विश्व नेत्रदान दिवसः दृष्टिहीनता के अंधकार में उम्मीद की किरण, 12 लाख लोग को कॉर्निया प्रत्यारोपण की जरूरत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 10, 2025 05:20 IST2025-06-10T05:20:52+5:302025-06-10T05:20:52+5:30

विश्व नेत्रदान दिवसः विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2024 में भारत में करीब 12 लाख लोग ऐसे हैं जिन्हें कॉर्निया प्रत्यारोपण की जरूरत है.

World Eye Donation Day 10 june ray hope darkness of blindness 12 lakh people need cornea transplant blog Devendraraj Suthar | विश्व नेत्रदान दिवसः दृष्टिहीनता के अंधकार में उम्मीद की किरण, 12 लाख लोग को कॉर्निया प्रत्यारोपण की जरूरत

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Highlightsकॉर्निया प्रत्यारोपण से इस स्थिति में सुधार किया जा सकता है.हर साल लगभग 25000 से 30000 कॉर्निया ट्रांसप्लांट किए जाते हैं.यह प्रक्रिया न तो तकलीफदेह है और न ही धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध.

देवेंद्रराज सुथार

हर साल 10 जून को विश्व नेत्रदान दिवस मनाया जाता है. यह दिन नेत्रदान के महत्व को समझाने और लोगों को नेत्रदान के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है. दुनिया में लाखों लोग दृष्टिहीनता का शिकार हैं और इनमें से बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो कॉर्निया की खराबी के कारण देख नहीं सकते. कॉर्निया आंख का वह पारदर्शी हिस्सा होता है जो प्रकाश को आंख के भीतर प्रवेश करने देता है. जब यह हिस्सा खराब हो जाता है या किसी कारणवश काम नहीं करता तो व्यक्ति अंधत्व का शिकार हो सकता है. कॉर्निया प्रत्यारोपण से इस स्थिति में सुधार किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए स्वस्थ कॉर्निया की आवश्यकता होती है जो केवल नेत्रदान से ही प्राप्त हो सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2024 में भारत में करीब 12 लाख लोग ऐसे हैं जिन्हें कॉर्निया प्रत्यारोपण की जरूरत है.

हर साल लगभग 25000 से 30000 कॉर्निया ट्रांसप्लांट किए जाते हैं, जबकि जरूरत इससे कहीं अधिक है. भारत में नेत्रदान को लेकर सामाजिक जागरूकता की कमी एक बड़ी समस्या है. कई लोग यह नहीं जानते कि मृत्यु के बाद आंखें दान की जा सकती हैं और यह प्रक्रिया न तो तकलीफदेह है और न ही धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध.

कुछ लोग यह सोचकर डरते हैं कि मृत्यु के बाद शरीर के साथ छेड़छाड़ उचित नहीं है, जबकि सच्चाई यह है कि नेत्रदान एक सम्मानजनक और पुनीत कार्य है, जिससे किसी की जिंदगी रोशन हो सकती है. सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन इस विषय में जागरूकता फैलाने के लिए प्रयासरत हैं.

नेत्र ज्योति अभियान, नेत्र बैंक जैसे कार्यक्रमों से लोगों को जानकारी दी जाती है और नेत्रदान के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. हाल के वर्षों में कुछ सकारात्मक बदलाव भी देखने को मिले हैं. उदाहरण के लिए, 2024 में भारत ने 45000 से अधिक कॉर्निया प्राप्त किए, जो पिछले वर्षों की तुलना में बढ़ोत्तरी दर्शाता है.

इसके बावजूद यह संख्या अब भी मांग के मुकाबले बहुत कम है. नेत्रदान की प्रक्रिया सरल होती है. मृत्यु के बाद 6 से 8 घंटे के भीतर किसी प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा आंखें निकाली जा सकती हैं. इस प्रक्रिया से मृत व्यक्ति के चेहरे पर कोई फर्क नहीं पड़ता. दान की गई आंखों को विशेष प्रकार के नेत्र बैंक में सुरक्षित रखा जाता है.

सरकार को चाहिए कि वह स्कूलों, कॉलेजों, पंचायतों और अस्पतालों के माध्यम से लोगों को नेत्रदान के बारे में जानकारी दे. साथ ही, यह भी जरूरी है कि डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारी परिवारों को मृत्यु के बाद नेत्रदान की संभावनाओं के बारे में संवेदनशील ढंग से समझाएं. अक्सर जब कोई अपना इस दुनिया से चला जाता है तो परिवार गम में डूबा होता है और नेत्रदान का विचार नहीं कर पाता. अस्पताल इस विषय में मार्गदर्शन दें तो कई जिंदगियों को रोशनी मिल सकती है.

Web Title: World Eye Donation Day 10 june ray hope darkness of blindness 12 lakh people need cornea transplant blog Devendraraj Suthar

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