ब्लॉग: बर्ड फ्लू का सामने आता नया खतरा
By अभिषेक कुमार सिंह | Updated: July 4, 2024 11:49 IST2024-07-04T11:44:48+5:302024-07-04T11:49:34+5:30
ध्यान रहे कि यह पक्षियों में फैलने वाला वायरस है। लेकिन उत्परिवर्तित (म्यूटेंट) हुए इसके नए स्वरूप अब स्तनधारी जीवों से इंसानों में फैलने लगे हैं। यानी अब यह जरूरी नहीं रह गया गया कि पक्षियों के संपर्क में आने से ही कोई इंसान बर्ड फ्लू से संक्रमित हो।

फोटो क्रेडिट- (एक्स)
असरदार टीकों, इलाज की बेशुमार तरकीबों और तमाम सावधानियों के बल पर कोरोना वायरस से पैदा महामारी कोविड से निजात पाने वाली दुनिया किसी नए वायरस की आहट पाकर ही चौंक जाती है। अब यह खबर आई है कि बर्ड फ्लू वायरस का एक नया प्रकार महामारी का रूप ले सकता है, क्योंकि अब यह तेजी से इंसानों में फैल रहा है।
ध्यान रहे कि यह पक्षियों में फैलने वाला वायरस है। लेकिन उत्परिवर्तित (म्यूटेंट) हुए इसके नए स्वरूप अब स्तनधारी जीवों से इंसानों में फैलने लगे हैं। यानी अब यह जरूरी नहीं रह गया गया कि पक्षियों के संपर्क में आने से ही कोई इंसान बर्ड फ्लू से संक्रमित हो। बल्कि इससे संक्रमित जीव (जैसे कि मवेशी या पालतू कुत्ते-बिल्ली) से भी यह इंसानों तक पहुंच सकता है।
यूं तो बर्ड फ्लू के वायरस एच5एन1 का एक पुराना इतिहास रहा है लेकिन वर्ष 2020 में इसके जिस नए म्यूटेंट स्वरूप का उभार हुआ है, उसने कोरोना वायरस की तरह इसके भी पूरी दुनिया में फैल जाने का खतरा उत्पन्न कर दिया है। दुनिया के कई अहम स्वास्थ्य विशेषज्ञों और पेन्सिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अमेरिका के दर्जन भर राज्यों में मौजूद मवेशियों की जांच में इस उत्परिवर्तित वायरस की मौजूदगी पाई है।
वैसे तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अभी तक बर्ड वायरस के इंसानों से इंसानों में फैलने की आशंकाओं से इनकार किया है लेकिन ये स्थितियां कब बदल जाएं- कहा नहीं जा सकता। हाल-फिलहाल के मामलों को देखें तो तो पता चलता है कि दुनिया के कई देशों में इंसानों तक बर्ड फ्लू वायरस पहुंचने के उदाहरण मिल चुके हैं।हाल में तीन मामले तो अमेरिका में मिले हैं। इन मामलों में इंसान अपने मवेशियों (गायों) के संपर्क में आए थे, जिन्हें बर्ड फ्लू हुआ था।मैक्सिको, चीन, ऑस्ट्रेलिया और भारत में भी बर्ड फ्लू के इंसानों में पहुंच जाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
हालांकि अब तक पता चले इन मामलों में से कोई भी ऐसा नहीं था जो बर्ड के हालिया उत्परिवर्तित रूप वाला हो। इन सारे मामलों में बर्ड के वायरस एक दूसरे से अलग थे। जैसे मैक्सिको में एक व्यक्ति को इसके एच5 वैरिएंट से यह संक्रमण हुआ था, तो चीन में 2023 में जिस व्यक्ति की बर्ड फ्लू से मृत्यु हुई थी, उसका वायरस एच3एन8 था। हमारे लिए चिंताजनक बात यह है कि इसी साल (2024 में) अप्रैल माह में केरल में बर्ड फ्लू का एक मामला प्रकाश में आ चुका था। कुछ ही अरसा पहले कोलकाता से ऑस्ट्रेलिया गए एक व्यक्ति में यह वायरस मिला था और झारखंड के रांची में एक बच्चे में इसकी मौजूदगी पाई गई थी।
वैसे तो सभी जीवों में किसी-न-किसी तरह या कई तरह के वायरसों का संक्रमण हमेशा मौजूद होता है और उनका शरीर इससे लड़कर जीवन को बनाए रखने में सक्षम होता है। मनुष्य के शरीर में भी कई ऐसे वायरस होते हैं जो या तो उसे नुकसान नहीं पहुंचाते या फिर कुछ घातक बीमारियों से बचाते हैं।
लेकिन वायरसों के बढ़ते हमलों ने साबित किया है कि इस मामले में अगर इंसान डाल-डाल है, वे पात-पात हैं। साफ है कि जब तक इंसान अपने रहन-सहन और खानपान की खराब आदतों पर अंकुश नहीं लगाएगा और जब तक पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में दखलंदाजी से बाज नहीं आएगा, एक से एक खतरनाक वायरस उभरते रह सकते हैं और वे दुनिया को इसी तरह संकट में डालते रह सकते हैं।