BLOG: आपके बिस्तर और चौके की सजावट नहीं हैं हम, अब खोलना होगा इन गिरहों को

By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: March 20, 2018 02:23 PM2018-03-20T14:23:20+5:302018-03-20T14:23:20+5:30

आज भी हमारा समाज इस बात की मंजूरी नहीं देता कि एक लड़की बिना शादी किए अपना जीवन अकेले अपनी शर्तों पर जिए।

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किसी की गलत संगत से अच्छा है कि अकेले रहा जाए और ये किसी ग्रंथ या कानून में तो नहीं लिखा है कि जीवन में शादी करना ही सबसे जरूरी है। जिंदगी में कुछ पल ऐसे आते हैं जब आपको इतना मजबूत बनाते हैं कि आप किसी और के ऊपर निर्भर ना होकर खुद अकेले रहने का फैसला करते हैं। जरूरी तो नहीं जिंदगी के गलियारों में किसी का साथ ही अकेले अपनी मर्जी से अपनी शर्तों पर जीने में भी कोई बुराई नहीं है। विकास की ओर बढ़ रहे भारत में आज भी लेकिन एक सिंगल वूमेन को अच्छा नहीं बताया जाता है। लेकिन अब अगर देखा जाए तो ये आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है।

लेकिन आज भी ये समाज इस बात की मंजूरी नहीं देता कि एक लड़की बिना शादी किए अपना जीवन अकेले अपनी शर्तों पर जिए। लड़की को या तो किसी के बिस्तर का साथ या फिर चौके की सजावट माना जाता है, हां एक बात जरूर है अब भारत का महिलाओं का एक वर्ग दफ्तरों तक पहुंच गया है लेकिन अभी भी वह इन सबसे अछूता नहीं है। मगर कोई ये नहीं सोचता कि सबसे अलग खुद के लिए एक सोच सिंगल वुमेन की भी हो सकती है। कई बार अगर कोई अकेले रहना का फैसला करता है तो करारा जाता है कि कोई कमी होगा। अरे जनाब ऐसा जरुरी नहीं है कि उसमें कोई कमी है कि वह वैवहिक जीवन नहीं जी सकती या फिर इश्क की वेवफाई का नतीजा है अकेले रहना है। अपने लिए भी तो जीवन कुछ करना जरूरी है क्योंकि जिंदगी तो हमारी है ना। 

किसी ने मुझसे पूछा क्या जीवन में सिंगल वूमेन का होना अपने अंदाज में जीना गलत हैं, तो जोश में कहा अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीना चाहिए। सच्चाई की धरातल पर अगर कदम रखें तो एक ही जवाब मिलता है न तो अब सिंगल रह सकते हैं और न ही अपनी मर्जी के जीवन साथी को चुन सकते हैं। बात थोड़ी विवादित हो सकती है। क्योंकि शायद अभी भी आस-पास का वो माहौल नहीं मिल पाया है कि मैं अकेले रह पाऊं, थोड़ा सोचा तो कुछ चेहरे सामने आए तो और एक बात दिमाग में घूमी कि सिंगल वूमन को करेक्टर भी तो खराब बता दिया जाता है अगर अकेली औरत ने किसी मर्ज से बात कर ली तो समझो कॉल गर्ल को वही है।

सिंगल वूमेन की बढ़ रही तादात

आज हमारे देश में अकेली रहने वाली औरतों की संख्या लगातार बढ़ रही है, 2011 के जनसंख्या के आंकड़े कहते हैं कि देश की कुल औरतों में अकेली औरतों का परसेंट 21 के करीब है- कुल मिलाकर करीब साढ़े सात करोड़ के करीब औरतें अकेली हैं। वहीं,  इनमें सभी तरह की औरतें शामिल हैं- शादी न करने वाली, विधवा, तलाकशुदा हैं। जबकि आंकड़े यह भी कहते हैं कि 2001 से 2011 के दौरान अकेली औरतों की संख्या में 40 परसेंट का इजाफा हुआ है।

क्यों उठते हैं सवाल

एक बात समझ नहीं आती अगर कोई अकेले रहना चाहता है तो उस पर सवाल क्यों उठते है। एक औरत आज भी अगर खुद के फैसले के साथ रहना चाहती है तो  उसे तरह-तरह की आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा है। लोगों को ऐसा लगता है अकेले रह रही मतलब कोई कमी होगी , पता नहीं क्या-क्या और अगर अपनी मर्जी का वर चुन रही तो चरित्रहीन भी कहा जा सकता है। आज आंकड़े भले ये कह रहे हों कि औरतों के अकेले रहने में इजाफा हो रहा हो लेकिन फिर भी आम जिंदगी की गुफ्तगू में ये कहां है समझ नहीं आता है।

अकेले हैं तो क्या गम है फिर भी मेरा दिल भारी है, हमें कोई अकेले भी तो नहीं रहने देता है आज। आखिर एक महिला अपने जीवन में करे तो क्या करे। कब तक बंदिशो में जकड़ी रहे, क्यों उसको उड़ने नहीं दिया जा रहा है। शायद एक औरत को अभी और गिरहें खोलनी बांकी हैं। 

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