जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: नई कृषि निर्यात नीति की चुनौतियां 

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 9, 2018 10:19 PM2018-12-09T22:19:00+5:302018-12-09T22:19:00+5:30

निर्यात बढ़ाने के लिए राज्य स्तर पर विशेष क्षेत्र बनाए जाएंगे और बंदरगाहों पर विशेष व्यवस्था की जाएगी। इनके लिए सरकार ने 1,400 करोड़ रु। के निवेश का प्रावधान किया है।

agricultural transportation policy and marketing | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: नई कृषि निर्यात नीति की चुनौतियां 

जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: नई कृषि निर्यात नीति की चुनौतियां 

हाल ही में 6 दिसंबर को केंद्रीय कैबिनेट ने नई कृषि निर्यात नीति को मंजूरी दे दी। इसमें कृषि निर्यात को मौजूदा 30 अरब डॉलर के मूल्य से बढ़ाकर 2022 तक 60 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंचाने और भारत को कृषि निर्यात से संबंधित दुनिया के 10 प्रमुख देशों में शामिल कराने का लक्ष्य रखा गया है। नई कृषि निर्यात नीति में खाद्यान्न, दलहन, तिलहन, दूध,  चाय, कॉफी जैसी वस्तुओं का निर्यात बढ़ाने और कृषि उत्पादों के ग्लोबल ट्रेड में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने पर फोकस किया गया है। इसके अलावा कृषि इन्फ्रास्ट्रर सुधारने, प्रोडक्ट के मानक तय करने जैसे निर्णय भी लिए गए हैं। निर्यात बढ़ाने के लिए राज्य स्तर पर विशेष क्षेत्र बनाए जाएंगे और बंदरगाहों पर विशेष व्यवस्था की जाएगी। इनके लिए सरकार ने 1,400 करोड़ रु। के निवेश का प्रावधान किया है।

यद्यपि कृषि निर्यात को आगामी चार वर्षो में दोगुना करने का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण है, लेकिन इस समय भारत में कृषि निर्यात की विभिन्न अनुकूलताओं के कारण इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। गौरतलब है कि वर्ष 2017-18 में देश में रिकॉर्ड कृषि उत्पादन हुआ है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है। नि:संदेह नई कृषि नीति के बाद देश से कृषि निर्यात बढ़ने के तीन प्रमुख कारण दिख रहे हैं। पहला, पिछले दिनों सरकार के द्वारा घोषित किए गए उदार कृषि निर्यात संबंधी नए प्रोत्साहन हैं। दूसरा प्रमुख कारण अमेरिका के द्वारा चीन से आयातित नई कृषि वस्तुओं पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने के बाद चीन के द्वारा भी अमेरिका की कई वस्तुओं पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगा दिया गया है।

 इन उत्पादों में सोयाबीन, तंबाकू, फल, मक्का, गेहूं, रसायन आदि शामिल हैं। चीन के द्वारा लगाए गए आयात शुल्क के कारण अमेरिका की ये सारी वस्तुएं चीन के बाजारों में महंगी हो गई हैं। चूंकि ये अधिकांश वस्तुएं भारत भी चीन को निर्यात कर रहा है और भारतीय वस्तुओं पर चीन ने कोई आयात शुल्क नहीं बढ़ाया है, ऐसे में ये भारतीय कृषि वस्तुएं चीन के बाजारों में कम कीमत पर मिलने लग गई हैं। इससे चीन को भारत के निर्यात बढ़ेंगे। तीसरा प्रमुख कारण एक दिसंबर 2018 को ग्रुप 20 के अर्जेटीना सम्मेलन के दौरान भारत और चीन के बीच वार्ता में चीन के द्वारा भारत-चीन व्यापार में बढ़ते हुए घाटे को कम करने पर ध्यान देने की बात कही गई है। इससे भी कृषि निर्यात के लिए चीन के बाजार में नई संभावनाएं बनी हैं।  हम आशा करें कि नई कृषि निर्यात नीति के उपयुक्त क्रियान्वयन से आगामी चार वर्षो में देश का कृषि निर्यात दोगुना हो सकेगा, देश में रोजगार बढ़ेंगे और ग्रामीण क्षेत्र की समृद्धि भी बढ़ेगी।

Web Title: agricultural transportation policy and marketing

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे