गौरीशंकर राजहंस का ब्लॉगः अमेरिका से मधुर संबंध भारत के हित में
By गौरीशंकर राजहंस | Published: August 6, 2021 02:52 PM2021-08-06T14:52:37+5:302021-08-06T15:06:12+5:30
सभी इस बात से सहमत हैं कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन की दादागीरी को रोकना चाहिए। भारत के नेताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि अमेरिका और भारत के साथ आपस में रक्षा समझौता होना चाहिए और उस पर पूरी तरह से अमल भी किया जाना चाहिए।
अमेरिका के विदेश मंत्री ब्लिंकन हाल ही में भारत का दौरा करके अपने देश लौट गए हैं। यह दौरा कई मायनों में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। इसके पहले अमेरिका के रक्षा मंत्री लायड आस्टिन भारत का दौरा कर चुके हैं। इन नेताओं ने भारत के नेताओं के साथ कोविड-19, क्लाइमेट चेंज तथा भारत और प्रशांत क्षेत्र की सैनिक सुरक्षा के बारे में विस्तार से बात की और इस बात की पुष्टि की कि इन सभी मामलों में भारत अमेरिका का एक महत्वपूर्ण सहयोगी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी इन सभी मामलों में भारत के प्रधानमंत्री के साथ विस्तार से चर्चा की है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका जाकर वहां के शीर्ष नेताओं से भारत-अमेरिकी संबंधों के बारे में चर्चा की है।
सभी इस बात से सहमत हैं कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन की दादागीरी को रोकना चाहिए। भारत के नेताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि अमेरिका और भारत के साथ आपस में रक्षा समझौता होना चाहिए और उस पर पूरी तरह से अमल भी किया जाना चाहिए। इस संदर्भ में यह भी कहा जा सकता है कि अमेरिका ने ‘क्वाड’ की रचना की है जिसका मुख्य उद्देश्य है कि चीन की दादागीरी को रोका जाए।
ब्लिंकन ने जोर देकर कहा कि भारत और अमेरिका मिलकर इस क्षेत्र में शांति लाने का प्रयास करें। ब्लिंकन ने यह भी कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि अमेरिका में भी लोकतंत्र में अनेक खामियां हैं और यदि इसी तरह कोई भारतीय लोकतंत्र में खामियां तलाशता है तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाना चाहिए। भारत और अमेरिका के रिश्तों में ‘क्वाड’ काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने मिलकर यह संगठन बनाया है और हर तरह से अमेरिका चाहता है कि यह एक मजबूत संगठन बने। मार्च 2021 में अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसकी एक वर्चुअल बैठक बुलाई थी जिसमें ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के शासनाध्यक्ष शामिल हुए थे। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसमें भाग लिया था।
अमेरिका के विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सबसे अधिक आवश्यकता इस बात की है कि कोरोना वैक्सीन पर्याप्त मात्र में दुनिया के सभी देशों को मिले और इसमें भारत की आवश्यकता को अमेरिका पूरी तरह पूरी करेगा। अमेरिकी कंपनियां भरपूर मात्र में कच्चा माल भारत को देंगी जिससे इस दिशा में कोई कठिनाई नहीं हो। हर दृष्टिकोण से अमेरिकी विदेश मंत्री की भारत यात्र पूर्णतः सफल रही है और यह इस बात का संकेत है कि भविष्य में भी एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दोनों देश मिलकर सुरक्षा के मामले में भरसक प्रयास करेंगे और हर तरह से चीन की दादागीरी को रोकने की कोशिश करेंगे।