हिजाब पर विवाद सुनियोजित साजिश, नकवी बोले-मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा बाधित करना चाहते हैं...

By शरद गुप्ता | Published: March 23, 2022 04:10 PM2022-03-23T16:10:21+5:302022-03-23T16:13:56+5:30

राजनीतिक दलों और राजनीतिक परिवारों द्वारा मानवता के खिलाफ किए गए अपराधों को उजागर करती है. अब वही लोग फिल्म को लेकर यह रोना रो रहे हैं कि यह केवल आधा सच दिखाती है.

hijab Controversy planned conspiracy Mukhtar Abbas Naqvi education Muslim girls should be disrupted it is being disclosed blog | हिजाब पर विवाद सुनियोजित साजिश, नकवी बोले-मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा बाधित करना चाहते हैं...

सुनिश्चित किया जा सके कि मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा बाधित हो. इसका खुलासा अब धीरे-धीरे हो रहा है.

Highlightsभाजपा की भूमिका के लिखित प्रमाण उपलब्ध हैं.डर के माहौल को देखते हुए, जिसके कारण इन परिवारों को घाटी छोड़नी पड़ी. अपने घरों में लौटने के लिए और अधिक भरोसा देने की जरूरत है.

छात्र आंदोलनों का हिस्सा रह चुके और राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के एक प्रमुख समर्थक, मोदी सरकार के एकमात्र मुस्लिम चेहरे मुख्तार अब्बास नकवी ने एक लंबी राजनीतिक यात्र की है. वे तीसरी बार केंद्रीय मंत्री बने हैं और मोदी सरकार में लगातार दूसरी बार केंद्रीय मंत्री का पद संभाल रहे हैं.

 

एक मुखर साक्षात्कार में उन्होंने लोकमत मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर (बिजनेस एवं पॉलिटिक्स) शरद गुप्ता से उन कई मुद्दों पर बात की, जिनका सामना भारत में मुसलमानों को करना पड़ रहा है. पढ़िए साक्षात्कार के प्रमुख अंश -

हिजाब आंदोलन किसने शुरू किया और क्यों?

हिजाब पर विवाद कुछ निहित स्वार्थो की एक सुनियोजित साजिश थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा बाधित हो. इसका खुलासा अब धीरे-धीरे हो रहा है.

बॉलीवुड फिल्म कश्मीर फाइल्स पर सिर्फ आधा सच और इतिहास को तोड़-मरोड़ कर दिखाने का आरोप लग रहा है. आपका क्या खयाल है?

फिल्म कुछ राजनीतिक दलों और राजनीतिक परिवारों द्वारा मानवता के खिलाफ किए गए अपराधों को उजागर करती है. अब वही लोग फिल्म को लेकर यह रोना रो रहे हैं कि यह केवल आधा सच दिखाती है. जब वे आधे-अधूरे सच से इतने उत्तेजित होते हैं, तो आप उनकी स्थिति की कल्पना कर सकते हैं जब पूरा सच सामने आएगा.

लेकिन जब कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो क्या भाजपा बाहर से वीपी सिंह सरकार का समर्थन नहीं कर रही थी? तब आपने कदम क्यों नहीं उठाया?

हमारे पास दो ही विकल्प थे- या तो घाटी को उन्हीं लोगों को सौंप दें जिन्होंने इसे तबाह कर दिया था या जनादेश का सम्मान करें. हमने वीपी सिंह सरकार का साथ तब छोड़ा जब हमने पाया कि यह हमारी विचारधारा के साथ असंगत है.

लेकिन बिहार में राम जन्मभूमि मुद्दे पर लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद ही भाजपा ने जनता दल सरकार से समर्थन वापस लिया, न कि कश्मीर के मुद्दे पर?

उस अवधि के दौरान भाजपा की भूमिका के लिखित प्रमाण उपलब्ध हैं. कश्मीरी पंडितों का पलायन भी भाजपा द्वारा वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस लेने का एक कारण था.

लेकिन कश्मीरी पंडित संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बावजूद घाटी में वापस क्यों नहीं जा पाए हैं?

