नेबरहुड फर्स्ट के तहत बांग्लादेश के साथ रिश्तों का नया रोडमैप, शोभना जैन का ब्लॉग
By शोभना जैन | Published: January 1, 2021 12:27 PM2021-01-01T12:27:07+5:302021-01-01T12:28:32+5:30
‘विजय दिवस’ के अगले दिन यानी 17 दिसंबर को प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी व बांग्लादेश की प्रधानमंत्नी शेख हसीना के साथ हुए वर्चुअल शिखर सम्मेलन में संबंधों को एक नई गति देने के लिए सात अहम फैसले किए गए.
बदली हुई क्षेत्नीय परिस्थितियों में गुजरे वर्ष 2020 का पटाक्षेप भारत के साथ ‘भावनात्मक रिश्ते’ से बंधे बांग्लादेश के साथ रिश्तों की एक नई इबारत लिखने के साथ भी हुआ.
49 वर्ष पूर्व यानी दिसंबर 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच लड़े गए युद्ध के बाद पाकिस्तानी सेना को परास्त कर भारत के सहयोग से बने बांग्लादेश ने 16 दिसंबर को इसी विजयोत्सव यानी ‘विजय दिवस’ की 49 वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारत के साथ रिश्तों को और आगे बढ़ाया.
दोनों देशों के बीच संपर्क मार्ग बढ़ाने जैसे अहम फैसले सहित द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के अनेक फैसले लिए गए. राजनीतिक और कूटनीतिक रूप से गहरे तौर पर जुड़े दोनों देश बदलते समय की नई चुनौतियों के बीच आगे बढ़ते रहे हैं. बांग्लादेश भारत का अच्छा मित्न व अच्छा पड़ोसी साबित हुआ है.
‘विजय दिवस’ के अगले दिन यानी 17 दिसंबर को प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी व बांग्लादेश की प्रधानमंत्नी शेख हसीना के साथ हुए वर्चुअल शिखर सम्मेलन में संबंधों को एक नई गति देने के लिए सात अहम फैसले किए गए. पीएम मोदी ने इस शिखर बैठक में बांग्लादेश को ‘पड़ोस सबसे पहले’ की भारत की पॉलिसी का मुख्य स्तंभ बताते हुए कहा, ‘बांग्लादेश के साथ संबंध मजबूत करना पहले दिन से मेरे लिए प्राथमिकता है.’
बांग्लादेश की प्रधानमंत्नी शेख हसीना ने भी बैठक में ‘भारत को सच्चा मित्न’ बताया. देखा जाए तो शिखर बैठक ‘दो प्रगाढ़ पड़ोसी मित्न’ देशों के बीच चुनौतियों और कुछ विवादास्पद विचाराधीन मुद्दों को आपसी समझ-बूझ, संवेदनशीलता और दूरंदेशी से हल करने की इच्छाशक्ति के साथ रिश्तों को एक नई गति देने की दिशा में एक रोडमैप तैयार करने वाली अहम बैठक रही.
पिछले कुछ माह में दक्षिण पूर्व एशिया की बदलती हुई क्षेत्नीय परिस्थितियों के पहलू और जुड़ी स्थितियों और उनके प्रभाव की बात करें तो इस क्षेत्न के अन्य देशों की ही तरह चीन बांग्लादेश में भी आर्थिक सहयोग बढ़ाने के नाम पर वहां नजदीकियां बढ़ाने की जुगत में लगा हुआ है. पिछले वर्ष दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक सहयोग बढ़ा. विकास साझीदार के रूप में चीन ने बांग्लादेश में आधारभूत परियोजनाओं के लिए और मदद देने का वादा किया है.
उधर बांग्लादेश के साथ उसके जन्म से तल्खी पाले रिश्तों को पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान बांग्लादेश के साथ रिश्तों को सौहाद्र्रपूर्ण बनाने का खेल खेलने में लग गया है. ऐसे में निश्चय ही उम्मीद की जानी चाहिए कि दोनों देशों के शिखर नेताओं के बीच यह बैठक द्विपक्षीय संबंधों को एक नया मोड़ देने में अहम साबित हो सकती है.
निश्चय ही दोनों देशों के बीच सहमति के बिंदु काफी हैं और साथ ही चुनौतियों के बीच संबंधों को आगे बढ़ाने की इच्छाशक्ति है और दोनों ही इस दिशा में कदम भी बढ़ा रहे हैं. वर्ष 2020 जहां जाते-जाते द्विपक्षीय संबंधों को नई गति देने के लिए रोडमैप बना कर उस दिशा में और तेजी से काम शुरू करने का वर्ष बना, वहीं नया वर्ष रिश्तों की एक नई इबारत लिखने वाला वर्ष बनता लगता है.
नया वर्ष बांग्लादेश के गठन की स्वर्ण जयंती वर्ष के साथ-साथ उसके भारत के साथ राजनयिक रिश्तों की भी स्वर्ण जयंती का वर्ष है. पीएम मोदी का अगले वर्ष इन विशेष समारोहों में मार्च में शेख हसीना के न्यौते पर ढाका जाने का कार्यक्रम है.
कुल मिला कर कहा जाए तो पिछले कुछ वर्षो में दोनों के रिश्तों में तमाम नई बदली हुई क्षेत्नीय परिस्थितियों के बाद भी प्रगाढ़ता और भरोसा बना हुआ है. तेजी से बदलती हुई वैश्विक परिस्थितियों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ना निश्चय ही दोनों देशों के लिए तो हितकारी होगा ही, साथ इस क्षेत्न के लिए भी सही संकेत होगा.