लाइव न्यूज़ :

ब्लॉगः छात्रों के लिए कभी कम नहीं होगा शिक्षकों का महत्व

By गिरीश्वर मिश्र | Updated: September 5, 2023 12:27 IST

आज सामाजिक परिवर्तन विशेषतः प्रौद्योगिकी की तीव्र उपस्थिति शिक्षक और शिक्षार्थी के रिश्तों को नए सिरे से परिभाषित कर रही है। साथ ही कक्षा, समाज और व्यापक विश्व के संदर्भ में शिक्षक की संस्था भी नए ढंग से जानी-पहचानी जा रही है।

Open in App

मानव सभ्यता के संदर्भ में अध्यापन-कार्य न केवल दूसरे व्यवसायों की तुलना में सदैव विशेष महत्व का रहा है बल्कि अन्य सभी व्यवसायों का आधार भी है। आज सामाजिक परिवर्तन विशेषतः प्रौद्योगिकी की तीव्र उपस्थिति शिक्षक और शिक्षार्थी के रिश्तों को नए सिरे से परिभाषित कर रही है। साथ ही कक्षा, समाज और व्यापक विश्व के संदर्भ में शिक्षक की संस्था भी नए ढंग से जानी-पहचानी जा रही है। इसके फलस्वरूप शिक्षक की औपचारिक भूमिका और व्याप्ति का क्षेत्र जरूर अतीत की तुलना में वर्तमान काल में नए-नए आयाम प्राप्त कर रहा है। इन सबके बीच अभी भी अध्यापक अपने गुणों, कार्यों और व्यवहारों से छात्रों को प्रभावित कर रहा है और उसी के आधार पर भविष्य के समाज और देश के भाग्य को भी अनिवार्य रूप से रच रहा है। एक अध्यापक को समाज ने अधिकार दिया है कि वह अपने छात्र के जीवन में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से हस्तक्षेप करे; विद्यार्थियों को भविष्य के सपने दिखाए और उनमें निहित क्षमता को समृद्ध कर उन सपनों को साकार करने के लिए तैयार करे।

सामाजिक मूल्यों और मानकों का पालन, गुणवत्तापूर्ण सीखने-सिखाने की प्रक्रिया छात्रों की आवश्यकताओं को जान कर ईमानदार और न्यायपूर्ण समाधान आज की सबसे बड़ी चुनौती हो गई है। मानवीय गरिमा का आदर स्थापित हो, इसके लिए प्रभावी संचार, सामूहिक दायित्व का निर्वाह और निजता की रक्षा जरूरी होगी। आज के संदर्भ में अध्यापन, मूल्यांकन और अभिव्यक्ति आदि शिक्षा के विभिन्न पक्षों में प्रौद्योगिकी का समुचित उपयोग करने की प्रभावी नीति तात्कालिक आवश्यकता है। प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च शिक्षा तक का शिक्षा-संदर्भ निजी, सरकारी और अर्ध सरकारी संस्थाओं की श्रेणियों में बंटा हुआ है और इनमें भी भयानक स्तर भेद हैं। इनके कायदे-कानून, अध्यापकों को मिलने वाले अवसर, कार्यभार और वेतन आदि में बड़े भेद और विसंगतियां बनी हुई हैं।

केंद्रीय महत्व का होने पर भी बहुत कम संस्थाओं में अध्यापक का स्वायत्त अस्तित्व होता है अन्यथा वह राजनीति, शासन, प्रशासन पर आश्रित रहता है। आज अधिकांश शिक्षा संस्थाएं तदर्थ (एड हाक) अध्यापकों के भरोसे चल रही हैं और खोखली हो रही हैं। शिक्षा नीति–2020 के महत्वाकांक्षी स्वप्न को आकार देने के लिए अध्यापकों की स्थायी व्यवस्था जरूरी होगी। पूरी शिक्षा व्यवस्था जिस तरह व्यवसायीकरण की चपेट में है, उसका हिंसक परिणाम कोचिंग नगरी कोटा की कथा से उजागर होता है जहां विद्यार्थियों में आत्महत्या की प्रवृत्ति फैल रही है या फिर अव्यवस्थित कोचिंग संस्थानों में लगी आग में विद्यार्थी झुलसते-मरते हैं।

टॅग्स :शिक्षक दिवस
Open in App

संबंधित खबरें

भारतTeacher's Day Special: पूजा का आधार गुरु चरण?, श्री राम-कृष्ण की कहानी सुनाकर सीएम डॉ. मोहन ने किया गुरुओं का सम्मान, जानें क्या दी मेगा गिफ्ट?

भारतTeacher's Day Special: पूजा का आधार गुरु चरण?, श्री राम-कृष्ण की कहानी सुनाकर सीएम डॉ. मोहन ने किया गुरुओं का सम्मान, जानें क्या दी मेगा गिफ्ट?

भारतHappy Teachers' Day 2025: शिक्षकों में चाहिए सृजनात्मक ऊर्जा और उत्साह

भारतHappy Teachers Day 2025: अपने शिक्षक को भेजें शुभकामनाएं?, मैसेज, चित्र देकर करिए प्रणाम

भारतIndian Teacher's Day: अपने शिक्षकों की हम क्यों नहीं करते कद्र?

भारत अधिक खबरें

भारत2026 विधानसभा चुनाव से पहले बंगाल में हलचल, मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की आधारशिला, हुमायूं कबीर ने धर्मगुरुओं के साथ मिलकर फीता काटा, वीडियो

भारतमहाराष्ट्र महागठबंधन सरकारः चुनाव से चुनाव तक ही बीता पहला साल

भारतHardoi Fire: हरदोई में फैक्ट्री में भीषण आग, दमकल की गाड़ियां मौके पर मौजूद

भारतबाबासाहब ने मंत्री पद छोड़ते ही तुरंत खाली किया था बंगला

भारतWest Bengal: मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी शैली की मस्जिद’ के शिलान्यास को देखते हुए हाई अलर्ट, सुरक्षा कड़ी