मानवता की परंपरा को न करें नजरअंदाज

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: April 28, 2025 08:23 IST2025-04-28T08:23:35+5:302025-04-28T08:23:40+5:30

वहीं आतंकियों की आवाजाही के रास्ते अलग हैं. उनके इरादे अलग हैं. उनके पीछे दिल और दिमाग दोनों अलग हैं

Do not ignore the tradition of humanity | मानवता की परंपरा को न करें नजरअंदाज

मानवता की परंपरा को न करें नजरअंदाज

पाकिस्तान से अल्पकालिक वीजा पर आए नागरिकों की वापसी की अंतिम तारीख आ चुकी है. हजारों की संख्या में पाकिस्तानी स्वदेश रवाना हो चुके हैं, जबकि अनेक भारतीय भी अपने देश आ चुके हैं. दोनों ही देशों में सीमा पार से आए नागरिकों की बड़ी तादाद है. इन सभी के आने का उद्देश्य फिल्म, चिकित्सा, खेल, पत्रकारिता, व्यापार, व्यक्तिगत कार्य आदि हैं.

सरकार मान रही है कि इस कदम से पाकिस्तान पर दबाव बढ़ेगा और दुनिया को संदेश जाएगा. केंद्र सरकार की पहल पर हो रही कार्रवाई को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्य अति उत्साह में पाकिस्तानी नागरिकों को ढूंढ़ने में जुटे हैं. महाराष्ट्र के मंत्री योगेश कदम ने शनिवार को बताया कि राज्य में 5,000 पाकिस्तानी नागरिक रह रहे हैं, जिनमें 1000 अल्पकालिक वीजा पर हैं और उन्हें केंद्र के निर्देशानुसार देश छोड़ने को कहा गया है.

उनके अनुसार कुछ लोग पिछले 8-10 वर्षों से भारत में रह रहे हैं, कुछ का यहां विवाह भी हुआ है और कुछ ऐसे हैं जिन्होंने अपना पाकिस्तानी पासपोर्ट जमा कर भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया है. यही कुछ स्थिति उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, गुजरात, राजस्थान जैसे राज्यों में भी है. वैसे पाकिस्तानियों की वापसी पर कोई दो-राय नहीं है, लेकिन जिस प्रकार वापसी हो रही है उसमें अमेरिका के दूसरे देशों के नागरिकों को भेजने जैसी अफरा-तफरी की स्थिति बनाई जा रही है.

पाकिस्तान सीमा पर वाहनों की कतार लग गई है. आने-जाने वालों की कोई सुनवाई नहीं है. कोई व्यक्ति किस कारण आया और क्यों आना चाहता है, इस पर सदाशयता दिखाई नहीं दे रही है. एक तरफ जहां पहलगाम की घटना को मानवता से जुड़ा गंभीर अपराध बताया जा रहा है, तो दूसरी ओर सहिष्णुता का बोध सीमाओं पर क्यों नहीं दिख रहा है? महिलाओं की आंखों में आंसू, आने-जाने वाले बुजुर्गों के परेशान चेहरे कहीं न कहीं देश की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं. देश का संघर्ष आतंकवाद के साथ है.

मगर दोनों देश की जनता के साथ कोई विवाद नहीं है. वह अपने विभिन्न प्रकार के संबंधों में बड़ी आसानी से आती-जाती है. आने-जाने वालों से अब तक कोई गंभीर अपराध का मामला सामने नहीं आया है. वहीं आतंकियों की आवाजाही के रास्ते अलग हैं. उनके इरादे अलग हैं. उनके पीछे दिल और दिमाग दोनों अलग हैं. उसे सामान्य आदमी से जोड़ कर या कुछ परिस्थितियों में समान व्यवहार कर संदेश नहीं दिया जा सकता है.

शादियों के मौसम में विवाह संस्कार का ठहरना, चिकित्सा से वंचित रह जाना, किसी असामान्य परिस्थिति में लोगों का मिलना-जुलना जैसे मामलों को नजरअंदाज कर देश के गुस्से का प्रदर्शन करना बहुत ठीक नहीं माना जा सकता है. बेशक अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों को उनके देश वापस भेजा जाना चाहिए, कूटनीतिक संबंध समाप्त होने पर भी वीजा रद्द कर वापसी होनी चाहिए, लेकिन इस सब के बीच कहीं न कहीं मानवता को जिंदा रखना चाहिए. उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. वही देश की पहचान है. यदि वह समाप्त हो जाएगी तो दूसरे देश से अंतर क्या रह जाएगा?

Web Title: Do not ignore the tradition of humanity

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