Arshad Nadeem-Neeraj Chopra Olympics 2024: नीरज-नदीम की दोस्ती खेल भावना की शानदार मिसाल, देखें मार्मिक वीडियो

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: August 10, 2024 05:33 AM2024-08-10T05:33:00+5:302024-08-10T05:33:00+5:30

Arshad Nadeem-Neeraj Chopra Olympics 2024: भारत की संस्कृति ही ऐसी रही है कि उससे प्रेरित होने वाला संकीर्णता को अपने मन में स्थान नहीं दे सकता.

Arshad Nadeem-Neeraj Chopra Olympics 2024 live update watch video Neeraj-Nadeem's friendship wonderful example of sportsmanship | Arshad Nadeem-Neeraj Chopra Olympics 2024: नीरज-नदीम की दोस्ती खेल भावना की शानदार मिसाल, देखें मार्मिक वीडियो

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HighlightsArshad Nadeem-Neeraj Chopra Olympics 2024: नीरज चोपड़ा मेरे बेटे जैसा है.Arshad Nadeem-Neeraj Chopra Olympics 2024: हम बहुत खुश हैं. हमारे लिए तो सिल्वर भी गोल्ड के ही बराबर है.Arshad Nadeem-Neeraj Chopra Olympics 2024: गोल्ड जीतने वाला भी हमारा ही लड़का है. मेहनत करता है.

Arshad Nadeem-Neeraj Chopra Olympics 2024: खेलों में प्रतिस्पर्धा बेशक होती है, लेकिन उनका उद्देश्य भाई-चारे की भावना को बढ़ावा देना होता है. खेल भावना का मतलब ही होता है निष्पक्षता और सम्मानपूर्ण व्यवहार तथा बड़प्पन दिखाना. यह सच है कि खेलों में खेल भावना का प्रदर्शन अब आम बात नहीं रह गई है, लेकिन अभी भी कई बार ऐसे मौके दिख जाते हैं जब खेल भावना पक्ष-विपक्ष सबका दिल जीत लेती है. पेरिस ओलंपिक के जैवलिन थ्रो मुकाबले में रजत पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा की मां सरोज देवी ने कुछ ऐसी बात कह दी कि इसी मुकाबले में स्वर्ण पदक जीतने वाले अरशद नदीम के देश पाकिस्तान में भी उनकी जमकर तारीफ हो रही है. सरोज देवी ने अरशद नदीम को लेकर कहा, ‘‘हम बहुत खुश हैं. हमारे लिए तो सिल्वर भी गोल्ड के ही बराबर है.

गोल्ड जीतने वाला भी हमारा ही लड़का है. मेहनत करता है.’’ अपने बेटे को गोल्ड मेडल से वंचित करने वाले के लिए इतनी बड़ी बात कहना आसान नहीं होता, लेकिन उन्होंने दुनिया को दिखा दिया कि एक मां का दिल कितना बड़ा हो सकता है. दरअसल भारत की संस्कृति ही ऐसी रही है कि उससे प्रेरित होने वाला संकीर्णता को अपने मन में स्थान नहीं दे सकता.

उधर अरशद की अम्मी ने भी जवाब में कहा है कि ‘‘नीरज चोपड़ा मेरे बेटे जैसा है, मैं उसके लिए भी दुआ करती हूं, वो नदीम के भाई जैसा है.’’ जाहिर है कि अपनी-अपनी मांओं  के यही श्रेष्ठ संस्कार नीरज और अरशद नदीम को भी मिले हैं और प्रतिद्वंद्वी होने के बावजूद उनमें गहरी दोस्ती है. एक समय ऐसा भी था जब अरशद नदीम के पास अपने खेल का अभ्यास करने के लिए एक अच्छा भाला तक नहीं था.

तब नीरज ने ही उनकी मदद की थी. अरशद ने भी गोल्ड जीतने के पहले, फाइनल में पहुंचने के बाद कहा था कि ‘‘मुझे बहुत खुशी होती है कि दक्षिण एशिया से हम दोनों ही, मैं और नीरज भाई, विश्व स्तर पर अन्य खिलाड़ियों के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं.’’ खेल भावना की अद्‌भुत मिसाल है नीरज और नदीम की दोस्ती. इस तरह के उदाहरणों से एक सकारात्मक माहौल पैदा होता है और देशों के बीच दुश्मनी की बजाय दोस्ती की भावना को बढ़ावा मिलता है.  

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