एन. के. सिंह का ब्लॉग: विश्व-पटल पर नए रूप में भारत
By एनके सिंह | Published: September 25, 2019 06:54 AM2019-09-25T06:54:55+5:302019-09-25T06:54:55+5:30
राष्ट्रपति ट्रम्प के पहुंचने के कारणों को तभी समझा जा सकता है जब हम मोदी की विश्व-पटल पर स्वीकार्यता समझ सकेंगे. इस पर विवाद हो सकता है कि इसके नकारात्मक पहलू मॉब लिंचिंग को कैसे लिया जाए जो भारत में मोदी-शासन में आम बात होने लगी है और जिसके शिकार अखलाक, पहलू खान, जुनैद और पहलू खान ही नहीं, दर्जनों लोग हो चुके हैं, लेकिन देश में एक उत्साह है और विदेश में रह रहे भारतीय भी उससे पूरी तरह प्रभावित हैं.
‘ये जो मुश्किलों का अंबार है, यही तो मेरे हौसलों की मीनार है’. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपनी कविता की लाइन सुनाना क्या था, मानो 50,000 अमेरिकी-भारतीय किसी भावातिरेक में खड़े हो कर चिल्लाने लगे- मोदी-मोदी. स्थान भारत का कोई शहर नहीं था बल्कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के टेक्सास राज्य के ह्यूस्टन शहर के स्टेडियम का था, आयोजन किया था एक संघ-समर्थित स्वयंसेवी संस्था ने और मौजूद थे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प. समारोह का नाम था ‘हाउडी मोदी’.
अमेरिका में ‘हाउ-डू-यू-डू (आप कैसे हैं?) को आम बोलचाल में ‘हाउडी’ कहते हैं. किसी घटना के विश्लेषण में तथ्यों को व्यापकता में न देखना अंतिम परिणाम को दुराग्रह से आच्छादित कर देता है. लिहाजा यह मानना कि अमेरिकी राष्ट्रपति अपने देश के ह्यूस्टन शहर में किसी भारतीय प्रधानमंत्री के लिए आयोजित ‘मेगा शो’ में सिर्फ इसलिए पहुंचे कि देश में रह रहे 50,000 अमेरिकी-भारतीय नागरिकों का वोट मिल जाएगा, संकीर्ण विश्लेषण माना जा सकता है.
ये भारतीय आजकल में ही अमेरिका के मतदाता नहीं बने हैं. और फिर अमेरिका में 16 करोड़ मतदाता हैं. दरअसल यह मेगा शो और इसमें ट्रम्प का आना, मोदी का उनके लिए वोट देने की अपील करना - अबकी बार ट्रम्प सरकार - और फिर ट्रम्प का मोदी का हाथ पकड़े हुए जनता के बीच जाना एक गहरे विश्लेषण का विषय है.
राष्ट्रपति ट्रम्प के पहुंचने के कारणों को तभी समझा जा सकता है जब हम मोदी की विश्व-पटल पर स्वीकार्यता समझ सकेंगे. इस पर विवाद हो सकता है कि इसके नकारात्मक पहलू मॉब लिंचिंग को कैसे लिया जाए जो भारत में मोदी-शासन में आम बात होने लगी है और जिसके शिकार अखलाक, पहलू खान, जुनैद और पहलू खान ही नहीं, दर्जनों लोग हो चुके हैं, लेकिन देश में एक उत्साह है और विदेश में रह रहे भारतीय भी उससे पूरी तरह प्रभावित हैं. लिहाजा ट्रम्प को अमेरिकी लोगों के वोट इस बात पर भी मिलेंगे कि वह और मोदी समान सोच और एक्शन को प्रतिबिंबित करते हैं.
दरअसल मोदी ने अपने भाषण में ‘अमेरिका में 9/11 हो या मुंबई में 26/11’ एक साथ जोड़ कर उस देश के नागरिकों को संदेश दिया कि ये दोनों नेता एक साथ आतंकवाद खत्म कर सकते हैं. अमेरिका भी भारत की तरह आर्थिक संकट से जूझ रहा है लेकिन मोदी की कविता 34 करोड़ अमेरिकी लोगों और 15.40 करोड़ मतदाताओं को आश्वासन था कि दोनों देश वर्तमान स्थिति को बदलने में सक्षम हैं.