ब्लॉग: सुरक्षित रेलयात्रा को लेकर उठते गंभीर सवाल
By योगेश कुमार गोयल | Published: November 2, 2023 11:03 AM2023-11-02T11:03:29+5:302023-11-02T11:08:53+5:30
पिछले चंद दिनों की कुछ रेल दुर्घटनाओं पर नजर डालें तो रेल सुरक्षा को लेकर डरावनी तस्वीर सामने आती है। इस कारण से सुरक्षित रेल यात्रा को लेकर निरंतर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
सुरक्षित रेल यात्रा को लेकर निरंतर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। 29 अक्तूबर की शाम आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले में विशाखापट्टनम-पलासा पैसेंजर और विशाखापट्टनम-रायगढ़ पैसेंजर रेलगाड़ियों की हुई टक्कर ने इन सवालों को और गंभीर बना दिया है। इस रेल हादसे में 14 यात्रियों की मौत हुई जबकि 50 से ज्यादा घायल हुए।
बिहार के बक्सर में रघुनाथपुर स्टेशन पर 11 अक्तूबर को हुए भीषण रेल हादसे के तीन सप्ताह के भीतर ही रेल हादसों के कई मामले सामने आ चुके हैं। 11 अक्तूबर की रात रघुनाथपुर स्टेशन पर दिल्ली से गुवाहाटी जा रही आनंद विहार कामाख्या नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी।
पिछले चंद दिनों की कुछ रेल दुर्घटनाओं पर नजर डालें तो रेल सुरक्षा को लेकर डरावनी तस्वीर सामने आती है। 28 अक्तूबर को मुजफ्फरपुर-हाजीपुर रेलखंड पर कुढ़नी स्टेशन के पास करीब एक फुट टूटी पटरी से कई ट्रेनें गुजर गईं।
कंट्रोल रूम को पटरी टूटी होने की जानकारी मिलते ही आनन-फानन में पटरी ठीक कराई गई। 27 अक्तूबर को महाराष्ट्र में पश्चिम रेलवे के वसई रोड स्टेशन यार्ड में एक मालगाड़ी के 2 डिब्बे पटरी से उतर गए और उसी दिन हरियाणा के हिसार में सातरोड रेलवे स्टेशन पर मालगाड़ी के एक डिब्बे के दो पहिए पटरी से उतरे।
उसी तरह 25 अक्तूबर को पटरी पर दौड़ रही पातालकोट एक्सप्रेस के कुछ डिब्बों में आग लगने से कुछ यात्री झुलस गए। उसी दिन वाराणसी में चौकाघाट पुल पर एक मालगाड़ी के 3 डिब्बे पटरी से उतर गए और रेल पटरी भी क्षतिग्रस्त हो गई।
16 अक्तूबर को बक्सर में डुमरांव रेलवे स्टेशन के निकट एक पार्सल ट्रेन पटरी से उतर गई थी। उसी दिन बीड जिले के आष्टी स्टेशन से अहमदनगर जा रही एक डीईएमयू यात्री ट्रेन के 5 डिब्बों में आग लग गई। ऐसी घटनाओं की श्रृंखला लंबी है।
कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (सीएजी) की रिपोर्ट में रेलवे ट्रैक की मरम्मत को लेकर चिंता जताई जा चुकी है। 21 दिसंबर 2022 को संसद में रखी गई उस रिपोर्ट में कहा गया था कि विभिन्न रेलवे जोन रेलवे बोर्ड द्वारा तय पटरियों की मरम्मत और निगरानी से जुड़े नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।
सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे बोर्ड के नियम कहते हैं कि मुख्य रूटों पर पटरियों का हर 2 महीने में अल्ट्रासोनिक मशीनों से मुआयना होना चाहिए। अल्ट्रासोनिक तकनीक के जरिये उन क्रैक को भी ढूंढ़ा जा सकता है, जिन्हें खुली आंखों से ट्रैकमैन के लिए देख पाना संभव नहीं होता।
सीएजी रिपोर्ट में 2017 से 2021 की अवधि के बीच रेलवे के अल्ट्रासोनिक फ्लो डिटेक्शन (यूएसएफडी) परीक्षण में खामियों पर भी सवाल उठाए गए थे।
रिपोर्ट के मुताबिक यूएसएफडी परीक्षण के मामले में उत्तर रेलवे में 50 प्रतिशत कमी पाई गई। जिस कवच प्रणाली को रेल दुर्घटनाएं रोकने में बेहद प्रभावी माना जा रहा है, उसे अभी तक देश के समूचे रेल नेटवर्क के केवल दो प्रतिशत हिस्से में ही लागू किया जा सका है।