नितिन गडकरी का ब्लॉग: देश की बौद्धिक संपदा थे अरुण जेटली
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 25, 2019 06:45 AM2019-08-25T06:45:55+5:302019-08-25T06:45:55+5:30
2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद एक अनुभवी और वरिष्ठ सहयोगी होने के नाते उनके पास मार्गदर्शन के लिए अनेक सहयोगी जाया करते थे. वित्त मंत्री के रूप में उनका काम ऐसा था कि देश के इतिहास में उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा.
भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद, शुरुआत में दिल्ली मेरे लिए नई थी. दिल्ली की राजनीति बहुत अलहदा है. आरंभ में मुङो हमेशा यह आशंका घेरे रहती थी कि क्या मैं यहां सफल हो सकूंगा. उस वक्त केंद्र में कांग्रेसनीत यूपीए की सरकार थी. हमारी पार्टी के सामने अनेक चुनौतियां थीं. मेरा स्वभाव कुछ ऐसा है कि जो महसूस करता हूं, उसे स्पष्ट बोल देता हूं.
कोई बात खटकती है तो उसे मुंह पर कह देता हूं. मुङो डर था कि दिल्ली की राजनीति में मेरा यह स्वभाव कहीं दोष तो नहीं साबित होगा. ऐसे माहौल के बीच, मुङो अरुण जेटली के रूप में एक वरिष्ठ मित्र मिले. जेटलीजी से मेरा अनेक वर्षो का परिचय था लेकिन दिल्ली आने के पूर्व मैंने महाराष्ट्र में अनेक वर्षो तक काम किया था जिससे मेरी उनके साथ बहुत ज्यादा घनिष्ठता नहीं थी. दिल्ली आने के बाद यह जन्म-जन्मांतर का नाता बन गया.
दिल्ली में मुङो अरुण जेटली के रूप में एक ऐसे सहयोगी मिल गए जिन पर मैं आंख मूंद कर विश्वास कर सकता था और अपने मन की सारी भावनाएं उनके सामने प्रकट कर सकता था. अध्यक्ष के रूप में काम करते हुए, पार्टी के अंदर निर्णय लेते समय अनेक बार मुश्किलें आईं. असमंजस पैदा हुआ. ऐसे वक्त में जेटलीजी ने मदद की.
जेटलीजी ने समय-समय पर एक भाई की तरह मेरा मार्गदर्शन किया. कानून के वे गहरे ज्ञाता थे इसलिए उनकी सूचना, सलाह तार्किक दृष्टि से उचित साबित होते थे. अगर कोई विषय कठिन होता तो वे उसे भी बड़ा ही आसान बनाकर समझाते थे. पार्टी की बैठक में भी वे किसी विषय पर गहन विचार और अध्ययन करने के बाद ही बोलते थे. राज्यसभा में पार्टी का नेतृत्व करने के दौरान उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस गठबंधन सरकार को अपने भाषणों से अनेक बार मुश्किल में डाला था.
2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद एक अनुभवी और वरिष्ठ सहयोगी होने के नाते उनके पास मार्गदर्शन के लिए अनेक सहयोगी जाया करते थे. वित्त मंत्री के रूप में उनका काम ऐसा था कि देश के इतिहास में उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा. अपने मूल्यों के साथ उन्होंने कभी समझौता नहीं किया. इस मामले में वे व्यक्तिगत हितसंबंधों की भी परवाह नहीं करते थे.
वे विलक्षण बुद्धि के धनी थे और विभिन्न मुद्दों को समझने तथा उनका सटीक आकलन करने की अद्भुत क्षमता भी उनमें थी इसलिए भारत के अग्रणी वकीलों में उनका नाम था. दिल्ली विश्वविद्यालय के चुनावों के दौरान अरुण जेटली की नेतृत्व क्षमता सामने आई. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को केवल दिल्ली ही नहीं बल्कि संपूर्ण भारत में पहुंचाने का काम उन्होंने किया. वह दौर ऐसा था कि तब संगठन बनाना और उसकी जड़ों को गहराई तक पहुंचाना बेहद कठिन काम था. जेटली रात-दिन मेहनत करते थे.
निष्णात वकील बन जाने के बाद भी वे संगठन और पार्टी को पूरा समय देते थे. देश और दुनिया में इस समय क्या चल रहा है, इस बारे में उन्हें अचूक जानकारी रहती थी.
वित्त मंत्री के रूप में उनका कामकाज प्रभावी था. विशेषकर पिछले पांच वर्षो में ढांचागत सुविधाओं के विकास के लिए जो काम हुआ उसे उनका पूरा समर्थन हासिल था. उसके पीछे उनका ‘विजन’ होता था. उनके साथ मैं विनिवेश संबंधी समिति का सदस्य था. पांच वर्षो में सरकारी उपक्रमों, संस्थाओं को निधि दिलाने में उनका बहुत बड़ा हाथ था.
कानून, वित्त, रक्षा जैसे विभिन्न विषयों का गहन अभ्यास होने से अरुण जेटली केवल भाजपा के ही नहीं बल्कि देश की भी बौद्धिक संपदा थे. ऐसा व्यक्ति मिलना दुर्लभ है. वे अपने सारे क्रियाकलापों के साथ समाज और देश के लिए समर्पित थे. अपनी बुद्धिमत्ता का पूरा फायदा उन्होंने समाज को दिया और सभी का भला हो, इसके लिए उन्होंने आजीवन अथक प्रयास किया.
ऐसे ही लोग समाज के अनगिनत संघर्षरत युवकों की जिंदगी को दिशा, संबल देते हैं. अरुण जेटली का निधन केवल भाजपा के लिए ही नहीं बल्कि देश और दुनिया के लिए भी अपरिमित क्षति है. मेरी अपने इस वरिष्ठ सहयोगी और पारिवारिक मित्र को भावपूर्ण श्रद्धांजलि.