Kisan Andolan:किसान आंदोलन से दूरी, कृषि कानून हैं जरूरी!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: December 16, 2020 12:39 PM2020-12-16T12:39:33+5:302020-12-16T15:14:30+5:30
चिल्ला बॉर्डर (नोएडा से दिल्ली जाने के रास्ते) को ब्लॉक कर दिया है, इनकी मांग है कि जंतर-मंतर पर जाकर प्रदर्शन करेंगे. दिल्ली पुलिस ने तुरंत बैरिकेड लगा दिया है, हमलोग बातचीत कर रहे हैं और इनको समझा रहे हैं.
दिल्ली सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच पीएम नरेंद्र मोदी मंगलवार को गुजरात पहुंचे और वहां उन्होंने कई प्रतिनिधिमंडलों से भी मुलाकात की, हालांकि दिल्ली में एकदम करीब मौजूद आंदोलनरत किसानों से तो उन्होंने अब तक बातचीत नहीं की है, लेकिन वहां गुजरात में सिख समुदाय के सदस्यों सेे भी पीएम मोदी ने बातचीत की है.
इस बातचीत का इरादा एकदम साफ है कि इसके जरिए वे दिल्ली सीमा पर आंदोलनरत किसानों को यह संदेश देना चाह रहे हैं कि उनकी सरकार किसानों के साथ है, उनके भले के लिए सोच रही है. यह बात अलग है कि आंदोलनरत किसान इस बातचीत को किस नजरिए से देखते हैं.पीएम मोदी मंगलवार को कच्छ, गुजरात गए तो थे दुनिया के सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा पार्क का शिलान्यास करने, लेकिन इस कार्यक्रम के दौरान भी किसान आंदोलन का जिक्र करना नहीं भूले.
उनका कहना था कि कुछ लोग राजनीति कर रहे हैं और किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर चला रहे हैं मगर उन्हें देश का किसान परास्त करके रहेगा. खबरें हैं कि इससे पहले सिख समुदाय के लोगों से बातचीत के दौरान उन्होंने न केवल केंद्र की विभिन्न योजनाओं का जिक्र किया, बल्कि किसान आंदोलन से संबंधित सवालों के जवाब भी दिए.
इस दौरान पीएम मोदी का कहना था कि किसानों को डराने की कोशिश की जा रही है, जबकि किसानों का कल्याण उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रहा है. उनकी सरकार किसानों की शंकाओं के समाधान के लिए चौबीसों घंटे तैयार है. उनका यह भी कहना था कि दिल्ली के आसपास आजकल किसानों को डराने की साजिश चल रही है.
उदाहरण देते हुए उनका कहना था कि यदि कोई आपसे दूध लेने का कॉन्ट्रैक्ट करता है, तो क्या इसका मतलब वह भैंस लेकर चला जाएगा? जैसी आजादी पशुपालकों को मिल रही है, ठीक वैसी ही आजादी हम किसानों को भी दे रहे हैं. उनका यह भी कहना था कि कई वर्षों से किसान संगठन इसकी मांग करते रहे थे और जो विपक्ष आज किसानों को गुमराह कर रहा है.
वही अपनी सरकार के वक्त ऐसी ही बातें करता था. इस यात्रा में पीएम मोदी ने प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से यही संदेश देने की कोशिश की कि- किसान आंदोलन से दूरी, कृषि कानून हैं जरूरी! देखना दिलचस्प होगा कि गुजरात से चलाए गए शब्दबाणों का दिल्ली किसान आंदोलन पर क्या असर होता है?