Delhi Government Schools: निजी स्कूलों में बढ़ती फीस के बीच सरकारी स्कूलों का बढ़ता महत्व

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 21, 2025 05:21 IST2025-04-21T05:21:51+5:302025-04-21T05:21:51+5:30

Delhi Government Schools Fee Hike: मेरे माता-पिता ने मुझे इंग्लिश स्कूल में डाला, फिर तीसरी कक्षा में मेरा सरकारी स्कूल में दाखिल करा दिया. हम छह बहनें थीं.

Delhi Government Schools Fee Hike growing importance government schools amid rising fees in private schools blog Kiran Chopra | Delhi Government Schools: निजी स्कूलों में बढ़ती फीस के बीच सरकारी स्कूलों का बढ़ता महत्व

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Highlightsपिताजी बहुत समर्थ थे परंतु उनके मन में सरकारी स्कूल के प्रति बहुत आस्था थी. अनुसार सरकारी स्कूल के पढ़े हुए बच्चे बहुत आगे निकलते हैं.फिर इरादा बदलता गया, क्योंकि पढ़ाई से ज्यादा एक्टिविटीज में ध्यान हो गया.

Delhi Government Schools Fee Hike: बहुत ही अच्छा कदम है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और मंत्री आशीष सूद स्कूल की बढ़ती फीसों की तरफ ध्यान दे रहे हैं क्योंकि आज महंगाई का जमाना है. बच्चों पर जैसे स्कूल बैग का भार बढ़ता जा रहा है वैसे ही माता-पिता पर स्कूल फीस का भार भी बढ़ता जा रहा है. हर माता-पिता अपने बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा देना और बढ़िया स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं. मुझे याद है मेरे माता-पिता ने मुझे इंग्लिश स्कूल में डाला, फिर तीसरी कक्षा में मेरा सरकारी स्कूल में दाखिल करा दिया. हम छह बहनें थीं.

स्कूल का खर्च उस समय के हिसाब से भी ज्यादा था, मेरे पिताजी बहुत समर्थ थे परंतु उनके मन में सरकारी स्कूल के प्रति बहुत आस्था थी. उनके अनुसार सरकारी स्कूल के पढ़े हुए बच्चे बहुत आगे निकलते हैं. मैंने भी दसवीं तक टॉप किया. मुझे स्कॉलरशिप भी मिली. उसके बाद मेडिकल लाइन ज्वाइन  की. फिर इरादा बदलता गया, क्योंकि पढ़ाई से ज्यादा एक्टिविटीज में ध्यान हो गया.

नया-नया टीवी आ गया, फिर 10वीं के एग्जाम के बाद छुट्टियों में अमृतसर दूरदर्शन टीवी पर न्यूज रीडर बन गई. फिर मेडिकल लाइन छोड़ आईएएस बनने की तैयारी में पाॅलिटिकल साइंस, इकोनॉमिक्स सब्जेक्ट ले लिया. मेरे कहने का अर्थ है कि सरकारी स्कूल भी कम नहीं होते हैं, अगर शिक्षक ईमानदारी से अपनी ड्यूटी निभाएं. कहते हैं न कि बच्चे की प्रथम गुरु मां है तो दूसरी उसकी शिक्षिका.

मेरा मानना है कि महंगी शिक्षा के प्रति एक आकर्षण तो रहता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सरकारी स्कूल किसी से कम हैं. मैंने सरकारी स्कूलों और कॉलेजों से पढ़े सैकड़ों स्टूडेंट्स देखे हैं जो आगे चलकर आईएएस या आईपीएस बने. मैं महंगी फीस की विरोधी हूं और ऐसी व्यवस्था की पक्षधर हूं कि शिक्षा हर किसी का अधिकार होना चाहिए.

ऐसे माता-पिता हैं जो ज्यादा पैसा नहीं दे सकते. सरकार ने उनके लिए स्कूलों में व्यवस्था कर रखी है क्योंकि वह महंगी नहीं है इसलिए मैं उसका स्वागत करती हूं लेकिन महंगी शिक्षा उन लोगों के लिए है जिन लोगों के पास संपन्नता है. आदर्श शिक्षा के दम पर गरीब लोगों ने मेहनत कर-करके किसी ने आईएएस तो किसी ने आईपीएस तो किसी ने प्रतिस्पर्धा के बीच खुद को सीए बनाया है.

सरकार से गुजारिश है कि देशभर में बच्चों के लिए हर आयु वर्ग के लिए शिक्षा मुफ्त होनी चाहिए. यद्यपि इस कड़ी में स्वास्थ्य को भी मैं जोड़ रही हूं लेकिन सरकार की आयुष्मान भारत योजना, जो कि अब दिल्ली का भी हिस्सा हो चुकी है, के प्रति मैं आभार व्यक्त करती हूं. लेकिन सस्ती शिक्षा रवींद्रनाथ टैगोर की उस पाठशाला का ही कांसेप्ट है जिसके परिणाम गुणवत्ता और बड़े उच्च दर्जे से जुड़े हुए हैं.

ऐसी आदर्श शिक्षा को सौ-सौ बार नमन. सभी की इच्छा होती है कि बड़े से बड़े नामी-गिरामी स्कूल में उनका बच्चा पढ़े, इसलिए सरकार को देखना जरूरी है कि हर स्कूल की फीस ज्यादा न हो. ऊपर से महंगे स्कूल की किसी न किसी रूप में कुछ न कुछ डिमांड भी रहती है, जो बंद होनी चाहिए. स्कूल स्वच्छ वातावरण में ईमानदारी से चलने चाहिए चाहे वे सरकारी हों या प्राइवेट. नर्सरी के बच्चों के अभिभावकों पर भी दबाव कम होना चाहिए.

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