भूकंप: अंधेरे में तीर चलाने की मजबूरी! प्राकृतिक आपदाओं के सामने सारा विकास बना हुआ है बौना
By अभिषेक कुमार सिंह | Published: February 9, 2023 10:43 AM2023-02-09T10:43:17+5:302023-02-09T10:45:05+5:30
मौजूदा समय में भूकंप से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है सतर्कता और बचाव के इंतजाम करना. कई देशों के उदाहरण इस संदर्भ में दिए जा सकते हैं.
तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप (7 फरवरी 2023) ने जहां एक ओर साबित किया है कि प्राकृतिक आपदाओं के सामने हमारा सारा विकास बौना है, वहीं इससे भूकंप को समय रहते पहले से जान लेने की जरूरत रेखांकित हुई है ताकि विनाश को न्यूनतम किया जा सके.
हर कोई जानता है कि जिस पृथ्वी को इंसान ने अपनी रिहाइश बनाया है, उसके अंदर चल रही भूगर्भीय हलचलों के कारण ज्वालामुखी विस्फोटों से लेकर भूकंपों तक का खतरा हमेशा बना हुआ है. वैज्ञानिक तरक्की के बावजूद इंसान आज भी धरती के अंदर की हलचलें पहले से पढ़ पाने में नाकाम ही है.
यहां तक कि एकाध मौकों पर जब वैज्ञानिकों ने दावा किया कि कोई इलाका भूकंप से महफूज है, तो वहां भूकंप आ गया. एक उदाहरण 12 साल पहले 2011 का है, जब इटली के छह साइंटिस्टों और एक सरकारी अधिकारी के खिलाफ इसलिए हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था क्योंकि वे छह अप्रैल, 2009 को इटली के ला-अकिला में आए भूकंप की सही भविष्यवाणी करने में नाकाम रहे थे.
ये सभी इटली में प्राकृतिक आपदाओं के खतरे पर नजर रखने वाली समिति के सदस्य थे. इन्हें ला-अकिला में भूकंप से ठीक एक दिन पहले यह जांच करने बुलाया गया था कि वहां बड़े भूकंप का कोई खतरा तो नहीं है. उस इलाके में निकल रही रेडॉन गैस की मात्रा के आधार पर इन साइंटिस्टों ने आश्वस्त किया था कि फिलहाल खतरा ऐसा नहीं है कि पूरे इलाके को खाली कराया जाए. पर उनके आश्वासन देने के अगले दिन वहां 6.3 की ताकत वाला बड़ा भूकंप आ गया, जिसमें 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई.
दुनिया के हजारों साइंटिस्टों ने साझा बयान में इस मुकदमे का विरोध किया था. उनका कहना था कि साइंटिस्टों को बलि का बकरा बनाने के बजाय भूकंप से सुरक्षा के उपायों पर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि वैज्ञानिक तौर पर भूकंप की पक्की भविष्यवाणी करने की कोई विधि अभी तक विकसित नहीं हो सकी है.
भूकंप से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है सतर्कता और बचाव के इंतजाम करना. कई देशों के उदाहरण इस संदर्भ में दिए जा सकते हैं. जैसे, अल्जीरिया में ज्यादातर स्कूलों और रिहाइशी इलाकों की इमारतें सीस्मिक बिल्डिंग कोड के तहत बनाई गई हैं. इसी तरह कनाडा का अपना राष्ट्रीय बिल्डिंग कोड है और वहां अस्पताल, स्कूल व अन्य सरकारी-रिहाइशी इमारतें इसी के तहत बनाई जाती हैं.
मध्य अमेरिका में सेंट्रल अमेरिका स्कूल रेट्रोफिटिंग प्रोग्राम के तहत स्कूलों की बिल्डिंग्स को खतरे से बचाने के लिए खास इंतजाम किए गए हैं. चिली के स्कूलों में बच्चों को साल में तीन बार भूकंप से बचने की ट्रेनिंग दी जाती है. इसके तहत बाकायदा मॉक ड्रिल भी होती है.