ब्लॉग: भारतीय नौसेना की क्षमता बढ़ाता आईएनएस अरिघात
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: August 31, 2024 09:59 AM2024-08-31T09:59:43+5:302024-08-31T10:01:47+5:30
दरअसल चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश जिस तरह से सीमा पर तनाव बढ़ाते रहते हैं, उसके मद्देनजर भारत के लिए अपनी सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाना जरूरी हो गया था।
निरंतर मजबूत हो रही भारतीय नौसेना की मजबूती में गुरुवार को एक और अध्याय तब शामिल हो गया जब परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल से लैस पनडुब्बी 'आईएनएस अरिघात' को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में नौसेना में शामिल किया गया। जैसा कि रक्षा मंत्री ने भी कहा, ‘अरिघात’ परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएगा, क्षेत्र में सामरिक संतुलन और शांति स्थापित करने में मदद करेगा तथा देश की सुरक्षा में निर्णायक भूमिका निभाएगा।
दरअसल चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश जिस तरह से सीमा पर तनाव बढ़ाते रहते हैं, उसके मद्देनजर भारत के लिए अपनी सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाना जरूरी हो गया था। वैसे तो परमाणु हथियारों के लिए एयरक्राफ्ट, मिसाइल या समुद्र जैसे कई रास्ते हो सकते हैं लेकिन पनडुब्बी इसलिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पानी के भीतर ही रहती है, जिससे दुश्मन के लिए इसका पता लगा पाना काफी मुश्किल होता है। चीन ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी नौसेना की क्षमता में काफी वृद्धि की है और अमेरिकी नौसेना को भी पीछे छोड़ दिया है।
इसलिए भारत के लिए भी अपनी नौसेना को और मजबूत बनाना जरूरी हो गया था। आईएनएस अरिघात अरिहंत श्रेणी की भारत निर्मित दूसरी परमाणु पनडुब्बी है। अरिहंत को साल 2009 में भारतीय नेवी की फ्लीट में शामिल किया गया था। अरिहंत संस्कृत का शब्द है, जिसका मतलब होता है ‘शत्रु का नाश करने वाला’।
वैसे पारंपरिक क्षेत्र में भारतीय नौसेना को पहले से ही छह नई कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियां मिल चुकी हैं, लेकिन भारत तीन ब्लॉक्स में बनने वाली छह परमाणु हमलावर पनडुब्बियों के साथ-साथ पांच अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियों पर भी काम कर रहा है। युद्धों को लेकर वर्तमान वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए अपनी रक्षा तैयारियों को दुरुस्त रखना समय की मांग है। खासकर चीन की तैयारियों को देखते हुए यह और भी जरूरी है क्योंकि कमजोर देशों के सीमा क्षेत्र का अतिक्रमण करना चीन की नीति रही है।
750 किमी की मारक क्षमता वाली परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात के-15 मिसाइलों से लैस है और इसका आकार, लंबाई तथा वजन आईएनएस अरिहंत के समान है। निश्चित रूप से इस पनडुब्बी के नौसेना में शामिल होने से भारतीय नेवी और मजबूत हुई है तथा कोई भी देश भारत की ओर आंख उठाकर देखने का साहस नहीं कर पाएगा।