ब्लॉग: अस्पतालों में आग लगने की घटना और मरीजों की हो रही मौत, आखिर कब थमेगा जानलेवा लापरवाही का ये सिलसिला?

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: August 3, 2022 03:09 PM2022-08-03T15:09:43+5:302022-08-03T15:13:17+5:30

अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 18 दिसंबर 2020 को अहम निर्देश दिए थे। कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को अस्पतालों का फायर सेफ्टी ऑडिट करवाने का निर्देश दिया था. शायद ही किसी राज्य सरकार ने इन निर्देशों का पालन किया हो.

Jaipur fire in hospitals and death of patients, when will these incidents stop | ब्लॉग: अस्पतालों में आग लगने की घटना और मरीजों की हो रही मौत, आखिर कब थमेगा जानलेवा लापरवाही का ये सिलसिला?

अस्पतालों में जानलेवा लापरवाही (फाइल फोटो)

अस्पतालों में आग लगने तथा बड़ी संख्या में लोगों के हताहत होने की घटनाएं हर वर्ष होती हैं मगर सरकारें हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती हैं. ताजा हादसा जबलपुर में सोमवार को हुआ. यहां के एक निजी अस्पताल न्यू लाइफ स्पेशलिटी हॉस्पिटल में सोमवार को आग लग गई और 8 लोगों की जान चली गई. इस हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है क्योंकि कई लोग झुलस गए हैं और जीवन-मृत्यु के बीच झूल रहे हैं. 

अगर इस तरह की घटनाओं का इतिहास खंगालें तो पता चलता है कि भारत में प्रतिवर्ष अस्पतालों में आग लगने की दर्जन भर से ज्यादा छोटी-बड़ी दुर्घटनाएं होती हैं. पिछले 22 वर्षों में निजी या सरकारी अस्पतालों में आग लगने के कारण 1800 से ज्यादा मरीजों तथा नवजात बच्चों की जान चली गई. 

9 दिसंबर 2011 को कोलकाता के एएमआरआई अस्पताल में आग लगने से 93 लोगों की मौत हुई थी. कोविड काल में भी कथित रूप से तमाम सावधानियां बरतने के बावजूद अस्पतालों में भीषण अग्निकांड हुए और मरीजों की जान चली गई. 23 अप्रैल 2021 को महाराष्ट्र में विरार के कोविड अस्पताल में भयावह अग्निकांड हुआ. इसमें कोविड का इलाज करवा रहे 14 मरीजों की मौत हो गई और दर्जनों झुलस गए. 

पिछले साल 9 जनवरी को भंडारा के सरकारी जिला अस्पताल में आग से 10 बच्चों के प्राण चले गए. 20 दिसंबर 2018 को मुंबई के कामगार बीमा अस्पताल को आग ने अपनी चपेट में ले लिया था. इसमें आठ मरीजों की मृत्यु हो गई थी. म.प्र. में इस वर्ष अस्पतालों में आग लगने की यह कोई पहली घटना नहीं है. इसी साल जनवरी में इंदौर के मेदांता अस्पताल के आईसीयू में भीषण आग लग गई थी. आईसीयू में 20 मरीज थे. वे सब चमत्कारिक ढंग से बच गए. 

पिछले साल म.प्र. में अस्पतालों में आग लगने की दर्जनभर से ज्यादा घटनाएं हुईं मगर भविष्य में अग्निकांड की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए. गत वर्ष नौ नवंबर को भोपाल के हमीदिया अस्पताल में आग 12 बच्चों को लील गई थी. उस वक्त राज्य सरकार ने तमाम निजी तथा सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा ऑडिट करवाने की घोषणा की थी मगर कुछ हुआ नहीं और सोमवार को जबलपुर में बड़ा हादसा हो गया. 

मध्यप्रदेश में पिछले 15 वर्षों से किसी भी अस्पताल का फायर सेफ्टी ऑडिट सरकार ने करवाया ही नहीं. अस्पतालों में आग लगने की बढ़ती घटनाओं से चिंतित होकर सुप्रीम कोर्ट ने 18 दिसंबर 2020 को सभी राज्य सरकारों को अस्पतालों का फायर सेफ्टी ऑडिट करवाने का निर्देश दिया था. इस निर्देश का शायद ही किसी राज्य सरकार ने पालन किया हो. अस्पतालों में शार्ट सर्किट, फ्रिज, वेंटिलेटर या अन्य चिकित्सा उपकरणों में खराबी के कारण आग लगने की घटनाएं होती हैं. 

Web Title: Jaipur fire in hospitals and death of patients, when will these incidents stop

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