शोभना जैन का ब्लॉगः कनाडा में ‘खालिस्तानी अलगाववाद’ को झटका
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 15, 2018 03:16 PM2018-12-15T15:16:00+5:302018-12-15T15:16:00+5:30
विशेष चिंता की बात यह है कि वर्ष 2013 में कनाडा की लिबरल जस्टिन टड्रो सरकार के आने से ये अलगाववादी तत्व और सक्रिय हुए हैं. टड्रो सरकार पर खालिस्तान समर्थकों के प्रति नरम रवैया रखने के आरोप लगते रहे हैं.
शोभना जैन
पिछले कुछ बरसों से कनाडा में सक्रिय ‘खालिस्तानी अलगाव वादियों’ की वजह से भारत-कनाडा संबंधों में छाए धुंधलके के कुछ छंटने को लेकर एक अच्छी खबर है. कनाडा सरकार ने वर्ष 2018 की अपनी पब्लिक सेफ्टी रिपोर्ट में इसको आखिरकार ‘आतंकी खतरा’ मान लिया है और इस पर चिंता जताते हुए कार्रवाई करने पर जोर दिया है. कनाडा के कुछ भागों में सक्रिय इन अलगाववादी ताकतों पर भारत सरकार लंबे समय से कनाडा सरकार से अपनी चिंता जताते हुए लगाम कसने की मांग कर रही है.
विशेष चिंता की बात यह है कि वर्ष 2013 में कनाडा की लिबरल जस्टिन टड्रो सरकार के आने से ये अलगाववादी तत्व और सक्रिय हुए हैं. टड्रो सरकार पर खालिस्तान समर्थकों के प्रति नरम रवैया रखने के आरोप लगते रहे हैं. इसी के चलते कनाडा के प्रधानमंत्नी टड्रो की पिछली भारत यात्ना में दोनों देशों के बीच रिश्तों में ठंडापन देखने को मिला, जिस पर टड्रो ने अपनी प्रतिक्रिया भी जताई थी. यह रिपोर्ट टड्रो की भारत यात्ना के विशेष आकलन को लेकर जारी की गई.
नेशनल सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस कमेटी ऑफ पार्लियामेंटेरियंस द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में जिस तरह कनाडा की सीमा में रह कर किसी देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे आतंकी तत्वों के खिलाफ हर हाल में जांच करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने पर जोर दिया गया है, वह द्विपक्षीय संबंधों के लिए अच्छी खबर है.
दरअसल भारत-कनाडा संबंध बहुआयामी है जो व्यापार, ऊर्जा, शिक्षा जैसे कितने ही क्षेत्नों में व्यापक सहयोग से जुड़े हैं लेकिन पिछले कुछ समय से आतंक की छाया उन संबंधों पर छाई हुई है. अगर एक बार फिर टड्रो की भारत यात्ना की बात करें तो इस यात्ना में टड्रो के शिष्टमंडल में खालिस्तानी आतंकी जसपाल अटवाल की मौजूदगी को लेकर भारत ने कड़ी प्रतिक्रि या जताई जिस पर कनाडा की तरफ से सफाई भी आई और दोनों देशों के बीच आरोप प्रत्यारोप भी हुए. कनाडा में सरकार के अनेक नेताओं को अलगाववादी आंदोलन का समर्थक माना जाता है.
टड्रो की भारत यात्ना में पंजाब के मुख्यमंत्नी अमरिंदर सिंह ने अलगाववादी गतिविधियों में सक्रि य 10 लोगों की सूची भी भेजी थी और उस पर कार्रवाई करने की मांग की थी. हाल ही में पाकिस्तान स्थित करतारपुर गलियारे को भारत और पाकिस्तान द्वारा मिल कर बनाए जाने के फैसले से भी वहां फिर से सक्रि य हो रहे खालिस्तानी तत्वों की गतिविधियां बढ़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है.
दरअसल यहां कनाडा की राजनीति को भी समझना होगा. टड्रो की लिबरल पार्टी की नजर बड़ी तादाद में सिख कनाडाई वोटो पर रहती है. उनकी कैबिनेट में फिलहाल चार सिख कनाडाई मंत्नी हैं जिसमें रक्षा मंत्नी सज्जन एक ताकतवर चेहरा हैं. कनाडा में भारतीयों की लगभग चार प्रतिशत आबादी है जिस में 1.5 प्रतिशत सिख हैं. इन्हीं राजनीतिक समीकरणों का फायदा ये अलगाववादी गुट उठाते हैं.