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ब्लॉग: सॉफ्ट हिंदुत्व को अपनाने की ओर बढ़ रही है कांग्रेस!

By अवधेश कुमार | Updated: August 23, 2023 08:05 IST

मध्य प्रदेश कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के हिंदुत्व से संबंधित बयान सोशल मीडिया पर वायरल हैं।

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ठळक मुद्देकमलनाथ और दिग्विजय सिंह के हिंदुत्व से संबंधित बयान सोशल मीडिया पर वायरल हैंकमलनाथ ने पत्रकार से हिंदू राष्ट्र पर कहा कि उसे उसके बारे में कहने की क्या जरूरत हैदिग्विजय सिंह ने बी कहा कि एमपी में कांग्रेस की सरकार बनी तो बजरंग दल पर बैन नहीं लगाएंगे

मध्य प्रदेशकांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के हिंदुत्व से संबंधित बयान सोशल मीडिया पर वायरल हैं। दोनों प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मध्य प्रदेश चुनाव की कमान मुख्यतः इन्हीं दोनों के हाथों में है। इसलिए उनके बयानों और गतिविधियों को कांग्रेस की चुनावी रणनीति का अंग स्वाभाविक ही माना जाएगा।

कमलनाथ से एक पत्रकार हिंदू राष्ट्र के बारे में प्रश्न पूछता है। कमलनाथ कह रहे हैं कि है तो उसे कहने की क्या जरूरत है। इसका सामान्य अर्थ यही लगाया गया है कि वे मान रहे हैं कि भारत हिंदू राष्ट्र है लेकिन उसे बोलने की आवश्यकता नहीं है। इसी तरह दिग्विजय सिंह हिंदुत्व से संबंधित बयान में संघ और भाजपा का विरोध कर रहे हैं।

जब दिग्विजय सिंह से पूछा गया कि क्या वह बजरंग दल पर बैन लगाएंगे? वह कह रहे हैं कि नहीं बैन नहीं लगाएंगे, बजरंग दल में भी अच्छे लोग होंगे। एक तरफ देश में आक्रामक या उग्र हिंदुत्व के लिए दिग्विजय सिंह विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल आदि को उत्तरदायी ठहराते हैं और दूसरी ओर कहते हैं कि प्रतिबंध नहीं लगेगा, क्योंकि उसमें भी अच्छे लोग हैं तो इसके राजनीतिक निहितार्थ समझने की आवश्यकता है।

इन दोनों बयानों को आम राजनीतिक विश्लेषकों ने कांग्रेस के सॉफ्ट यानी नरम हिंदुत्व की संज्ञा दी है। वस्तुत: संघ परिवार और राजनीति में भाजपा के हिंदुत्व को हार्ड यानी कठोर हिंदुत्व तो अन्यों का नरम हिंदुत्व जैसी शब्दावली हमारे यहां प्रचलित हो गई है।

तात्पर्य यह कि इस समय मध्य प्रदेश चुनाव में भाजपा के हिंदुत्व के समानांतर कांग्रेस के नेता भी अपनी दृष्टि के हिंदुत्व की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

मध्य प्रदेश ही नहीं पूरे भारत का सच यही है कि हिंदू समाज के अंदर हिंदुत्व, भारत, अपनी सभ्यता-संस्कृति, धर्म - अध्यात्म को लेकर स्पष्टता व प्रखरता पहले से काफी बढ़ी है। इसमें संघ परिवार के लंबे समय से किए गए कार्यों के साथ केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की भूमिका है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को संभवतः यह सच्चाई समझ में आ गई है, इसलिए वे हिंदुत्व का विरोध नहीं करते, बल्कि अपने वक्तव्य एवं भाव से यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वह उनसे अलग नहीं हैं। इसके पीछे सोच यही है कि भाजपा के विरुद्ध असंतोष का लाभ कांग्रेस को मिले।

अगर हिंदुत्व पर पहले की तरह विरोधी रुख अपनाया तो प्रतिक्रिया में सारे वोट भाजपा के पक्ष में चले जाएंगे। अनेक नेता कहते हैं कि हिंदुत्व पर केवल भाजपा का एकाधिकार नहीं है। इस तरह के वक्तव्य पहले नहीं मिलते थे। इसका विधानसभा चुनाव परिणामों पर हमने प्रभाव भी देखा है। देखना होगा भाजपा विचार व व्यवहार में इसके समानांतर सुनियोजित रणनीति के साथ आती है या नहीं।

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