AI Mahakumbh Mela 2025: दुनिया के सबसे बड़े मेले कुंभ में भी परिवर्तन?, एआई की निगरानी में महाकुंभ मेला
By प्रमोद भार्गव | Published: December 13, 2024 05:21 AM2024-12-13T05:21:51+5:302024-12-13T05:21:51+5:30
AI Mahakumbh Mela 2025: अमृत-घट प्राप्ति के लिए देव-दानव संग्राम 12 वर्षों तक चला. ये 12 वर्ष 12 वर्षीय बार्हस्पत्य संवत्सर के द्योतक हैं. अमृत-कलश से बूंदें भी 12 स्थलों पर छलकी थीं.
AI Mahakumbh Mela 2025: समय के साथ देश में लगने वाले दुनिया के सबसे बड़े मेले कुंभ में भी परिवर्तन देखने में आते रहे हैं. इसी बदलाव के चलते इस बार प्रयागराज में अस्थाई रूप से निर्मित की गई ‘कुंभनगरी’ में 13 जनवरी 2025 से शुरू होकर 31 मार्च तक चलने वाले इस महाकुंभ में श्रद्धालुओं की निगरानी कृत्रिम बुद्धि (एआई) से संचालित उपकरण करेंगे. इस हेतु कुंभनगरी का पूर्णतः डिजिटलीकरण कर दिया गया है. प्रत्येक 12 साल में प्रयाग में गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम पर महाकुंभ आयोजित होता है.
45 दिन चलने वाले इस कुंभ में 45 करोड़ तीर्थयात्रियों के आने की उम्मीद है. 2013 में 20 करोड़ से ज्यादा यात्री प्रयाग पहुंचे थे. इस बार दोगुने से ज्यादा लोगों के पहुंचने का अनुमान इसलिए है, क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर बनने के साथ वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर का भी कायाकल्प हुआ है. साथ ही आवागमन के साधन बढ़े हैं.
अतएव 4 तहसील और 67 ग्रामों की 6000 हेक्टेयर भूमि पर मेले में यात्रियों के लिए समुचित प्रबंध योगी आदित्यनाथ सरकार ने किए हैं. लोगों को आवाजाही में असुविधा न हो? इसलिए मेला प्राधिकरण और गूगल के बीच हुए समझौते के अंतर्गत आवागमन मानचित्र (नेविगेशन मैप) की सुविधा मोबाइल व अन्य संचार उपकरणों पर दी गई है.
पांच पर्वों में 2 से 8 करोड़ लोग संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाने आ सकते हैं. वैसे तो सुरक्षा के लिए 37000 पुलिस और विभिन्न बलों के जवान तैनात रहेंगे, लेकिन इतने लोगों पर इन जवानों द्वारा निगाह रखना आसान नहीं है इसलिए समूची कुंभनगरी में कृत्रिम बुद्धि आधारित कैमरे लगा दिए गए हैं.
चप्पे-चप्पे पर लगे इन 2400 कैमरों की आंख में एआई लैंस लगे हैं अतएव ये चेहरे पहचानकर अपराधियों पर नजर रखेंगे. महाकुंभ का मेला ग्रह योग पर आधारित है. बृहस्पति को राशिचक्र का वस्तुतः सूर्य का एक चक्कर लगाने में मोटे तौर से 12 वर्ष लगते हैं. गोया, कुंभ मेले 12 साल के अंतराल से आयोजित होते हैं.
अमृत-घट प्राप्ति के लिए देव-दानव संग्राम 12 वर्षों तक चला. ये 12 वर्ष 12 वर्षीय बार्हस्पत्य संवत्सर के द्योतक हैं. अमृत-कलश से बूंदें भी 12 स्थलों पर छलकी थीं. अपनी सटीक काल-गणना से भारतीय मनीषियों ने यह भी ज्ञात कर लिया था कि बृहस्पति को राशि चक्र का एक चक्र पूरा करने में वस्तुतः 11 वर्ष और करीब 315 दिन लगते हैं.