ब्लॉगः भारत में पिछले एक दशक में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में 75% की हुई वृद्धि, 15 फीसदी बलात्कार के मामले

By योगेश कुमार गोयल | Published: January 24, 2023 09:25 AM2023-01-24T09:25:12+5:302023-01-24T09:27:15+5:30

बाल विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2008 में प्रतिवर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाए जाने का निर्णय लिया गया था और पहली बार 24 जनवरी 2009 को देश में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया। यह दिवस पूरी तरह से बालिकाओं को समर्पित है।

Girl's Day a fear-free society will have to be built for daughters | ब्लॉगः भारत में पिछले एक दशक में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में 75% की हुई वृद्धि, 15 फीसदी बलात्कार के मामले

ब्लॉगः भारत में पिछले एक दशक में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में 75% की हुई वृद्धि, 15 फीसदी बलात्कार के मामले

समाज में बालिकाओं के अधिकारों को लेकर जागरूकता पैदा करने, प्रत्येक बालिका को मानवीय अधिकार मिलना सुनिश्चित करने, उन्हें नया अवसर मुहैया कराने के उद्देश्य से 2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा ‘राष्ट्रीय बालिका दिवस’ की शुरुआत की गई थी। बाल विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2008 में प्रतिवर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाए जाने का निर्णय लिया गया था और पहली बार 24 जनवरी 2009 को देश में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया। यह दिवस पूरी तरह से बालिकाओं को समर्पित है।

दरअसल बालिकाओं को शिक्षा, कानूनी अधिकार और सम्मान जैसे मामलों में असमानता का शिकार होना पड़ता है और ऐसे मामलों को दुनिया के समक्ष लाना, लोगों के बीच बराबरी का अहसास पैदा करना, लड़कियों के अधिकारों, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण सहित अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर जागरूकता पैदा करना ही इस दिवस का अहम उद्देश्य है। लैंगिक भेदभाव तो सदियों से बहुत बड़ी समस्या है, इसीलिए राष्ट्रीय बालिका दिवस के माध्यम से लोगों में लैंगिक असमानता को लेकर जागरूकता पैदा करने का प्रयास किया जाता है।

हालांकि पिछले कुछ वर्षों में बालिकाओं के कल्याण के लिए सरकारों द्वारा कई महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरुआत की गई है, बालिका विवाह और लिंग परीक्षण पर रोक जैसे कानून लागू हैं और बालिकाओं को शिक्षित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण अभियान भी चलाए जा रहे हैं लेकिन छोटी-छोटी बालिकाओं पर अत्याचारों का सिलसिला निर्बाध रूप से जारी है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार विश्वभर में 15-19 आयु वर्ग की करीब डेढ़ करोड़ किशोर बालिकाएं अपने जीवन में कभी न कभी यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में 33 फीसदी महिलाओं व लड़कियों को शारीरिक और यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है।

भारत के संदर्भ में एनसीआरबी की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि 2021 में महिलाओं के प्रति अपराधों में 15 फीसदी तथा बलात्कार के मामलों में 12 फीसदी बढ़ोत्तरी दर्ज हुई और पिछले एक दशक में तो महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में 75 फीसदी की वृद्धि हुई है।
बालिकाएं यदि उनके लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और कानूनों के बावजूद भी स्वयं को सुरक्षित नहीं समझतीं तो इसका सीधा सा अर्थ है कि केवल कागजों में उनके कल्याण के लिए नई-नई योजनाएं बनाने से तब तक कुछ हासिल नहीं होने वाला जब तक कि समाज बालिकाओं को भयमुक्त वातावरण उपलब्ध होने की गारंटी न दे। देश में ऐसा वातावरण निर्मित हो जहां बालिकाएं स्वयं को सुरक्षित महसूस करें, तभी ऐसे दिवस मनाने की सार्थकता होगी।

Web Title: Girl's Day a fear-free society will have to be built for daughters

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