘बूटा पथरी’

By अनुभा जैन | Published: June 2, 2022 07:32 PM2022-06-02T19:32:38+5:302022-06-02T19:33:55+5:30

‘बूटा पथरी’ पूरी तरह से आर्मी या सैनिक नियंत्रण क्षेत्र है, जिसे आम जनता के लिए जम्मू कश्मीर के पर्यटन विभाग ने 2012 में खोला था।

Jammu and Kashmir Buta Pathri Snowy hills natural beauty just 5 km away from Line of Control see pics blog | जम्मू और कश्मीरः बर्फीली पहाड़ी, प्राकृतिक सुंदरता, लाइन ऑफ कंट्रोल से महज 5 किमी की दूरी पर ‘बूटा पथरी’

बर्फीली पहाड़ियों के बेहद पास सफेद धुंध भरे बादलों के बीच समुद्रतल से करीब 10 हजार फीट की ऊंचाई पर एक बेहद अनोखे अनुभव का अहसास कर रही थी।

Highlightsपर्यटन के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी नौकरी के नये अवसर मिलेंगे.जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था को और सुदृढ़ता प्रदान करेगा।कश्मीर गुलमर्ग के पास बारामुला जिले में स्थित है।

बर्फीली पहाड़ियों, घने पेड़ों में छुपी हरी भरी वादियों, कल-कल बहती नदियों जैसी प्राकृतिक सुंदरता को अपने में समेटे कश्मीर किसी जन्नत से कम नहीं है।

 

आर्टिकल 370 के हटने के बाद से अब जम्मू और कश्मीर की वादियों में आतंक की बह रही अंधाधुंध हवा पर कुछ लगाम लगने की आशा के साथ कश्मीरी अब भारत के अन्य प्रातों में रह रहे लोगों की तरह भारतीय संविधान के अधिकारों और अन्य लाभों को भी हासिल कर सकेंगे।

मई 2022 में कश्मीर यात्रा के दौरान वहां रह रहे लोगों से मैंने जब बात की तो वे सरकार के इस कदम से बेहद खुश नजर आये। उनके अनुसार अब जम्मू और कश्मीर में नई औद्योगिक इकाईयों के प्रवेश के साथ लोगों को पर्यटन के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी नौकरी के नये अवसर मिलेंगे और यह सब जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था को और सुदृढ़ता प्रदान करेगा।

श्रीनगर और जम्मू के कई इलाकों में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर मैंने आर्मी के बंकर्स, चैकपोस्ट और बंदूक ताने सैन्यकर्मियों को देखा। आतंक का साया आज भी इन हसीन वादियों पर मंडरा रहा है। ऐसा लगता है कि आने वाला समय शायद कुछ व्यवसायिक गतिविधियों के साथ इन आतंकियों पर लगाम लगा पायेगा और लोग यहां इन हसीन वादियों में कुछ खुल के सांस ले सकेंगे।  

ड्राइवर बशीर मुझे कश्मीर के एक ऐसे अनछुये बॉर्डर एरिया पर मनमोहक पर्यटक स्थल ‘बूटा पथरी’ जो लाइन ऑफ कंट्रोल से महज 5 किमी की दूरी पर है लेकर गया। यह स्थल कश्मीर गुलमर्ग के पास बारामुला जिले में स्थित है। ‘बूटा पथरी’ पूरी तरह से आर्मी या सैनिक नियंत्रण क्षेत्र है, जिसे आम जनता के लिए जम्मू कश्मीर के पर्यटन विभाग ने 2012 में खोला था।

आर्मी के स्पेशल अनुमति से ही इस क्षेत्र में किसी को भी प्रवेश दिया जाता है। अपना पहचान पत्र दिखाकर पत्रकार के तौर पर जाने की अनुमति मिली। एक निश्चित स्थल तक जिसमें सेकेंड चेक पाइंट तक ही आम नागरिकों को जाने दिया जाता है उसके बाद पूरी तरह से आर्मी के नियंत्रण स्थल में किसी भी व्यक्ति को सिवाये आर्मी के उससे आगे सुरक्षा कारणों से जाना वर्जित है।

