वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: देश में धार्मिक स्वतंत्रता की हुई तस्दीक
By वेद प्रताप वैदिक | Updated: December 5, 2022 11:42 IST2022-12-05T11:40:03+5:302022-12-05T11:42:19+5:30
अमेरिका ने एक रिपोर्ट हाल ही में जारी की है। उसके अनुसार दुनिया के 14 देशों में धार्मिक स्वतंत्रता को खतरा है। यह खुशी की बात है कि 14 देशों में भारत का आगे-पीछे कहीं भी नाम नहीं है।

(प्रतीकात्मक तस्वीर)
अमेरिका ने एक रिपोर्ट हाल ही में जारी की है। उसके अनुसार दुनिया के 14 देशों में धार्मिक स्वतंत्रता को खतरा है। यह खुशी की बात है कि 14 देशों में भारत का आगे-पीछे कहीं भी नाम नहीं है। कुछ लोग इसे अमेरिका की लापरवाही कहेंगे या वे यह मानकर चलेंगे कि अमेरिका ने इन देशों के साथ भारत का नाम इसलिए नहीं जोड़ा है कि वह उसे चीन के विरुद्ध इस्तेमाल करना चाहता है।
इस रपट में रूस, चीन और पाकिस्तान के नामों पर विशेष जोर दिया गया है। यदि अमेरिका ने भारत को चीन के खिलाफ डटाए रखने की इच्छा के कारण ही इस सूची में भारत का नाम नहीं जोड़ा है तो मैं पूछता हूं कि उसमें सऊदी अरब का नाम क्यों जोड़ा गया है? सऊदी अरब से तो अमेरिका के संबंध काफी घनिष्ठ हैं। इसी प्रकार अब वह पाकिस्तान से भी उत्तम संबंध बनाने के अवसर नहीं छोड़ रहा है।
जहां तक रूस और चीन का सवाल है, इन दोनों देशों से उसके संबंध तनावपूर्ण हैं लेकिन वहां धार्मिक आजादी के दावों पर सच में अमल नहीं हो रहा है। कई अफ्रीकी और एशियाई देशों में तो अनेकानेक नरम और सख्त धार्मिक प्रतिबंध जारी हैं। दुनिया के लगभग 40-45 देश ऐसे हैं, जिनमें भारत या अमेरिका की तरह धार्मिक स्वतंत्रता नहीं है। भारत में इस धार्मिक स्वतंत्रता का दुरुपयोग भी होता है।
हमारे नेता मजहब और धर्म के नाम पर हमेशा थोक वोट जुगाड़ने के फिराक में रहते हैं। इसके अलावा लालच और भय के आधार पर भारत में बड़े पैमाने पर धर्म-परिवर्तन का धंधा भी चला हुआ है। इस छूट का सबसे बड़ा कारण हिंदू धर्म की सहिष्णुता है, जिसके कारण एक ही घर में कई संप्रदायों को मानने वाले लोग साथ-साथ रहते हैं और एक-दूसरे को बर्दाश्त भी करते हैं। इसीलिए भारत को उक्त सूची में शामिल नहीं करना सर्वथा उचित दिखाई देता है।