जीवनदान देने के समान है रक्तदान
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: June 14, 2025 07:29 IST2025-06-14T07:28:30+5:302025-06-14T07:29:41+5:30
इससे शरीर को नए ब्लड सेल्स मिलने के अलावा तंदुरुस्ती भी मिलती है.

जीवनदान देने के समान है रक्तदान
रेणु जैन
रक्त या खून और ऑक्सीजन मानव शरीर के दो ऐसे अनिवार्य तत्व हैं जिनके बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती. कोरोनाकाल में ऑक्सीजन उर्फ प्राणवायु की भारी किल्लत को देखते हुए देश-दुनिया में ऑक्सीजन पार्क बनाए गए हैं लेकिन रक्त एक ऐसा पदार्थ है जिसे कृत्रिम रूप से बनाना नामुमकिन है.
इसे किसी प्रयोगशाला में निर्मित नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह सिर्फ और सिर्फ भगवान की प्रयोगशाला में ही बनता है. रक्तदान हेतु लोगों को अधिक जागरूक करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व रक्तदान दिवस हर वर्ष 14 जून को मनाया जाता है.
1930 में नोबल पुरस्कार से नवाजे जाने वाले कार्ल लैडस्टीनर के जन्मदिन पर विश्व रक्तदान दिवस मनाते हैं. कार्ल लैडस्टीनर ने ही पता लगाया था कि एक व्यक्ति का खून बिना जांच के दूसरे व्यक्ति को नहीं चढ़ाया जा सकता क्योंकि सभी मनुष्यों का ब्लड ग्रुप अलग-अलग होता है. इसी महान खोज के कारण उन्हें ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन का पितामह भी कहा जाता है.
देश में हर साल 2.5 करोड़ से ज्यादा यूनिट ब्लड की आवश्यकता होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक किसी भी देश की एक फीसदी आबादी अगर रक्तदान करे तो ये देश के लिए पर्याप्त होता है. राष्ट्रीय रक्त नीति के अनुसार देश के हर जिले में एक ब्लड बैंक होना चाहिए.
फरवरी 2022 तक भारत के 3807 लाइसेंस प्राप्त ब्लड बैंक काम कर रहे हैं. लेकिन आज भी कई लोग रक्तदान करने में हिचकिचाते हैं. विभिन्न रोगों जैसे एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, सिफलिस, थैलेसीमिया, दुर्घटना के कारण होने वाली सर्जरी तथा ब्लड कैंसर आदि के उपचार में खून की आवश्यकता पड़ती है. आधा लीटर ब्लड तीन लोगों का जीवन बचा सकता है.
एक नई रिसर्च के मुताबिक नियमित रक्तदान करने से कैंसर तथा दूसरी बीमारियों के होने का खतरा भी कम हो जाता है. इसके अलावा डाॅक्टर्स का मानना है कि ब्लड डोनेट से खून पतला होता है जो कि हृदय के लिए अच्छा होता है. रक्तदान करने से बोनमैरो नए रेड सेल्स बनाता है.
इससे शरीर को नए ब्लड सेल्स मिलने के अलावा तंदुरुस्ती भी मिलती है. रक्तदान करना एक सुरक्षित एवं स्वस्थ परंपरा है. इसमें जितना खून लिया जाता है, वह 21 दिन में शरीर में फिर से बन जाता है. ब्लड का वाल्यूम तो शरीर 24 से 72 घंटे में ही पूरा बना लेता है.