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अवधेश कुमार का ब्लॉग: मसूद मामले में अकेला पड़ता चीन 

By अवधेश कुमार | Updated: March 24, 2019 13:14 IST

फ्रांस सरकार के गृह मंत्नालय और विदेश मंत्नालय द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि फ्रांस मसूद को यूरोपीय संघ की आतंकवादी सूची में शामिल करने को लेकर बात करेगा. यूरोपीय संघ में इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है.

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मसूद अजहर मामले में भारत की कूटनीति से चीन दबाव में है, अकेला पड़ गया है. आखिर भारत में चीन के राजदूत ने यूं ही तो बयान नहीं दिया है कि मसूद अजहर से जुड़ा मसला बातचीत के जरिये जल्द हल कर लिया जाएगा. वस्तुत: मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव को वीटो करने के बाद जो स्थितियां बनीं शायद चीन को उसका आभास नहीं था. इसके तुरंत बाद फ्रांस ने ऐलान कर दिया कि वह मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी मानकर जैश व मसूद की संपत्ति को जब्त करेगा.

फ्रांस सरकार के गृह मंत्नालय और विदेश मंत्नालय द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि फ्रांस मसूद को यूरोपीय संघ की आतंकवादी सूची में शामिल करने को लेकर बात करेगा. यूरोपीय संघ में इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है.  

सच यह है कि अड़ंगा डालकर चीन प्रमुख देशों के निशाने पर आ गया है. अमेरिका का कहना है कि यदि चीन इसी तरह अड़ंगा लगाता रहा तो सदस्य देशों को दूसरे विकल्प पर ध्यान देना पड़ेगा. संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति में होने वाला विचार-विमर्श गोपनीय होता है और इसलिए सदस्य देश सार्वजनिक रूप से इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते.

मीडिया में सदस्य देशों के राजनयिकों का जो बयान आया, उसमें चीन के खिलाफ गुस्सा है. सुरक्षा परिषद के एक राजनयिक ने चीन को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वह इस कार्य में बाधा पैदा करना जारी रखता है तो जिम्मेदार सदस्य देश सुरक्षा परिषद में अन्य कदम उठाने पर मजबूर हो  सकते हैं.

मसूद के मामले में दुनिया भारत के साथ खड़ी है और चीन पाकिस्तान के साथ अकेला है. उसे चेतावनी मिल रही है और उसका वह जवाब देने की स्थिति में नहीं है. वैसे भी पुलवामा हमले के बाद सुरक्षा परिषद ने बाजाब्ता जैश का नाम लेते हुए प्रस्ताव पारित किया जिसमें जघन्य और कायरतापूर्ण हमला बताया गया था और चीन ने भी उस पर हस्ताक्षर किया. चीन के सामने साफ हो गया है कि सुरक्षा परिषद के देश दूसरे विकल्प अपना सकते हैं.

संयुक्त राष्ट्र के नियम में खुली बहस और अफर्मेटिव वोटिंग का प्रावधान है. इसके तहत बहुमत से एक भी अधिक सदस्य ने मतदान कर दिया तो फिर चीन के वीटो का कोई मायने नहीं रहेगा. तो देखना है बातचीत का क्या परिणाम आता है, किंतु मसूद अजहर के मामले में कुछ परिणाम आना निश्चित लग रहा है. यह बदला हुआ भारत है. 

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