बूटा पथरी के एक विशेष स्थान पर पहुंचने के बाद बशीर ने मुझे घुड़सवारी कर आगे सेकेंड चेक पाइंट तक जाने को कहा, क्योंकि उससे आगे गाड़ियों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध था। थोड़े हिचकिचाहट महसूस करते हुये मैं घोड़े बादल पर सवार हो बोटा पथरी के घने जंगलों, लंबे चिनार के पेड़ों के बीच से निकलते हुये बर्फीली पहाड़ियों के बेहद पास सफेद धुंध भरे बादलों के बीच समुद्रतल से करीब 10 हजार फीट की ऊंचाई पर एक बेहद अनोखे अनुभव का अहसास कर रही थी।

यहां मैंने बहुत ही अनूठे गडरियों के गांव, मजार और दरगाह को देखा। ये गडरिये करीब 6 माह इस क्षेत्र में रहते और अगले 6 माह जम्मू के किसी अन्य जगह पर चले जाते हैं। अपनी यात्रा दौरान मैं श्रीनगर की निगीन झील में हाउसबोट में भी रही। लाजवाब शाकाहारी खाने, 24 घंटे केयरटेकर जैसी सुविधाओं के साथ मेरा हाउसबोट स्टे बेहद आरामदायक व मनोरंजक रहा।

मेरा केयरटेकर राजू जो एक बंगाली अधेड़ उम्र का व्यक्ति था मेरी हर मदद के लिए तैयार रहता। शिकारा, एक छोटी नाव से हाउसबोट तक जाना हर बार मुझे उत्साहित करता था। हाउसबोट के डैक पर सुबह के नाश्ते के साथ मैंने एक ओर एकदम शांत वातावरण, चिड़ियाओं की चहचहाहट महसूस की वहीं समय समय पर सामान बेचने वालों की कतार भी रही।

मेरे होटल की खिड़की या हाउसबोट से बेहद करीब मेरी नजरों के सामने स्नो ग्लेशियर्स को देख हर बार मैं बहुत अचंभित महसूस करती। शिकारा से मैंने डल लेक के घाट 17 से मीना बाजार या फ्लोटिंग मार्केट का विचरण भी किया। यहां कतार में दुकाने मिली पर अचरच करने वाली बात यह थी कि पूरा बाजार नावों पर सुसज्जित था।

कश्मीरी हैंडीकराफ्ट आइटम, पशमीना शॉल व ऊनी कपडों, फूल, केशर और कई तरह के मसालों आदि की दुकानें नावों पर थीं। पहलगाम जाते हुये मेरे ड्राइवर फैंजल ने मुझे सेवों के पेड़, केसर के फार्म दिखाने के साथ बड़े ही गर्व के साथ हिंदी सिनेमा जैसे मिशन कश्मीर के स्पॉट्स और बजरंगी भाईजान की मशहूर दरगाह और मुन्नी किरदार के घर और बाजार की गलियां दिखायी जहां फिल्म की शूटिंग हुयी थी। इस दौरान मैंने कश्मीर की प्रसिद्ध कहवा चाय का स्वाद चखा। विशेष कश्मीरी मसालों, हर्बस्, केसर, हनी से बनने वाली यह चाय ड्राय फ्रुट या मेवों के साथ सर्व की जाती है।

हल्की मीठी और मसालों से बनी इस कड़क चाय की सुगंध बेहतरीन होने के साथ यह कश्मीर के ठंड को सहन करने के लिये भी बेहद कारगर है। मैंने श्रीनगर और पहलगाम के बीच विष्णु को समर्पित अवंतीस्वामी मंदिर के खंडित स्मारक को देखा जिसे अवंतीपुरा के संस्थापक अवंतीवर्मन ने 854-883 ईसवी में बनवाया था।

मंदिर की महीन कारीगरी, मूर्तियां और स्मारक देखने लायक हैं। श्रीनगर में मैंने कश्मीर हस्तशिल्प एंपोरियम से कुछ बेहद खूबसूरत पेपर मैशी पर महीन नक्काशी से सुसज्जित सामान खरीदे। यह सुदंर होने के साथ काफी महंगे भी होते हैं क्योंकि इन पर बारीक चित्रकारी के साथ पेंटिंग के लिये काम में लिया जाने वाला ब्रश बिल्ली की मूंछों के सिर्फ दो बालों से बनाया जाता है। इन 10 दिनों की जम्मू कश्मीर की यात्रा के दौरान बेहतरीन अनुभवों के साथ मैने कुछ ऐसी संुदर यादों को भी संजोया जिन्हें भुलाना मेरे लिये नामुमकिन होगा।

Web Title: Jammu and Kashmir Buta Pathri Snowy hills natural beauty just 5 km away from Line of Control see pics blog

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