डर के माहौल को देखते हुए, जिसके कारण इन परिवारों को घाटी छोड़नी पड़ी. मुझे लगता है कि हमें उन्हें अपने घरों में लौटने के लिए और अधिक भरोसा देने की जरूरत है. हम उस दिशा में काम कर रहे हैं.

कौन से कदम उठाए जाएंगे?

अनुच्छेद 370 हटने के बाद वहां केंद्रीय नियम लागू किए गए हैं. वहां विकास और राजनीतिक प्रक्रिया, दोनों में लोगों की भागीदारी शुरू हो गई है. दुबई के लुलु सेंटर जैसे विदेशों के बड़े कारोबारियों ने राज्य में निवेश करना शुरू कर दिया है. मुङो लगता है कि लोग जल्द ही लौट आएंगे.

अल्पसंख्यक कल्याण में आपके मंत्रलय का दृष्टिकोण क्या है?

समाज का कोई भी वर्ग यह नहीं कह सकता कि मोदी सरकार ने उसको फायदा नहीं पहुंचाया. किसी के साथ भेदभाव नहीं किया गया है. हमारा लक्ष्य गरिमा के साथ विकास और तुष्टिकरण के बिना सशक्तिकरण है. हमने पिछले आठ वर्षो के दौरान अल्पसंख्यक छात्रों को लगभग 6 करोड़ छात्रवृत्तियां प्रदान की हैं. आधे से अधिक लाभार्थी लड़कियां हैं. परिणामस्वरूप मुस्लिम लड़कियों की ड्रॉप आउट दर 73 प्रतिशत से गिरकर 30 प्रतिशत हो गई है. उनके नामांकन में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

लेकिन कुछ लोगों ने आपके मंत्रलय से छात्रवृत्ति पाने वाले मुस्लिम नौकरशाहों को देशद्रोही और जिहादी करार दिया था, आपका क्या कहना है?

यह केवल विकृत मानस की सोच है जो हर चीज में सांप्रदायिकता और राष्ट्रविरोध देखती है. ऐसे लोग हमारे इतिहास और विरासत से वाकिफ नहीं हैं. मैं उनसे सहमत नहीं हूं. पिछले आठ वर्षो के दौरान नौकरशाही में मुस्लिम प्रतिनिधित्व बढ़ा है. 2017 में यूपीएससी में अल्पसंख्यक समुदायों से 172 प्रतिभाओं का चयन किया गया था, उनमें से आधे मुसलमान थे. अगले साल यह संख्या 182 थी और यह हर साल बढ़ रही है.

लेकिन भाजपा मुसलमानों को चुनाव में टिकट क्यों नहीं देती?

शासन में भाजपा मुसलमानों को किसी अन्य दल या सरकार से अधिक प्रतिनिधित्व दे रही है.   आप विधानसभाओं या संसद में उनका प्रतिनिधित्व भले ही न नहीं देख पाएं, लेकिन विभिन्न निगमों, बोर्डो के अध्यक्ष के रूप में कई अल्पसंख्यक नेताओं को नियुक्त किया गया है.

मोदीजी हमेशा कहते हैं कि उनकी सरकार उनके लिए भी काम करेगी, जिन्होंने उन्हें वोट नहीं दिया. 60 से अधिक वर्षो तक इन पार्टियों ने टिकटों का लॉलीपॉप दिखा करके अल्पसंख्यकों को किसी भी विकास से वंचित रखा. समुदाय शिक्षा या रोजगार के अवसर चाहता है. मोदी सरकार द्वारा दिए गए मुद्रा लोन का 48 फीसदी अल्पसंख्यकों को दिया गया है. उन्होंने इस राशि से छोटे व्यवसाय शुरू किए हैं. मोदी सरकार द्वारा विद्युतीकृत 32 प्रतिशत गांवों में अल्पसंख्यकों का बाहुल्य है.

अल्पसंख्यकों को रोजगार के बारे में क्या?

हम हुनर हाट का आयोजन कर मुस्लिम कारीगरों के काम का प्रदर्शन करते रहे हैं.

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