G20: रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक दबावों के बीच राष्ट्रीय हित साधने की चुनौती

By शोभना जैन | Published: March 2, 2023 09:16 AM2023-03-02T09:16:37+5:302023-03-02T09:17:37+5:30

G-20 meetings: challenge of serving national interest amid Russia-Ukraine war and global pressures | G20: रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक दबावों के बीच राष्ट्रीय हित साधने की चुनौती

G20: रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक दबावों के बीच राष्ट्रीय हित साधने की चुनौती

यूक्रेन युद्ध को लेकर खेमे में बंटी दुनिया के बीच दिल्ली में जी-20 विदेश मंत्रियों की अहम बैठक के तूफानी होने के आसार  हैं. गत एक दिसंबर को जी-20 की अध्यक्षता भारत को मिलने के बाद जी-20 विदेश मंत्रियों की यह पहली बैठक है.

यूक्रेन युद्ध की छाया में हो रही इस बैठक में अमेरिका, जर्मनी, इंग्लैंड, फ्रांस, यूरोपीय यूनियन और विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्था वाले सात पश्चिमी देशों के समूह के सामने रूस, चीन जैसे अनेक ताकतवर देश हैं. जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी की सम्मेलन में अनुपस्थति को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. हालांकि उन्होंने पत्रकारों को बताया कि घरेलू संसदीय सत्र के कारण इस बैठक में नहीं जा सकेंगे. उनके स्थान पर उप मंत्री को भेजे जाने की उम्मीद है. 

साथ ही इस बैठक के बाद आपसी सहमति नहीं होने की वजह से संयुक्त घोषणा पत्र जारी नहीं होने की आशंका को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. बहरहाल, वसुधैव कुटुंबकम की भावना से हो रहे इस सम्मेलन में क्या असहमति पर सहमति हावी रहेगी, किन-किन मुद्दों पर एकजुटता बन सकेगी, यह देखना यह होगा. लेकिन जिस तरह से बैठक से पूर्व सहमति और असहमतियों का दौर चल रहा है, उससे इस बैठक के तूफानी होने के आसार हैं.

भारत जिस तरह से यूक्रेन के मुद्दे पर अब तक निष्पक्ष भूमिका निभाने या यूं कहें कि संतुलन साधने का प्रयास कर रहा है, उससे सवाल उठ रहे हैं कि आखिर भारत यूक्रेन को लेकर किस राह की ओर है. उसके सम्मुख दबावों के बावजूद वैश्विक और राष्ट्रीय हित के बीच संतुलन बनाने की चुनौती है.  

दरअसल पिछले हफ्ते यूक्रेन युद्ध के एक साल पूरे होने पर संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ पारित प्रस्ताव में भारत ने पिछली बार की तरह किसी भी दबाव से दूर रहते हुए मतदान से गैरहाजिर रहने का फैसला किया, अलबत्ता इस बार उसके तेवर किसी देश की अखंडता पर हमले को लेकर कड़े रहे.

गौरतलब है कि बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के संगठन जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों के पिछले दिनों बेंगलुरु में हुए सम्मेलन के बाद अविकसित देशों के लिए ‘कर पुनर्गठन’ को लेकर जिस तरह से ‘आउटकम डॉक्युमेंट’ पर  सहमति नहीं बन पाई, उसे लेकर भी सवाल हैं. लेकिन जैसा कि एक पूर्व राजनयिक का कहना है कि इसे बड़ा मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए और न ही इसे भारत के रुख से किसी तरह से जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि बाली शिखर बैठक में सहमति हम देख ही चुके हैं और इस वर्ष सितंबर में होने वाले जी-20 शिखर बैठक में सर्वसम्मति से संयुक्त बयान जारी किए जाने के पूरे प्रयास किए ही जा रहे हैं.

Web Title: G-20 meetings: challenge of serving national interest amid Russia-Ukraine war and global pressures

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