सारंग थत्ते का ब्लॉगः कैडर समीक्षा एक अहम कदम!
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: September 11, 2018 08:47 PM2018-09-11T20:47:28+5:302018-09-11T20:47:28+5:30
कम से कम एक लाख पचास हजार पद खंगाले जाएंगे और सेना के खर्चे कम करने के लिए अभियान चलाया जाएगा।
सारंग थत्ते
जुलाई के मध्य में जो खबर भारतीय सेना के ब्रिगेडियर रैंक के संदर्भ में आई थी उस पर अब आगे कार्रवाई होने की गुंजाइश बढ़ गई है। सेना मुख्यालय से जुड़े जानकार मानते हैं कि बड़े पैमाने पर भारतीय सेना अपने आप का मंथन करने में जुट रही है। विचार-विमर्श और समितियों का गठन किया जा चुका है। निर्देश दिए गए हैं - सुगबुगाहट नजर आ रही है। किस पर गाज गिरेगी इसका तो पता कुछ महीने बाद चलेगा लेकिन यह तय है कि कम से कम एक लाख पचास हजार पद खंगाले जाएंगे और सेना के खर्चे कम करने के लिए अभियान चलाया जाएगा।
दिसंबर 2004 में अजय विक्रम सिंह के अधीन बनाई गई समिति ने सेना में यूनिट कमांडर का सेवाकाल कम करते हुए थल सेना में मेजर और लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के अधिकारियों को बेहतर प्रमोशन के द्वार खोले थे। सरकार ने सेना को अपने ढांचे को चुस्त-दुरु स्त बनाने की कवायद करने का हुक्म दिया था। इसी प्रक्रि या के तहत कई यूनिटों में किस तरह कटौती की जा सकती है, इसके लिए कदम उठाए गए हैं। इस बाबत कुछ निर्णय लिए जा चुके हैं और कुछ पर अमल भी हो चुका है। इससे पहले अगस्त 2017 में सेना ने 57,000 सैनिकों को लड़ाई के लिए इस्तेमाल करने के उद्देश्य से सेना की संरचना में बड़ा बदलाव किया था।
जनरल शेकटकर समिति द्वारा दी गई सिफारिशों को अमल में लाने के लिए यह कवायद की गई थी। इसका एक मुख्य कारण यह था कि सेना अपने खर्चे कम कर पैसे की बचत कर सके जिससे युद्ध के जरूरी साजो-सामान के लिए हम धन जुटा सकें। कुछ सवाल इस कैडर समीक्षा पर भी उठ खड़े होते हैं। प्रशासनिक सुधार समिति की सिफारिशों के अनुसार इस किस्म की समीक्षा हर पांचवें साल में होना चाहिए। कमीशंड अधिकारियों की कैडर समीक्षा लगभग 30 वर्षो में नहीं की गई है। क्यों? इसे न करवाने का जिम्मा कौन लेगा? अब शायद सेना इस बात पर भी विचार कर रही है कि सैनिकों की जल्द सेवानिवृत्ति के बदले में उन्हें पेंशन में बढ़ोत्तरी दी जाए।