Happy Valentine's Day: ऊर्जा, उमंग और उत्साह के रंगों से जीवन को सरोबार कर देना, एक नई शुरुआत...
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 14, 2022 02:55 PM2022-02-14T14:55:53+5:302022-02-14T15:04:12+5:30
Happy Valentine's Day: ’वैलेंटाइन डे’ के दिन क्यों न हम प्यार की अभिव्यक्ति को एक नई परिभाषा दे और इसकी माला में कुछ नए और नायाब मोतियों को पिरोए।
डॉ. गायत्री शर्मा
प्यार आंखों में चमक, चेहरे पर रौनक और चाल में मस्ती ला देता है। जब प्यार होता है, तब अरमानों की पतंग उमंगों के उन्मुक्त गगन में नई ऊंचाइयां छूती है, चकवे की तरह स्वाति की बूंद पर टकटकी लगाती है और चेहरे की मुस्कुराहट बन जिंदगी में उत्साह का नया रंग घोल देती है।
हम साथ से हमराज और हमराज से हमसफर... यही है प्यार की परिभाषा। नई ऊर्जा, उमंग व उत्साह के रंगों से जीवन को सरोबार कर जीने का नज़रिया बदल देता है प्यार। प्यार की खूबसूरती व अहसास इतना नायाब है कि प्रेमियों को अक्सर खुद की ही नजर लग जाया करती है।
नकारात्मकता को सकारात्मकता में और ज़िंदगी के अंधेरों को उजालों में बदलने वाला जुगनू होता है प्यार। प्यार एक अल्फाज़ ही नहीं एक भाव भी है, जिसकी अभिव्यक्ति कभी आलिंगन से, कभी फूलों से, कभी उपहारों से, कभी खतों से, कभी गीतों से, तो कभी स्पर्शयुक्त अहसासों से की जाती है। इसकी गहराइयों में जो जितना गहरा उतरता है, उतना ही अधिक पाकर निकलता है।
’वैलेंटाइन डे’ के दिन क्यों न हम प्यार की अभिव्यक्ति को एक नई परिभाषा दे और इसकी माला में कुछ नए और नायाब मोतियों को पिरोए। अश्लीलता, फूहड़ता, दौलत, दिखावा इन सभी से निष्कंलकित होकर प्यार अपने ही रंग से अपनी एक अलग परिभाषा गढ़ता है। ’प्यार’ शब्द का विस्तार और व्यापकता इतनी अधिक है कि इसे चंद लब्ज़ों में बयां कर पाना बेहद मुश्किल है।
’बसंत’ का सहगामी बन आने वाला ’वैलेंटाइन डे’ कहने को तो प्यार का मौसम है। यह प्रकृति के साथ ही मानव मन में भी प्रेमिल भावों के श्रृंगार का मौसम है। अपनी यादों व खुशियों की पोटली से आज क्यों न हम कुछ ऐसे चेहरों को खंगाले, जिनको हमसे एक मुस्कुराहट व प्यार की दरकार है। अब वक्त आ गया है ’वैलेंटाइन डे’ की सही व्याख्या कर इस विशेष दिन को खास बनाने का।
प्यार के दायरों को सीमाओं में न बांधते हुए उन्मुक्त छोड़ने का। प्यार रिश्तों में गरिमा, मर्यादा व पवित्रता का दूसरा नाम है। इसे किसी रिश्ते का नाम देकर बांधना अस्वीकार्य होगा क्योंकि यह जिस्मानी रिश्तों से कही अधिक दिल से दिल को और मौन को वाणी से जोड़ने वाला रिश्ता है।
प्यार चिरंजीवी है, यह सजीव के साथ-साथ निर्जीव वस्तुओं से भी हमें इतनी शिद्दत से जोड़े रखता है कि अलग-अलग प्रकृति के होने के बावजूद भी हम एक-दूसरे के दर्द का अहसास कर लेते है। जब कोई पेड़ कटता है तो तकलीफ हमें होती है, किसी का आशियाना उजड़ता है तो आंखे हमारी नम होती है, पशु-पक्षी घायल होते हैं तो उनके दर्द का अहसास हम महसूस करते है।
यह प्यार ही तो है, जो मौन को भी मुखरता प्रदान करता है। इंसानों से तो प्यार हर कोई करता है, कभी प्रकृति से भी प्यार करके देखिए, दुनिया बदली-बदली सी और खुशनुमा नजर आएगी। परिवर्तन वक्त की दरकार है, तो क्यों न इस बदलाव को स्वीकारते हुए हम वैलेंटाइन डे को मनाने के तरीकों में भी नए पन का आगाज़ करे और अपने चहेतों की सूची में उन नए चेहरों व नामों को शामिल करे, जिनके पास शब्द नहीं है पर उनके भावों का अहसास हमारे दिलों में है, जिनके चेहरों पर मायूसी और खामोशी है पर उनकी तकलीफों का तापमान हमें ज्ञात है।
हमारे आसपास कई ऐसे लोग, परिंदे व घरौंदे है, जिनके करीब जाने पर हमारी प्रेम की अभिव्यक्ति सहसा ही हो जाती है। घर-परिवार, अपनों से अलगाव की पीड़ा झेलते वृद्धाश्रम के रहवासी, मां-बाप के प्यार को महफुज़ अनाथ बच्चे, गंभीर रोग की पीड़ा को भोगते रोगी, खुले आसमान के तले रात गुजारते गरीब व निराश्रितजन .... इन सभी को आज हमारे प्यार भरे स्पर्श व अपनत्व की दरकार है।
पश्चिम का अंधानुकरण करते हुए बरसों से हम वैलेंटाइन डे पर प्रेमी व प्रेमिका के रूप में ही प्यार का इजहार करते आए है लेकिन अब हमें प्यार के किरदारों में फेरबदल करना होगा क्योंकि अंधेरों में गुम, खुशियों से महफूज, प्यार के उजालों को तरसती इन टिमटिमाती आंखों को हमारी प्यार भरी दस्तक का इंतजार है।
आज हम इस वैलेंटाइन को खास व सार्थक बनाते हुए नए रिश्तों का ताना-बाना बुनते है और उपहारों के रूप में कुछ मुस्कुराहटों की तितलियां समेटकर वहां छोड़ आते है, जहां खामोशी, अकेलेपन व दर्द का दीर्घ शून्य व्याप्त है। आपका साथ व सहयोग इनके दिल में जीने की नई उमंग और खुशियों के नवसंचार का आरंभ करेगा।