ब्लॉग: महाराष्ट्र में पूंजी निवेश के नाम पर हवा-हवाई दावे

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: January 23, 2023 08:18 AM2023-01-23T08:18:46+5:302023-01-23T08:35:09+5:30

आपको बता दें कि महाराष्ट्र मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने यह दावा किया है कि एमओयू सिर्फ कागज पर नहीं रहेंगे, किंतु वास्तविकता यह भी है कि जो कंपनियां बीस हजार करोड़ रुपए के निवेश की बात कर रही हैं, वे बहुत छोटी हैं।

False claims in the name of capital investment in Maharashtra | ब्लॉग: महाराष्ट्र में पूंजी निवेश के नाम पर हवा-हवाई दावे

फोटो सोर्स: ANI फाइल फोटो

Highlightsमहाराष्ट्र में वैश्विक निवेशकों को लेकर एक खबर सामने आई है। एक तरफ महाराष्ट्र में जहां बड़े-बड़े निवेश के दावे किए जा रहे है। वहीं दूसरी ओर दावे किए जाने वाले कंपनी पर ही सवाल उठ रहे है।

दावोस: स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की सालाना बैठक के दौरान वैश्विक निवेशकों के साथ महाराष्ट्र के समझौतों की अब पोल खुलने लगी है. शुरुआती स्तर पर 1.37 लाख करोड़ रुपए के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर की बात कही गई थी, लेकिन उनमें जिन कंपनियों के निवेश की बात की गई, उनकी सच्चाई कुछ और ही सामने आ रही है. 

राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि एमओयू सिर्फ कागज पर नहीं रहेंगे, किंतु वास्तविकता यह भी है कि जो कंपनियां बीस हजार करोड़ रुपए के निवेश की बात कर रही हैं, वे बहुत छोटी हैं. 

इन क्षेत्रों में निवेश से मिलेंगे इतने रोजगार

हालांकि दावों के अनुसार उच्च प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 54,276 करोड़ रुपए निवेश से 4,300 लोगों को रोजगार, सूचना प्रौद्योगिकी और वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में 32,414 करोड़ रुपए के खर्च से 8,700 लोगों को नौकरी मिलेगी. नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्रों में 46,000 करोड़ रुपए के कारोबार आरंभ होने से 4,500 लोगों को रोजगार मिलेगा. 

इस्पात निर्माण क्षेत्र में 2,200 करोड़ रुपए के निवेश से 3,000 और 1,900 करोड़ रुपए के निवेश से कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 600 लोगों को रोजगार मिलेगा. इतने स्पष्ट आंकड़े जारी किए जाने के बाद यदि निवेशकों की सही जांच-पड़ताल नहीं की जाए तो सरकार के दावे हवा-हवाई ही साबित हो सकते हैं. सरकार दावा कर रही है कि नए उद्योगों के लिए जमीन आवंटन एवं अन्य प्रक्रियाओं को आरंभ कर दिया गया है. 

फेरो एलॉय प्राइवेट लिमिटेड को लेकर हो रहे है सवाल खड़े

वहीं दूसरी तरफ स्थिति यह भी है कि वरद फेरो एलॉय प्राइवेट लिमिटेड नामक विदर्भ की कंपनी के नाम पर 1520 करोड़ रुपए के निवेश का दावा किया गया है, लेकिन जमीनी स्तर पर कंपनी के पास आवश्यक आधारभूत संरचना और पूंजी दोनों नहीं हैं. दूसरी तरफ एक कंपनी ने चंद्रपुर में बीस हजार करोड़ रुपए से कोल गैसिफिकेशन प्लांट लगाने का दावा किया है और राज्य सरकार से समझौते पर हस्ताक्षर भी किए हैं. 

कंपनी को पहले बताया गया था अमेरिकी कंपनी

मगर वास्तविकता यह है कि मात्र डेढ़ करोड़ रुपए की औरंगाबाद की कंपनी इतनी बड़ी पूंजी के साथ प्लांट कैसे लगाएगी? हालांकि कंपनी को पहले अमेरिकी समझा गया था. ऐसे में सवाल यह उठता है कि दावोस में जाने के पहले और समझौतों की घोषणा करने के बाद कंपनियों के बारे में जानकारी एकत्र करने की क्या कोई कोशिश की गई थी? 

दरअसल विभिन्न आर्थिक मंचों पर समझौते कर सुर्खियां बना लेना बहुत आसान है, लेकिन वास्तविकता के धरातल पर आकर समझौतों को क्रियान्वित कर पाना बहुत मुश्किल होता है. यहीं पर सरकार के दावों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े होते हैं. फिलहाल सामने आए सच से राज्य सरकार कैसे निपटेगी, इस बात पर नजर रहेगी. कम से कम विदेश जाने के पहले ‘होम वर्क’ न करने वालों की शामत तो आएगी ही.
 

Web Title: False claims in the name of capital investment in Maharashtra

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे