सौरव गांगुली का कॉलम: 20 विकेट लेने की क्षमता रखते हैं भारत के तेज गेंदबाज
By सौरव गांगुली | Published: December 14, 2018 10:02 AM2018-12-14T10:02:11+5:302018-12-14T10:02:11+5:30
भारत के तेज गेंदबाज 20 विकेट लेने की क्षमता रखते हैं और अगर पिच पर पर्याप्त घास है तो तेज गेंदबाज ज्यादा असरदार होंगे।
भारतीय टीम ने ऐडीलेड में शानदार क्रिकेट खेली। पुजारा शुरू से ही डटे रहे। इसका मतलब यह हुआ कि उनके स्ट्राइक रेट को लेकर चल रही बहस निरर्थक है खास कर विदेश की मुश्किल परिस्थितियों में। प्रथम सत्र में रन बनाने के अलावा नई गेंद का सामना करना भी काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। जोहान्सबर्ग टेस्ट में पुजारा के उस योगदान के बारे में सोचिए जब पिच ही सबकुछ कर रही थी और एडीलेड में जब भारतीय टीम ने चार विकेट महज चालीस के स्कोर पर गंवा दिए थे। ऐसे में स्ट्राइक रेट मायने नहीं रखता।
पर्थ में नए स्टेडियम में मुकाबला होने वाला है और कहा जा रहा है कि पिच तेज गेंदबाजों की मदगार होगी। ठीक है, अगर पिच तेज है तो भारत और मेजबान को बराबरी का मौका है। ऑसी अगर बाद में बल्लेबाजी करते हैं तो वे एडीलेड में जिस तरह से घूमती गेंदों के खिलाफ परेशानी में थे वैसे यहां दबाव में नहीं होंगे। एडीलेड में अश्विन एक बड़ा 'फैक्टर' थे।
यह भी एक सच्चाई है कि ऑस्ट्रेलियाई स्पिन के मुकाबले तेज गेंदबाजों के खिलाफ ज्यादा राहत महसूस करते हैं लेकिन भारत के तेज आक्रमण को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वे 20 विकेट लेने की क्षमता रखते हैं और अगर पिच पर पर्याप्त घास है तो तेज गेंदबाज ज्यादा असरदार होंगे।
याद रखें भारत ने दक्षिण अफ्रीका को जोहान्सबर्ग में उन परिस्थितियों में मात दी थी जहां विकेट ही सबकुछ थी और एक समय तो वह खेलने के लायक ही नहीं रही थी। पर्थ में भारत की द्विधा यह है कि क्या वह चार गेंदबाजों के साथ खेले और वाकई पिच हरी है तो भारत रविंद्र जडेजा पर भुवनेश्वर कुमार को तवज्जों देने से नहीं चुकेगा।
काफी कुछ टॉस पर निर्भर करता है और जोहान्सबर्ग तथा एडीलेड के अनुभव को देखते हुए लगता है भारत पहले बल्लेबाजी चुन सकता है। यह ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी मजबूत नहीं है और चौथी पारी का दबाव वह संभाल नहीं पाएगी। लिहाजा टीम संयोजन को लेकर विराट कोहली को माथामच्छी करनी होगी। रोहित शर्मा के स्थान पर हनुमा विहारी को निसंदेह मौका मिलेगा।
पर्थ में नहीं खेलने की वजह से रोहित यकिनन निराश होंगे क्योंकि उन्हें टेस्ट बल्लेबाज के तौर पर खुद को स्थापित करने के लिए पूरी सीरीज खेलनी चाहिए थी। पर्थ में उन्होंने पिछली बार रन बनाए थे और उसी प्रदर्शन को वे दोहराना चाह रहे होंगे। सीरीज का यह सबसे अहम टेस्ट है। पर्थ ऑस्ट्रेलिया को मौका देगा लेकिन भारत ने भी कमर कस ली है ताकि यह यह सीरीज उसके नाम हो जाए।